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ऊंचे डिपॉजिटरी शुल्क पर ऐंजल फंड्स की SEBI से फरियाद

फंड के न्यूनतम 20 करोड़ के आकार के हिसाब से डिपॉजिटरी ने शुल्क सारिणी दी है। इस तरह हर कोई शुरुआत से ही ऊंचे कर के दायरे में है।

Last Updated- February 27, 2024 | 10:25 PM IST
Low-volatility index funds, ETFs show lower drawdowns and higher returns

कई ऐंजल फंडों ने बाजार नियामक सेबी से संपर्क कर ज्यादा डिपॉजिटरी शुल्क का मसला उठाया है। यह शुल्क उनके लाभ पर असर डाल रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। ऐंजल फंड ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) की श्रेणी 1 में आते हैं। वे स्टार्टअप में निवेश करते हैं और ऐंजल निवेशकों से रकम जुटाते हैं। एआईएफ पूल्ड इन्वेस्टमेंट व्हीकल हैं, जो एचएनआई निवेशकों और संस्थानों को अपनी सेवाएं देते हैं।

बाजार नियामक ने हाल में कुछ बदलाव किए हैं। इनके मुताबिक 500 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा कोष वाले फंडों को 31 जनवरी तक अपने निवेशकों के डीमैट खातों में यूनिट क्रेडिट करने थे। 500 करोड़ रुपये से कम कोष वाली योजनाओं को इसका अनुपालन 10 मई तक करना है। डिपॉजिटरी लागतों में एकमुश्त प्रवेश शुल्क, खाते के रखरखाव का शुल्क और कॉरपोरेट ऐक्शन चार्ज शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक फंडों ने ऊंचे कॉरपोरेट ऐक्शन चार्ज का मसला उठाया है।

ऐंजल फंड का प्रबंधन करने वाले एक ट्रस्टी ने कहा कि यूनिट इश्यू करने वाले के तौर पर एआईएफ को हर निर्देश पर कॉरपोरेट ऐक्शन चार्ज देना होता है, जो वे संबंधित डीमैट को देते हैं। यह उन ऐंजल फंडों के लिए चुनौती होगी जहां 500 से ज्यादा निवेशक हैं क्योंकि उनके लिए यही लागत लाखों में हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि आईएसआईएन (जो प्रति योजना प्रति शेयर वर्ग के तौर पर सृजित किया जाता है) एक तरह का कॉरपोरेट ऐक्शन है। इसके मुताबिक यह ऐंजल फंडों के लिए महंगा हो जाता है जो कई शेयर श्रेणियों में कई योजनाओं का परिचालन करते हैं। ऐंजल फंडों को ये शुल्क पूंजी जुटाने, आवंटन और वितरण और इसी तरह की अन्य गतिविधियों पर चुकाने होते हैं। निवेशक ज्यादा होने से ये शुल्क काफी बड़े हो जाते हैं।

एक अन्य सूत्र ने कहा कि 1,000 से ज्यादा निवेशकों वाले ऐंजल फंड जो कई तरह के निवेश में शामिल हैं, उन्होंने यह मामला उठाया है। फंड के न्यूनतम 20 करोड़ के आकार के हिसाब से डिपॉजिटरी ने शुल्क सारिणी दी है। इस तरह हर कोई शुरुआत से ही ऊंचे कर के दायरे में है।

उन्होंने कहा कि ऐंजल फंड इस तरह से बनाए जाते हैं कि उनकी योजना में हर सौदा हो और निवेशकों के अलग-अलग अधिकार हों। काफी कम निवेशकों वाले किसी अन्य एआईएफ के मामले में ऐंजल फंड काफी ज्यादा वेरिएशन होते हैं।

सूत्रों ने कहा कि इन मसलों की चर्चा बाजार नियामक से साथ हुई है लेकिन ये शुल्क सेबी से संबंधित नहीं हैं। ऐसे में फंडों को बहुत ज्यादा राहत शायद नहीं मिल पाएगी। इस बारे में जानकारी के लिए सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

First Published - February 27, 2024 | 10:19 PM IST

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