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ईपीसीजी योजना के तहत निर्यात बाधाओं में कमी

Last Updated- December 08, 2022 | 10:40 AM IST

कुछ समय पहले सरकार ने कई उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में 4 फीसदी की कटौती की थी और इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया था।


शुल्क में कटौती का मतलब है कि अतिरिक्त सीमा शुल्क (सीवीडी) में भी कटौती और इसके परिणामस्वरूप कुल आयात शुल्क भी कम हुआ।

इसके अलावा, निर्यात संवर्धन पूंजी उत्पाद (ईपीसीजी) योजना के तहत जो निर्यात औपचारिकताएं होती हैं उनमें भी कुछ कमी आई है, साथ ही निर्यात छूट योजना और ईपीसीजी योजनाओं के तहत जितने बॉन्ड्स और बैंक गारंटियों की जरूरत होती थी उसमें भी कमी आई है।

एक्सपोर्ट ओरियंटेड यूनिट्स (ईओयू) से डोमेस्टिक ट्रैफिक एरिया (डीटीए) तक माल को ले जाने के लिए मंजूरी दिए जाने पर जो शुल्क लगता था, उसमें भी कमी आई है।

वर्ष 2004 के सेनवैट क्रेडिट नियमों में किए गए बदलाव से डीटीए खरीदारों को जितना सेनवैट क्रेडिट चुकाना होता था वह भी घट गया है।

उत्पाद शुल्क घटाने से उन उत्पादों पर आयात शुल्क 31.70 फीसदी से घटकर 26.75 फीसदी हो गया है जिन पर 10 फीसदी की दर से बेसिक कस्टम डयूटी (बीसीडी) वसूली जाती थी।

यानी इन उत्पादों पर आयात शुल्क 4.85 फीसदी घटा है। इन उत्पादों पर उपलब्ध सेनवैट क्रेडिट 20.93 फीसदी से घटकर 16.21 फीसदी हो गया है, यानी 4.72 फीसदी की गिरावट।

वहीं गैर सेनवैट हिस्सा 10.78 फीसदी से घटकर 10.64 फीसदी पर पहुंच गया, यानी 0.14 फीसदी कम। इसके अलावा जिन उत्पादों पर 10.30 फीसदी की दर से कम बीसीडी और सीवीडी लगता है उन पर आयात शुल्क घट कर 4.85 फीसदी से 4.50 फीसदी के दायरे में आ गया है।

इस तरह इन उत्पादों का आयात सस्ता हो गया है। ऐसे उत्पादों के लिए गैर सेनवैट हिस्सा घट कर 0.12 फीसदी से 0.14 फीसदी के दायरे में आ गया है। ईपीसीजी योजना के परिणामस्वरूप जो प्रभाव पड़ा, वह था कि निर्यात बाध्यताओं का कुछ कम होना।

जिन पूंजीगत उत्पादों पर 7.5 फीसदी और 5 फीसदी की दर से बीसीडी वसूली जाती थी, उनके लिए निर्यात ऑब्लिगेशन घट कर क्रमश: 18.57 फीसदी और 20.59 फीसदी हो गया।

कोई निर्यातक जो 100 रुपये मूल्य पर 7.5 फीसदी और 5 फीसदी बीसीडी की दर पर पूंजीगत उत्पादों का आयात करता है और जो 75 फीसदी निर्यात आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ है

वह इन उत्पादों के लिए क्रमश: 124.83 और 107.11 रुपये चुकाएगा। छोटे उद्योगों के लिए इसी स्थिति में निर्यात के लिए क्रमश: 93.62 और 80.33 रुपये चुकाने होंगे।कोई निर्यातक कस्टम्स को कितने बॉन्ड्स और बैंक गारंटी देगा, यह काफी हद तक बचाए गए शुल्क पर निर्भर करेगा।

शुल्क दरों में कटौती किए जाने से जमा शुल्क में भी कमी आती है और परिणामस्वरूप बैंक गारंटी की सीमा भी घट जाती है। कुछ इसी तरह से बॉन्ड और बैंक गारंटी घटने से ईपीसीजी योजना पर भी असर पड़ता है। ईओयू में बी-17 बॉन्ड और बैंक गारंटी में भी कमी देखने को मिलेगी।

ईओयू से लेकर डीटीए ब्रिकी तक डीटीए बिक्री अधिकार के दायरे में उत्पादों पर 16.78 फीसदी का उत्पाद शुल्क लगेगा, अगर इनका उत्पादन आयातित वस्तुओं से हुआ है और मूल्य वर्द्धित कर (वैट) चुका दिया गया हो।

5 नवंबर, 2008 को सेनवैट क्रेडिट नियमों में बदलाव करते वक्त एक रिवाइज्ड फार्मूला निकाला गया था, जिसके अनुसार खरीदारों को 10.56 फीसदी का क्रेडिट ले सकते हैं। यह संशोधित फार्मूला 2008 के बजट में बदलाव के बाद आना चाहिए था पर यह अब आया है।

आश्चर्य है कि वर्ष 2004 के सेनवैट क्रेडिट नियमों के तहत नियम 6 (3) में कोई बदलाव नहीं किया गया। अब भी शुल्क और गैर शुल्क उत्पादों के उत्पादकों को इस नियम के तहत गैर शुल्क उत्पादों को मंजूरी दिलाने के लिए 10 फीसदी शुल्क ही देना पड़ता है।

इसे घटकार 6 फीसदी किया जाना चाहिए था।इधर, वाणिज्य मंत्रालय ने फॉरेन ट्रेड पॉलिसी और हैंडबुक ऑफ प्रोसिजर को अनिश्चित समय के लिए वैध करार दिया है और डीईपीबी की दरें भी मई 2009 तक के लिए बनी रहेंगी।

First Published - December 21, 2008 | 11:30 PM IST

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