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विदेशी कंपनी का संपर्क कार्यालय कर दायरे में?

Last Updated- December 11, 2022 | 1:16 AM IST

यह आम बात है कि विदेशी कंपनियां वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए उद्यम संवर्द्धन कार्य के लिए शुरुआत के तौर पर संपर्क कार्यालय स्थापित कर भारत में कारोबार करने की योजना बना रही हैं।
संपर्क कार्यालय को भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत होती है। चूंकि संपर्क कार्यालय को किसी भी तरह की वाणिज्यिक गतिविधि की अनुमति नहीं है, इसलिए आम तौर पर यह समझा जाता है कि संपर्क कार्यालय की मौजूदगी भारत में विदेशी कंपनी की कर देयता में कोई अंतर नहीं लाएगी।
अगर संपर्क कार्यालय की गतिविधियां इस प्रकार की हैं कि वे भारत में विदेशी कंपनी के लिए ‘स्थायी प्रतिष्ठान’ या ‘बिजनेस कनेक्शन’ बनाती हैं तो उक्त कानूनी स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, ‘यूएई एक्सचेंज सेंटर (268 आईटीआर 9)’ मामले में भारत और यूएई के बीच कर संधि की व्याख्या करते हुए अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने फैसला दिया कि संपर्क कार्यालय भारत में स्थायी प्रतिष्ठान और बिजनेस कनेक्शन दोनों के तौर पर स्थापित हुआ।
दूसरी तरफ ‘गुटाल ट्रेडिंग (278 आईटीआर 643) द अथॉरिटी’ के मामले में इसी कर संधि की व्याख्या करते हुए फैसला सुनाया गया कि संपर्क कार्यालय न तो कोई ‘स्थायी प्रतिष्ठान’ स्थापित कर सकता है और न ही ‘बिजनेस कनेक्शन’। हालांकि दोनों ही मामलों में संपर्क कार्यालय ने आरबीआई द्वारा सुझाई गई शर्तों के संदर्भ में गतिविधियों को सख्ती से अंजाम दिया था।
अथॉरिटी ने फैसला दिया था कि लंबे समय से संपर्क कार्यालय ने प्रमुख कंपनी के भारतीय ग्राहकों द्वारा सामानों के आयात या खरीदारी के लिए भारत में ग्राहकों से बातचीत नहीं की थी, इसलिए इसे प्रमुख कंपनी की भारत से बाहर कारोबारी गतिविधि और भारत के अंदर संपर्क कार्यालय की गतिविधियों के बीच मजबूत संबंध नहीं कहा जा सकता।
इसलिए भारत में संपर्क कार्यालय की गतिविधियां कोर्स ऑफ डीलिंग या संबंध की नियमितता के दायरे में नहीं आएंगी अनिवासी द्वारा आय अर्जन के लिए इसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योगदान नहीं होगा। यह स्पष्ट किया जा सकता है कि जब संपर्क कार्यालय स्थायी प्रतिष्ठान बनाता है या बिजनेस कनेक्शन स्थापित करता है तो विदेशी कंपनी इससे होने वाले लाभ पर कर चुकाने के लिए जिम्मेदार होगी।
इस लाभ को संपर्क कार्यालय के लिए प्राप्त होने वाला लाभ समझा जा सकेगा। लेकिन अगर संपर्क कार्यालय इस तरह का संबंध स्थापित नहीं करता है तो वह भारत में किसी तरह के आय कर के दायरे में नहीं आएगा। इस संबंध में अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग का एक ताजा फैसला (आईकेईए ट्रेडिंग (हांगकांग) लिमिटेड 308 आईटीआर 422 देखें) बेहद महत्त्वपूर्ण है।
इस मामले में हांगकांग स्थित विदेशी फर्म ने भारत से सामानों की खरीद के संबंध में संपर्क गतिविधियां चलाने के लिए भारत में संपर्क कार्यालय खोला था। संपर्क कार्यालय ने निम्नलिखित कार्यों का निष्पादन किया था:
निर्यात के लिए संभावित आपूर्तिकर्ताओं के संबंध में पूछताछ, विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता जांच के लिए सूचना और सैम्पल एकत्रित करना, विदेशी मालिक और भारतीय निर्यातकों के बीच संचार के चैनल के तौर पर समन्वयन, भारतीय निर्यातकों के साथ विचार-विमर्श और आपूर्तिकर्ताओं के लिए सोशल ऑडिट करना।
अथॉरिटी ने फैसला दिया था कि चूंकि संपर्क कार्यालय की गतिविधियां निर्यात के उद्देश्य के लिए भारत में सामान की खरीद के लिए सीमित थीं, इसलिए आय की प्राप्ति या उगाही भारत में विदेशी कंपनी के लिए आय की प्राप्ति नहीं समझी गई है। इसलिए यह अनावश्यक है कि बिजनेस कनेक्शन मौजूद था या नहीं।
ऊपर दिए गए विभिन्न मामलों के संदर्भ में यह निष्कर्ष सामने आता है कि जहां तक भारतीय कर कानून का सवाल है, संपर्क कार्यालय की भूमिका अब तक बेहद अनिश्चित बनी हुई है।
(लेखक एस एस कोठारी मेहता ऐंड कंपनी में पार्टनर हैं।)

First Published - April 20, 2009 | 9:12 AM IST

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