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एशियन पेंट्स-फीकी तिमाही

Last Updated- December 06, 2022 | 11:04 PM IST

देश की प्रमुख पेंट निर्माता कंपनी एशियन पेंटस की मार्च 2008 की तिमाही केपरिणाम आशा के अनुरुप नहीं रहे।


4,404 करोड़ की इस कंपनी की बिक्री इस तिमाही सिर्फ 18 फीसदी ज्यादा रही। हालांकि यह इस उद्योग के औसत से ठीक है। लेकिन कंपनी को इसके लिए घरेलू मांग को शुक्रिया करना चाहिए।


कंपनी के कुल लाभ में भी 48 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई लेकिन इसकी वजह कंपनी के खर्चों में थोड़ी ही बढ़त और टैक्स रेट का कम रहना रहा। कंपनी की बढ़त में इसकेउत्पादों के वैल्यू और वॉल्यूम दोनों का योगदान रहा हालांकि कंपनी ने अपने डेकोरेटिव पेंट के सेगमेंट में एक फीसदी की बढ़ोत्तरी अवश्य की।


अगर पिछली कुछ तिमाहियों से तुलना की जाए तो दिसंबर 2007 की तिमाही और जून 2007 की तिमाही में जब उपभोक्ताओं की मांग तुलनात्मक रुप से ज्यादा रहती है,कंपनी ने अच्छी बढ़त दिखाई। दोनों तिमाहियों में कंपनी की बढ़त क्रमश:26 फीसदी और 24 फीसदी रही। हालांकि सितंबर 2007 की तिमाही में जब बरसात की वजह से उपभोक्ताओं की मांग कम रहती है,कंपनी की बढ़त मात्र 13.5 फीसदी रही।


मार्च की तिमाही में भी हाउसिंग और इंडस्ट्रीयल सेक्टर दोनों से कमजोर मांग देखी जा रही है। कंपनी के लिए सकारात्मक बात उसके ऑपरेटिंग प्रॉफिट का बढ़ना रहा। यह 1.5 फीसदी बढ़कर 13.7 फीसदी हो गया। इसकेलिए कंपनी को मजबूत रुपए का शुक्रगुजार होना चाहिए जिससे कंपनी को कच्चे माल के बिलों को कम रखने में मद्द मिली।


विशेषकर कच्चे तेल के बिलो के भुगतान में कंपनी को राहत मिली। वित्त्तीय वर्ष 2008 में कंपनी का संचित ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन दो फीसदी बढ़कर 15 फीसदी हो गया। लेकिन भविष्य में कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट केदबाव में रहने की संभावना है क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। जिससे कंपनी को कच्चे माल केलिए ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।


एशियन पेंटस एक मजबूत ब्रांड है लेकिन कंपनी का लाभ इस पर भी निर्भर करेगा कि उपभोक्ता उसके कीमतें बढ़ाने के फैसले को किस प्रकार लेते हैं। मौजूदा बाजार मूल्य 1200 रुपये पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 24 गुना के स्तर पर हो रहा है और इसे मार्केट परफार्मर बने रहना चाहिए।


शापर्स स्टॉप-धीमा रहा विस्तार


लीज और रेंटल पर ली गई परिसंपत्तियों के लिए किए गये ऊंचे भुगतान से 1,159 करोड़ की कंपनी शापर्स स्टॉप का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 4.3 फीसदी पर आकर रुक गया।


मार्च 2008 की तिमाही में इसमें 2.7 फीसदी की गिरावट आई। इसके बजाय कंपनी ने 38 फीसदी की अच्छी टॉप लाइन ग्रोथ दर्ज की। कंपनी ने हाल में ही अपनी ब्रांड पोजिशन में फेरबदल किया है और कंपनी का खुद को लक्जरी सेगमेंट में स्थापित करने का इरादा है।


कंपनी के अच्छे टॉपलाइन ग्रोथ की वजह कंपनी का अपने कारोबार को नए स्थानों तक फैलाना,स्टोर की सेल का बेहतर रहना रहा। लेकिन इससे कंपनी केराजस्व ग्रोथ में अवश्य कमी आई और यह 34 फीसदी के अंदर आकर सिमट गया। हालांकि की कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 3.1 फीसदी गिरकर 4.7 फीसदी पर आ गया जबकि कंपनी के नेट प्रॉफिट में 89 फीसदी की गिरावट आई और यह मात्र 2.7 करोड़ रुपये रहा।


कंपनी को अपने होम स्टॉप फॉरमेट से नुकसान झेलना पड़ा। डिपार्टमेंट फॉरमेट केलिए वित्त्तीय वर्ष 2008 की तिमाही में कंपनी की बढ़त 16 फीसदी रही यद्यपि यह पिछले साल की इसी तिमाही की अपेक्षा धीमी है लेकिन दिसंबर की तिमाही में अर्जित 13 फीसदी ग्रोथ की अपेक्षा यह ज्यादा है।


जबकि शापर्स की सेम स्टोर सेल उसके प्रतियोगियों की अपेक्षा अच्छी रही है लेकिन यह धीमी गति से अपने कारोबार का प्रसार कर रहा है। इस रिटेल कंपनी के पास देश के 15 से अधिक शहरों में फैले अपने 100 से भी अधिक स्टोर में 17 लाख वर्ग फुट की जगह है लेकिन वित्त्तीय वर्ष 2008 में कंपनी ने मात्र चार लाख वर्ग फुट जगह का विस्तार किया।


कंपनी को अपने कुछ नऐ शुरु किए गये कारोबारों जैसे क्रासवर्ड और मदरकेयर से फायदा पहुंचा है लेकिन दूसरे फॉरमेट से जारी नुकसान के बने रहने के आसार हैं। हालांकि रिटेलर ने देश भर में अपने कारोबार का तेजी से प्रसार किया है लेकिन देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह पर्याप्त नहीं हैं।


जबकि कंपनी का 500 करोड़ का इश्यू अभी कतार में है लेकिन कंपनी के स्टॉक का मौजूदा बाजार मूल्य 400 रुपये पर स्थिर रहने केआसार हैं। इस कीमत पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2008 में अनुमानित आय से 85 गुना केस्तर पर हो रहा है और कंपनी का कोई बेसमेंट बार्गेन नहीं है।

First Published - May 13, 2008 | 10:29 PM IST

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