बंबई उच्च न्यायालय ने यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी को निर्देश दिया है कि वह आईपीओ पेश करने से पहले अपनी विवरणिका में मौजूदा व पिछले कर्मियों के बकाए (पेंशन व अन्य बकाया) आदि से जुड़ी आकस्मिक देनदारी को शामिल करे।
जुलाई में यूटीआई के अवकाश प्राप्त व वीएसएस एम्पलॉर्यी सोशल एसोसिएशन ने ऑफिसर्स एसोसिएशन के साथ मिलकर बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दी थी और उसमें कहा गया था कि एएमसी की आईपीओ विवरिणका में कर्मचारियों के बकाए से संबंधित आकस्मिक देनदारी का जिक्र नहीं दिया गया है। यह याचिका एएमसी के इस आश्वासन पर वापस ली गई कि वह विवरणिका में देनदारी को शामिल करेगी।
अवकाश प्राप्त व वीएसएस एम्पलॉर्यी सोशल एसोसिएशन के अनुमान के मुताबिक, यह देनदारी करीब 1,250 करोड़ रुपये की हो सकती है और इसका ज्यादातर हिस्सा करीब 1,200 पुराने कर्मचारियोंं के बकाया पेंशन से जुड़ा है। यूटीआई एएमसी ने हालांकि कहा है कि इस समय देनदारी का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
कुछ महीने पहले केंद्र सरकाकर ने एक शपथपत्र दाखिल कर कहा था कि वह यूटीआई के पूर्व कर्मचारियों के पेंंशन विवाद में पक्षकार नहीं है। इस तरह से कर्मचारियों का बकाया चुकाने का पूरा भार यूटीआई एएमसी पर पड़ सकता है।
जनवरी 2019 में वित्त मंत्रालय ने विनिवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति विभाग के जरिए यूटीआई एएमसी से कहा था कि वह पिछले सभी मामले निपटाए और सुनिश्चित करे कि पूर्व कर्मियों के हक का संरक्षण यूटीआई रीपील ऐक्ट 2002 की धारा 6 के तहत हुआ है। कर्मचारियों के बकाए व देनदारी की सूचना विवरणिका में दी जानी चाहिए ताकि निवेशक आईपीओ कीमत का उचित मूल्यांकन कर सकें। उन्होंने कहा कि इन देनदारियों पर होने वाले भुगतान से एएमसी की बैलेंस शीट पर असर पड़ सकता है।यूटीआई ट्रस्ट ऑफ इंडिया पेंशन रेग्युलेशन 1994 के मुताबिक, पूर्णकालिक व अंशकालिक कर्मचारियों को पेंंशन दिया जाएगा, अगर उन्होंने सेवा में 10 साल पूरे कर लिए हों।