सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से कोविड-19 टीकाकरण नीति बनाने के दौरान तैयार किए गए सभी प्रासंगिक दस्तावेज और फाइलों पर हुई टीका-टिप्पणी पेश करने के लिए कहा है। साथ ही कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक वी समेत सभी टीकों की आज तक की खरीद का ब्योरा भी तलब किया गया है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी मांगी है। इसके अलावा अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मुफ्त टीकाकरण के बारे में अपना दृष्टिकोण दो हफ्ते के भीतर बताने का निर्देश भी दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट के विशेष पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार अपना हलफनामा दाखिल करते समय यह भी सुनिश्चित करेगी कि टीकाकरण नीति पर उसकी सोच दर्शाने वाले सभी प्रासंगिक दस्तावेज तथा फाइलों में की गई टिप्पणियों की प्रतियां टीकाकरण नीति के साथ संलग्न हों।’ न्यायालय की वेबसाइट पर आज डाले गए 31 मई के आदेश में पीठ ने कहा, ‘हम केंद्र सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।’ पीठ ने कहा, ‘केंद्र सरकार द्वारा कोविड-19 के सभी टीकों (कोवैक्सीन, कोविशील्ड तथा स्पूतनिक वी) की आज तक की खरीद के समूचे आंकड़े पेश किए जाएं। आंकड़ों में ये चीजें स्पष्ट होनी चाहिए- (क) केंद्र सरकार द्वारा तीनों टीकों की खरीद के लिए दिए गए सभी ऑर्डर की तारीखें, (ख) प्रत्येक तारीख पर टीकों के ऑर्डर की मात्रा (ग) आपूर्ति की प्रस्तावित तारीख।’
शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के प्रबंधन पर स्वत: संज्ञान वाले एक मामले में यह आदेश दिया है। पीठ ने टीकाकरण अभियान के पहले तीन चरणों में पात्र व्यक्तियों की तुलना में अब तक टीके लगवा चुकी (एक या दोनों खुराक) आबादी का प्रतिशत भी पूछा है। इसने कहा, ‘इसमें ग्रामीण आबादी और शहरी आबादी के टीकाकरण के प्रतिशत के आंकड़े शामिल होने चाहिए।’