नुवामा इंस्टिट्यूशनल ने एक नोट में कहा है कि 50 कंपनियों के करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये के शेयरों से पाबंदी यानी लॉक इन अवधि अभी से लेकर 31 जनवरी के बीच समाप्त हो जाएगी। हाल के हफ्तों या महीनों में बाजार में उतरने वाली कंपनी के ज्यादातर शेयर प्रवर्तकों, रणनीतिक निवेशकों या सूचीबद्धता पूर्व रहे शेयरधारकों के पास हैं।
जिन शेयरों की लॉक अप अवधि अगले दो महीनों में समाप्त होने वाली है, उनमें फूड डिलिवरी फर्म स्विगी (3 फीसदी इक्विटी), शापूरजी पलोनजी समूह की एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर (5 फीसदी) और सरकारी स्वामित्व वाली नवीकरणीय ऊर्जा फर्म एनटीपीसी ग्रीन ( 2 फीसदी) शामिल है।
लॉक-इन अवधि की समाप्ति का इन कंपनियों पर असर पड़ सकता है क्योंकि कुछ निवेशक हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकते हैं। एक्पायरी की अवधि खत्म होने से भी कुछ वैश्विक सूचकांकों में इन शेयरों का वेटेज अधिक हो सकता है।
नुवामा ने कहा कि यह मूल्य लॉक-अप वाले शेयरों के बिक्री से संबंधित है लेकिन ये सभी शेयर बिक्री के लिए नहीं आएंगे क्योंकि इन शेयरों का एक बड़ा हिस्सा प्रवर्तक और समूह के पास भी है। आईपीओ से पहले एंकर श्रेणी में निवेशकों को आवंटित आधे शेयरों पर 30 दिन का लॉक-अप होता है जबकि बाकी आधों में 90 दिन का। इस बीच, प्री-लिस्टिंग वाले कुछ शेयर छह, 12 या 18 महीने के लॉक-अप के दायरे में हो सकते हैं।