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पुराने आर्बिट्रेशन क्लॉज को रद्द नहीं कर सकता नया सर्कुलर

Last Updated- December 10, 2022 | 7:24 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को दरकिनार कर दिया है, जिसमें उसने कॉन्ट्रेक्टर दीपक बंसल को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े विवाद के निपटारे के लिए एक मध्यस्थ की नियुक्ति के अनुरोध को ठुकरा दिया था।
रेलवे कार्य के लिए उसकी निविदा स्वीकार कर ली गई थी। बाद में उसे अतिरिक्त काम भी सौंप दिया गया, जिसने उसने पूरा किया। लेकिन जब उसने अपना बिल भेजा तो सरकार ने उसे खारिज कर दिया। इसलिए उसने आर्बिट्रेशन क्लॉज की मांग की और एक मध्यस्थ की नियुक्ति के अनुरोध के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय पहुंच गया।
सरकार ने कहा कि मध्यस्थता नहीं की जा सकती, क्योंकि सरकार ने ऐसी निविदाओं के बारे में एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर के मुताबिक मध्यस्थता तभी संभव हो सकती थी, जब कार्य की कुल लागत के 20 फीसदी से अधिक का दावा किया गया होता। उच्च न्यायालय ने सरकार के इस तर्क को स्वीकार कर लिया।
कॉन्ट्रेक्टर सर्वोच्च न्यायालय की शरण में पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह अनुबंध 1996 में किया गया था और सर्कुलर 2003 में जारी हुआ। अनुबंध के बाद जारी सर्कुलर आर्बिट्रेशन क्लॉज के रास्ते में बाधक नहीं बन सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में उच्च न्यायालय को एक मध्यस्थ नियुक्त करने को कहा है।
अंतरराज्यीय बिक्री पर डीसीएम की अपील खारिज
सर्वोच्च न्यायालय ने डीसीएम लिमिटेड की अपील खारिज कर दी और दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा है। इस मामले में सवाल उठाया गया था कि दिल्ली में थोक व्यापारियों और वितरकों को की गई रसायनों की डिलीवरी स्थानीय है या अंतरराज्यीय स्तर का सौदा। डीसीएम के वितरकोंथोक व्यापारियों को दिल्ली से बाहर यह माल सौंपा गया था।
डीसीएम यह तर्क पेश कर रही है कि यह स्थानीय बिक्री थी। लेकिन राजस्व अधिकारियों का मानना है कि सेंट्रल सेल्स टैक्स एक्ट के तहत यह अंतरराज्यीय बिक्री थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि यह बिक्री अंतरराज्यीय थी। कंपनी ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
शिशु खाद्य में मिलाए जाने वाले विटामिन पर उत्पाद शुल्क
नेस्ले इंडिया द्वारा शिशु आहार के निर्माण की प्रक्रिया कानूनी जांच के दायरे में आ गई है। सेंट्रल एक्साइज के आयुक्त के मुताबिक शिशु आहार में मिलाए जाने वाले विटामिन कर योग्य हैं।
खरीदे गए विभिन्न विटामिन के मिश्रण और विटामिन का अंतर्मिश्रण ‘निर्माण’ के दायरे में आता है, इसलिए विटामिन के ऐसे अंतर्मिश्रण पर भुगतान पर उत्पाद शुल्क चुकाया जाना अनिवार्य है। सर्वोच्च न्यायालय ने उत्पाद शुल्क न्यायाधिकरण से इस मामले को सुलझाए जाने को कहा है।
बीमा राशि सामान की कीमत का हिस्सा नहीं है
सर्वोच्च न्यायालय ने ‘कमिश्नर ऑफ सेंट्रील एक्साइज बनाम एक्यूरेट मीटर्स लिमिटेड’ मामले में फैसला दिया कि ढुलाई खर्च और बीमा को आपूर्ति किए गए सामान की कीमत के निर्धारण में शामिल नहीं किया जा सकता। विवाद यह था कि क्या ‘किराया’ और ‘बीमा शुल्क’ सेंट्रल एक्साइज एक्ट और सेंट्रल एक्साइज वैल्युएशन रूल्स के प्रावधानों में उत्पादन शुल्क की गणना के वक्त सामानों के मूल्य के तहत आते हैं।
ग्रेच्युटी के लिए संक्षिप्त सेवा अवधि असंवैधानिक
सर्वोच्च न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ ग्रांड काकाटिया शेराटन होटल ऐंड टावर्स के कर्मचारियों की अपील खारिज कर दी है जो शॉप्स ऐंड इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के कुछ प्रावधानों को रद्द किए जाने से जुड़ा था। कर्मचारी आईटीसी होटल्स लिमिटेड के श्रीनिवास रिसॉट्र्स लिमिटेड में काम करते थे। विवाद नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी से जुड़ा है।
अधिनियम की धारा 47 (3)  के तहत जिस कर्मचारी ने एक साल के लिए काम किया हो, वह ग्रेच्युटी पाने का हकदार है। इन प्रावधानों को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दे दिया गया। कर्मचारियों ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ये प्रावधान कानूनी हैं। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ग्रेच्युटी का हकदार बनने के लिए एक साल की अवधि उचित अवधि नहीं है।

First Published - March 9, 2009 | 5:06 PM IST

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