बंबई उच्च न्यायालय ने उस निर्णय को रद्द कर दिया है जिसमें भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) से डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स को 4,800 करोड़ रुपये चुकाने को कहा गया था। डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में समाप्त हो चुकी डेक्कन चार्जर्स फ्रेंचाइजी की मालिक है। यह मामला वर्ष 2012 में फ्रेंचाइजी की मान्यता समाप्त किए जाने से जुड़ा हुआ है।
न्यायमूर्ति गौतम एस पटेल के एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘यह निर्णय बगैर उचित कारणों के और सबूतों की अनदेखी करदिया गया था। इसमें उन विचारों को ध्यान में रखा गया जो संभव नहीं थे।’
जब वर्ष 2008 में आईपीएल की शुरुआत हुई थी तब डेक्कन चार्जर्स क्रिकेट लीग में आठ फ्रेंचाइजी में से एक थी। चार साल बाद, बीसीसीआई ने यह कहते हुए डेक्कन चार्जर्स के समझौते को रद्द कर दिया कि फ्रेंचाइजी भुगतान संबंधित दायित्वों का निर्वाह करने में विफल रही।
हैदराबाद स्थित मीडिया कंपनी डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स ने वर्ष 2008 में 10.7 करोड़ डॉलर में इस फ्रेंचाइजी को खरीदा था और तब उसने बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटाया और उससे बीसीसीआई को कोई कदम उठाने से रोकने का अनुरोध किया। बंबई उच्च न्यायालय ने बाद में सी के ठक्कर को इस विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया।
डेक्कन क्रॉनिकल ने 6,500 करोड़ रुपये का दावा ठोंका और समझौते को रद्द् करने के निर्णय का अवैध करार दिया। मध्यस्थ ने 4,800 करोड़ रुपये बीसीसीआई द्वारा डेक्कन क्रॉनिकल को चुकाए जाने का निर्णय सुनाया था, जिसमें ब्याज भी शामिल था। बाद में इस निर्णय को बीसीसीआई द्वारा बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने इस आदेश को रद्द करते हुए कहा कि बीसीसीआई 34.17 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान डेक्कन क्रॉनिकल्स होल्डिंग्स या उसकी उत्तराधिकार इकाई (जो कानूनी तौर पर रकम प्राप्त करने की हकदार हो) को करे।