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अरविंद मिल्स-घटी बिक्री

Last Updated- December 06, 2022 | 11:41 PM IST

डेनिम के वॉल्यूम की कम बिक्री और कॉटन की ऊंची कीमतों की वजह से अरविंद मिल के ऑपरेटिंग मार्जिन में 3.7 फीसदी की गिरावट आई और यह मार्च 2008 की तिमाही में गिरकर 10.8 फीसदी के स्तर पर आ गया।


इस 2,655 करोड़ के टेक्सटाइल कंपनी का मार्जिन भी नये स्टोर को बंद करने और कपड़ों के ब्रांड का प्रचार करने से भी प्रभावित हुआ। हालांकि कि कंपनी के ब्रांडेड कपड़ों की बिक्री बढ़ी जिससे कंपनी को 35 फीसदी का राजस्व बढ़त बढ़ानें में मद्द मिली। घरेलू बाजार में आपूर्ति केज्यादा होने से डेनिम के दाम में सुधार हुआ और यह 105 रुपये प्रति मीटर के स्तर पर आ गया।


लेकिन पिछले कुछ महीनों में मांग बढ़ने से डेनिम की कीमत फिर बढ़ी है। इसके अतिरिक्त कॉटन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और यह इस समय करीब छ: से दस फीसदी ज्यादा रहा। अमेरिकी  बाजार में कम खुदरा मांग और रुपये में जारी उतार-चढ़ाव ने डेनिम केकारोबार को प्रभावित किया है। डेनिम केकारोबार से अरविंद मिल के कुल संचित राजस्व का एक तिहाई भाग आता है।


ब्रांडेड परिधानों का क्षेत्र कंपनी के लिए फोकस एरिया बना हुआ है और इस क्षेत्र से प्राप्त राजस्व में 34 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई। कंपनी की अगले कुछ महीनों में और मेगा मार्ट डिस्काउंट स्टोर खोलने की योजना है जिनकी अभी संख्या 85 है।


अगले पांच सालों में कंपनी की योजना अपने आउटलेट की संख्या बढ़ाकर 275 करने की है और इसके लिए कंपनी लगभग 400 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। अगले कुछ सालों में इस कारोबार से प्राप्त राजस्व बढ़ना चाहिए और अगले कुछ सालों में इसके 24 फीसदी के करीब रहना चाहिए।


हालांकि 11 फीसदी केऑपरेटिंग प्रॉफिट के साथ यह सेगमेंट खासा फायदेमंद है लेकिन बढ़ते रेंटल,ब्रांड मार्केटिंग में होने वाले खर्चों और नऐ स्टोर बनाने में लगने वाले खर्चे की वजह से लागत बढ़ सकती है। कंपनी अपने कुछ कारोबार की अनलॉकिंग भी कर सकती है क्योंकि उसका कोर बिजनेस अब ज्यादा फायदेमंद नही रह गया है। इसकेलिए कंपनी रियल एस्टेट के विकास पर फोकस कर रही है।


इससे कंपनी को कर्ज के निपटारे में भी मद्द मिलेगी। कंपनी की आय में उसकी रिटेल कारोबार का अच्छा खासा योगदान है। मौजूदा बाजार मूल्य 50 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 32 गुना केस्तर पर हो रहा है और यह इस समय महंगा है।
 
एसीसी सीमेंट-मुश्किल में


सरकार की सीमेंट की कीमतों को नियंत्रित करने के ऐलान केबीच गुरुवार को सीमेंट के स्टॉक जिसमें अबुंजा सीमेंट और ग्रैसिम सीमेंट शामिल हैं ,अपने 52 हफ्तों के निचले स्तर पर बंद हुए। हालांकि कि उद्योग बिजली और तेल की बढ़ती कीमतों से जूझ रहा है,सीमेंट की कीमतें पिछले साल की तुलना में 15 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ी हैं।


इस समय सीमेंट का मूल्य 1700 रुपये प्रति टन है। इसी वजह से देश में सबसे ज्यादा सीमेंट बनाने वाली कंपनी एसीसी के परिणाम आशाओं के अनुरुप नहीं रहे। एसीसी सीमेंट का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 4.1 फीसदी गिरकर 26.2 फीसदी पर आ गया। जबकि कुल बिक्री में भी सिर्फ सात फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई और यह 1,796 करोड़ रहा।


वित्त्तीय वर्ष 2007 में एसीसी का संचित ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 3.5 फीसदी अंक बढ़कर 27.3 फीसदी पर था जबकि कंपनी पर फ्रेट की परिचालन लागत का दबाव भी था। जबकि प्रतियोगी कंपनी अल्ट्राटेक सीमेंट ओपीएम का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 2.6 फीसदी सुधरकर 30.5 फीसदी पर पहुंच गया। कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट के बढ़ने में वसूली का अच्छा खासा योगदान रहा जो कि 16 फीसदी बढ़कर 3,372 प्रति टन पर पहुंच गया।


वित्त्तीय वर्ष 2008 की पहली तिमाही में एसीसी सीमेंट का डिस्पैच सात फीसदी ज्यादा रहा था यद्यपि कुल वापसी 3,300 प्रति टन के स्तर के साथ सपाट रही थी। कंपनी की अगले 12 महीनों के दौरान अपनी क्षमता में 200 लाख टन का इजाफा करने की योजना है। इसके अतिरिक्त सीमेंट पर हालिया रोक और क्लिंकर निर्यात पर लगी रोक से 40 से 50 लाख टन अतिरिक्त सीमेंट की आपूर्ति हो सकती है।


बाजार में 100 लाख से 110 लाख टन अधिक सीमेंट की अतिरिक्त उपलब्धता से कीमतों में गिरावट आ सकती है। विश्लेषकों का तो यहां तक मानना है कि कीमतें 10 से 15 फीसदी तक कम हो सकती हैं। मौजूदा बाजार मूल्य 666 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 12 गुना के स्तर पर हो रहा है। यह बाजार की माहौल केअनुसार महंगा है।

First Published - May 14, 2008 | 11:44 PM IST

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