दिल्ली, जयपुर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में आतंकी हमलों के बाद देशभर में अचानक सुरक्षा उपकरणों की मांग बढ़ गई है।
खासकर, इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा और निगरानी उपकरणों की। सुरक्षा उपकरण निर्माताओं का अनुमान है कि इस क्षेत्र का संगठित बाजार अगले पांच सालों तक सालाना 30 फीसदी की दर से विकास करेगा।
वर्तमान में इस क्षेत्र का सालाना कारोबार 1150 करोड़ रुपये का है, जो अगले चार सालों में बढ़कर 3200 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
जिकॉम और गोदरेज सिक्युरिटीज के मुताबिक, वर्ष 2007 में सुरक्षा उपकरणों की मांग में 23 फीसदी वृद्धि हुई थी।इन सुरक्षा उपकरणों के प्रमुख खरीदार सरकारी संस्थाएं, पावर स्टेशन, हवाई अड्डे और बंदरगाह, रेलवे, अस्पताल, आईटी कंपनियां और होटल हैं।
जिकॉम इलेक्ट्रॉनिक सिक्युरिटी सिस्टम के प्रबंध निदेशक प्रमोद वी. राव के मुताबिक, धार्मिक स्थल में सुरक्षा उपकरणों की मांग में तेजी से बढ़ी है।
गोदरेज सिक्युरिटीज के उपाध्यक्ष डी.ई. बायरामजी भी इस बात को स्वीकारते हैं कि धार्मिक स्थल आतंकियों के आसान निशाने बनते हैं।
ऐसे में धार्मिक स्थल के ट्रस्टों से जुड़े अधिकारी श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सुरक्षा उपकरणों का सहारा ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम, गुजरात के अंबाजीत मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर समेत दर्जन भर धार्मिक स्थलों से सुरक्षा उपकरणों के बारे में जानकारी मांगी जा रही हैं।
इन्फॉर्मेशन उपकरण प्रदात्ता एफ एंड एस के मुताबिक, वर्ष 2007 में इलेक्ट्रॉनिक एक्सेस कंट्रोल सिस्टम्स का सालाना कारोबार 376 करोड़ रुपये का था, जबकि अग्निशमन उपकरण और अलार्म सिस्टम्स का बाजार 354 करोड़ रुपये का था।
इसके अलावा, वीडियो सर्विलांससीसीटीवी का कुल बाजार 333 करोड़ रुपये का था। इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र की इस बाजार में तीन-चौथाई हिस्सेदारी है।
इसके बावजूद संगठित क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों जिकॉम और गोदरेज के अलावा, सिमन्स, हनीपवेल और एफटेक भी शामिल हैं।गोदरेज सिक्युरिटी को वर्ष 2011-12 तक 1,000 करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है, जबकि वर्तमान में उसका कुल कारोबार 300 करोड़ रुपये का है।
जिकॉम ने पिछले वित्त वर्ष में 155 करोड़ रुपये का कारोबार किया था, जिसे बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य है।