एबीएन एमरो फ्लेक्सी डेट रेगुलर: एक समान प्रदर्शन
एबीएन एमरो फ्लेक्सी डेट रेगुलर फंड को साल 2004 के सितंबर महीने में लॉन्च किया गया था। इस फंड का लक्ष्य लाभ, सुरक्षा और तरलता का इष्टतम संतुलन बनाए रखना है। अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए फंड लचीलेपन का काफी लाभ उठाता है। यह फंड अल्पावधि के साथ-साथ दीर्घावधि की परिपक्वता वाले ऋण उपकरणों और सिक्योरिटाइज्ड ऋणों में भी निवेश कर सकता है।
पिछले दो वर्षों में इस फंड का प्रदर्शन बढ़िया रहा है। साल 2007 में इसने 8.39 प्रतिशत और साल 2006 में 9.42 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। ये प्रतिफल श्रेणी के औसत प्रतिफल 7.62 प्रतिशत और 5.96 प्रतिशत से कहीं अधिक हैं। यह फंड निवेश की गुणवत्ता के मामले में काफी सतर्क है और कोष का लगभग 70 प्रतिशत एएए और पी1+ रेटिंग वाले पेपर्स में निवेश करती है और यही वजह है कि इस फंड का प्रतिफल अपेक्षाकृत अधिक रहा है। एए से कम रेटिंग वाले पेपर्स में इस फंड का निवेश अधिकतर लगभग 8 प्रतिशत का रहा है।
यद्यपि जुलाई 2007 में एए से कम रेटिंग वाले पेपर्स में इसका निवेश 40 प्रतिशत तक था जिससे इस फंड को अपेक्षाकृत अधिक प्रतिफल प्राप्त करने में मदद मिली। ब्याज दर परिदृश्यों से फायदा उठाने के मामले में यह फंड काफी जाना माना है। औसत परिपक्वता के मामले में भी इस फंड में काफी बदलाव देखा गया है। जुलाई 2005 में यह जहां 4,000 दिनों का था वहीं 1 जनवरी 2008 को यह एक दिन रह गया है। जनवरी 2887 से फंड ने कॉमर्शियल पेपर, जमा प्रमाणपत्र और सरकारी एवं निजी बैंकों द्वारा जारी की गई प्रतिभूतियों में अपना निवेश बरकरार रखा है।
जून 2008 में पोर्टफोलियो में मैरिको लिमिटेड और अपोलो टायर्स जैसे कॉर्पोरेट के कॉमर्शियल पेपर की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत की थी। खर्च के नजरिये से भी यह फंड ठीक रहा है। सितंबर 2005 में इसका एक्सपेंस रेशियो 2.25 प्रतिशत था जो मार्च 2008 में घट कर 0.73 प्रतिशत रह गया है। उल्लेखनीय है कि बराबरी के फंडों का एक्सपेंस रेशियो 0.78 प्रतिशत है।
बिड़ला डायनामिक बॉन्ड फंड: सकेंद्रित पोर्टफालियो
बिड़ला डायनामिक बॉन्ड फंड का उद्देश्य ब्याज दर परिस्थितियों को देखते हुए उन बॉन्ड्स की अवधियों का प्रबंधन करना है जिनमें यह डायनामिक रुप से निवेश करता है। इस फंड का बेंचमार्क क्रिसिल का कॉम्प बीएफएल है। इस फंड के प्रदर्शन में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है।
साल 2007 में इसने नौ प्रतिशत से अधिक का प्रतिफल दिया था जो बराबरी के फंडों के प्रतिफल की तुलना में लगभग दो प्रतिशत अधिक था। इससे पहले के सालों में भी इस फंड ने औसत से बेहतर प्रतिफल देने में सक्षम रहा है। औसत से बेहतर प्रतिफल देने की सक्षमता और अपेक्षाकृत कम जोखिम की बदौलत यह फंड मध्यावधि वाले फंड वर्ग में अव्वल स्थान प्राप्त करने में सफल रहा है।
इस फंड के मैंडेट के अनुसार, ब्याज दर की गतिविधियों से लाभ कमाने के लिए इसका प्रबंधन प्रत्यक्ष रुप से किया जाता है। दिसंबर 2007 में इस फंड के निवेश की औसत परिपक्वता अवधि बढ़ा कर 11 साल कर दी गई थी जो पहले तीन साल थी। जनवरी 2008 में फिर से इसने औसत परिपक्वता अवधि में भारी कमी लायी जो मात्र 11 दिनों की थी।
कॉल मनी, अल्पावधि के उपकरणों जैसे कॉमर्शियल पेपर और जमा प्रमाणपत्र में अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा निवेश करता है। दीर्घावधि के लिए यह डीबेन्चर या सरकारी प्रतिभूतियों में प्राथमिक तौर पर निवेश करता है। ज्यादा जोखिम वाले और अपेक्षाकृत कम तरल स्ट्रक्चर्ड ऑब्लिगेशन से यह फंड दूर ही रहा है। इस फंड के लिए प्रतिफल से ज्यादा महत्वपूर्ण निवेश की तरलता रही है। यही वजह है कि उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों में इस फंड ने भारी निवेश किया हुआ है।
प्रत्यक्ष प्रबंधन को यह फंड एक अन्य स्तर पर ले गया है। मार्च 2008 से इस फंड ने निधियों के आगमन और बाहर जाने का सक्रिश् प्रबंधन करना शुरू कर दिया है और इसके लिए महीने में दो बार निकासी प्रभार घटाया और बढ़ाया गया। इस फंड का प्रदर्शन, पोर्टफोलियो की गुणवत्ता और कम जोखिम मध्याावधि की श्रेणी में इसे निवेश का एक आकर्षक विकल्प बनाता है।
आईसीआईसीआई प्रू फ्लेक्सिबल इनकम: असमान प्रदर्शन
आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल फ्लेक्सिबल इनकम फंड को दिसंबर 2002 में लॉन्च किया गया था ताकि यह ब्याज दर की गतिविधियों से अल्पावधि या दीर्घावधि की प्रतिभूतियों में निवेश कर लाभ कमा सके और अन्य इनकम फंडों से अलग कुछ अधिक प्रतिफल दे सके। इस फंड का बेंचमार्क क्रिसिल का कंपोजिट इंडेक्स है।
क्या यह फंड अपने उद्देश्य में कामयाब रहा है? इसका जवाब हां भी है और नहीं भी। ब्याज दर गतिविधियों के अनुमान के मामले में यह फंड अन्य फंडों की तुलना में ज्यदा आशावादी रहा है। पहले साल में तो इसकी आशावादी नीति काम कर गई लेकिन बाद के वर्षों में वह काम नहीं आ सकी।
साल 2004 और 2005 में ब्याज दरें बढ़नी शुरू हुई थी। और यह फंड जो साल 2003 में 9.86 प्रतिशत का प्रतिफल देकर शीर्ष स्थान पर बैठा था, फिसल गया। साल 2004 में इसने केवल 1.26 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। इस फंड पर से निवेशकों का भरोसा उठता चला गया और नवंबर 2003 से मार्च 2006 के बीच इस फंड के कोष में 5000 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। उस समय इसके फंड प्रबंधक रहे राहुल गोस्वामी ने विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए निवेश उपकरणों की औसत परिपक्वता अवधि घटाई।
मार्च 2006 से इस फंड की औसत परिपक्वता अवधि 4.32 महीने के आसपास रही है जबकि इस श्रेणी की औसत परिपक्वता अवधि 1.02 वर्ष की है। इससे ब्याज दर गतिविधियों से पड़ने वाला प्रभाव अपेक्षाकृत कम हुआ है। इस फंड ने निरंतर लगभग 8 प्रतिशत का वार्षिक प्रतिफल दिया है।एक समय था जब इस फंड का प्रबंधन अप्रत्यक्ष तरीके से किया जाता था। मार्च 2006 से इस फंड ने अपनी परिसंपत्तियों का औसतन लगभग 61.87 प्रतिशत बैंक जमाओं में निवेश करना शुरू कर दिया।
अप्रैल 2007 में जब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने म्युचुअल फंडों को यह आदेश दिया कि वे बैंक जमाओं में अपना निवेश सीमित करें तो यह फंड जैसे नींद से जागा। औसत से कम परिपक्वता अवधि और कम एक्सचेंस रेशियो के कारण यह फंड अल्पावधि के वैसे निवेशकों के लिए बढ़िया है जो कम जोखिम के साथ एक जैसा प्रतिफल पाना चाहते हैं।