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देश में मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि; राज्यों को संदिग्ध मरीजों की निगरानी, इलाज की व्यवस्था बढ़ाने के दिए गए निर्देश

एमपॉक्स पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर चिकन पॉक्स की तरह चकते हो सकते हैं। इसके अलावा म्यूकोसा घाव भी हो सकते हैं, जो एक से दो सप्ताह तक रह सकते हैं।

Last Updated- September 09, 2024 | 11:04 PM IST
Monkeypox hits India; First case revealed, patient kept isolated मंकीपॉक्स ने दी भारत में दस्तक; सामने आया पहला मामला, मरीज को अलग रखा गया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को देश में एक व्यक्ति के मंकीपॉक्स (एमपॉक्स) संक्रमण से प्रभावित होने की पुष्टि कर दी है। यह एक युवक है और इसकी पहचान उजागर नहीं की गई है। हालांकि यह जरूर बताया गया है कि पीड़ित ने हाल ही में विदेश की यात्रा की थी। मंत्रालय ने कहा कि पीड़ित युवक में जिस प्रकार का एमपॉक्स संक्रमण पाया गया है, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की आपातकाल श्रेणी में शामिल नहीं है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ‘एमपॉक्स के संदिग्ध मामले की पुष्टि संक्रमण के रूप में हो गई है। प्रयोगशाला जांच में रोगी में पश्चिम अफ्रीकी क्लेड-2 के एमपॉक्स वायरस की मौजूदगी पाई गई है।’

मंत्रालय ने कहा कि यह एक अलग मामला है, जो जुलाई 2022 में दर्ज किए गए 30 मामलों की तरह है। मंत्रालय ने यह भी रेखांकित किया कि यह डब्ल्यूएचओ द्वारा रिपोर्ट की गई वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति का हिस्सा नहीं है, जो एमपॉक्स के क्लेड 1 के बारे में है।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि पीड़ित व्यक्ति एक युवा है, जो हाल ही में एमपॉक्स संक्रमण से प्रभावित देश से लौटा है। उसे वर्तमान में एक तयशुदा आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। रोगी की हालत चिकित्सकीय रूप से स्थिर है और उसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं और न ही वह किसी अन्य बीमारी से पीड़ित है।

भारत ने पहले ही इस वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों की समीक्षा की जा रही है। इससे पहले दिन में स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) पर नजर रखने और सभी संदिग्धों की जांच करने के लिए अपनी तैयारियों की समीक्षा करने को कहा है।

राज्यों को मंकी पॉक्स के मरीजों की निगरानी करने, जांच और मरीजों को चिह्नित करने के अलावा अस्पतालों में चिह्नित लोगों के आइसोलेशन की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही राज्यों को स्वास्थ्य कर्मियों, खासकर त्वचा व यौन रोगों (एसटीडी) के क्लीनिकों में काम करने वालों सहित सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने को कहा गया है।

राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटियों से भी अनुरोध किया गया है कि संदिग्ध मामलों को लेकर वे सचेत रहें और लोगों में जागरूकता बढ़ाएं क्योंकि मंकी पॉक्स के आधे मामले एचआईवी मरीजों से जुड़े हुए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने 9 सितंबर को जारी पत्र में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा जारी निगरानी की रणनीति संबंधी दिशानिर्देश अपनाने को कहा है।

दिल्ली, तमिलनाडु में जांच और निगरानी तेज

केंद्र सरकार ने एमपॉक्स मरीजों के इलाज, प्रबंधन और आइसोलेशन के लिए राष्ट्रीय राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल तथा लेडी हार्डिंग अस्पताल को नोडल केंद्र के रूप में चिह्नित किया है। इससे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली ने एमपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के इलाज एवं प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

तमिलनाडु ने भी चेन्नई, मदुरै, कोयम्बत्तूर और तिरुचिरापल्ली के चार सरकारी अस्पतालों को एमपॉक्स मरीजों के इलाज के लिए चिह्नित किया है। यहां प्रत्येक आइसोलेशन वार्ड में 10 बिस्तर निर्धारित किए गए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निगरानी और अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं ताकि संदिग्ध और पुष्टि हुए मरीजों का समय पर बेहतर इलाज हो सके। मौजूदा समय में 22 लैब में एमपॉक्स की जांच हो रही है।

इनमें पुणे की आईसीएमआर- नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी), केरल में एनआईवी फील्ड यूनिट, नई दिल्ली में एनसीडीसी लैब एवं कोलकाता की इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईपीजीएमईआर) कोलकाता शामिल हैं। नई दिल्ली और नागपुर के एम्स में भी एमपॉक्स की जांच की व्यवस्था की गई है।

अधिकारियों को सख्त निर्देश

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अस्पतालों में त्वचा रोग एवं यौन रोग (एसटीडी) क्लीनिक के कर्मियों के साथ संपर्क में रहें, ताकि एमपॉक्स के सामान्य लक्षणों के बारे में समय रहते पता चल जाए और मरीजों का इलाज हो जाए।

राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है और किसी भी संदिग्ध मरीज का पता चलने पर फौरन सूचना देने तथा लोगों में जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि एमपॉक्स के आधे मरीज एचआईवी पीड़ित बताए जाते हैं। एमपॉक्स पर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अब तक आए एमपॉक्स के मरीजों में लगभग आधे (51.9 प्रतिशत) एचआईवी से पीड़ित हैं। केंद्र ने राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों और जिला स्तर पर के अधिकारियों को एमपॉक्स को लेकर स्थानीय स्तर पर तैयारियां तेज करने और नियमित तौर पर उनका जायजा लेने का निर्देश भी दिया है।

निगरानी तंत्र को मजबूत करने की जरूरत

अपूर्व चंद्रा ने कहा कि राज्य और जिला स्तर पर संयुक्त रोग निगरानी कार्यक्रम के अंतर्गत बीमारी निगरानी यूनिटों को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया है, ताकि किसी भी संदिग्ध मरीज का समय पर पता चल जाए। डब्ल्यूएचओ का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि दुनिया भर में मिले एमपॉक्स के अधिकांश मरीज युवा हैं। इनमें भी अधिकांश 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के हैं। चंद्रा ने कहा कि यह मर्ज खासकर यौन संबंधों के कारण अधिक फैल रहा है। इसके बाद एक-दूसरे के संपर्क में आने से इसका प्रसार हो रहा है।

क्या है एमपॉक्स?

मंकीपॉक्स या एमपॉक्स जूनोटिक अथवा पशुजन्य बीमारी है। यह पीड़ित व्यक्ति की त्वचा या अन्य घावों जैसे मुंह या जननांगों के सीधे संपर्क में आने फैल सकती है। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों के उपयोग अथवा भीड़भाड़ में संपर्क से भी हो सकती है।

क्या है एमपॉक्स के लक्षण

एमपॉक्स पीड़ित व्यक्ति की त्वचा पर चिकन पॉक्स की तरह चकते हो सकते हैं। इसके अलावा म्यूकोसा घाव भी हो सकते हैं, जो एक से दो सप्ताह तक रह सकते हैं। साथ ही बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, कमर दर्द, सुस्ती और लिम्फ नोड में सूजन आदि की शिकायत हो सकती है।

क्या है एमपॉक्स के इलाज

एमपॉक्स का इलाज सहायक देखभाल के तौर पर बुखार, दर्द आदि लक्षण दिखाई देने पर ही किया जाता है। मरीज के खानपान का पूरा ध्यान रखा जाता है, शरीर में पानी की कमी न हो, इस का भी इंतजाम किया जाता है। साथ ही त्वचा की देखभाल, द्वितीयक संक्रमण की रोकथाम और एचआईवी समेत अन्य सहरोगों के इलाज पर ध्यान दिया जाता है।

क्या है एमपॉक्स के लिए टीकाकरण

इस बीमारी से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी बड़े पैमाने पर टीकाकरण संबंधी दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। भारत में भी एमपॉक्स को लेकर किसी तरह का टीका लगवाने के संबंध में फरमान जारी नहीं हुआ है।

First Published - September 9, 2024 | 11:04 PM IST

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