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बुच व 5 अन्य के खिलाफ विशेष अदालत के आदेश पर रोक

ऐसा लगता है कि विद्वान न्यायाधीश ने विवरण पर गौर किए बिना या अधिकारियों की विशिष्ट भूमिका बताए बिना यांत्रिक तरीके से आदेश पारित कर दिया है।

Last Updated- March 04, 2025 | 10:26 PM IST
Madhabi Puri Buch

बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विशेष अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच, तीन मौजूदा पूर्णकालिक सदस्यों और बीएसई के दो अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था। यह आदेश शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघनों के मामले में दिया गया था।

मामले पर न्यायमूर्ति एस जी दिगे ने कहा, ऐसा लगता है कि विद्वान न्यायाधीश ने विवरण पर गौर किए बिना या अधिकारियों की विशिष्ट भूमिका बताए बिना यांत्रिक तरीके से आदेश पारित कर दिया है। मामले को चार हफ्ते के लिए टाल दिया गया है और याची सपन श्रीवास्तव को जवाब दाखिल करने के लिए वक्त दिया गया है।

सेबी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत ने पहले याची को अंगभीर याचिका दायर करने का दोषी पाया था, कई मौकों पर जुर्माना लगाया गया और यहां तक ​​कि जबरन वसूली के लिए उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश भी दिया गया। मेहता ने कहा कि काल्स रिफाइनरीज को 1994 में बीएसई में सूचीबद्ध किया गया था जबकि याची के आरोपों में मौजूदा अधिकारी शामिल किया गया जो उस समय मामले में शामिल नहीं थे।

बीएसई के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररामन राममूर्ति और पूर्व अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अमित देसाई की दलील थी कि अगंभीर याचिका दायर करना याची का शगल बन गया है। देसाई ने तर्क दिया कि विशेष अदालत याचिकाकर्ता से पूछताछ करने या इस मामले में उचित जांच करने में विफल रही, जिसे उन्होंने दुर्भावनापूर्ण मामला बताया।

देसाई ने यह भी कहा कि याची द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में सेबी ने कहा था कि काल्स रिफाइनरीज की लिस्टिंग के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) उपलब्ध नहीं था, लेकिन याची ने झूठा दावा किया कि कोई एनओसी नहीं दी गई थी। काल्स रिफाइनरीज 2019 में खत्म हो गई और अगस्त 2019 से इसके शेयरों की ट्रेडिंग निलंबित कर दी गई थी। हालांकि याचिकाकर्ता ने जुलाई 2023 में ही सेबी के स्कोर्स पोर्टल पर शिकायत दर्ज की और मार्च 2024 में सेबी अध्यक्ष को पत्र लिखा। अपनी दलील पेश करते हुए श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि नियामक के पास एनओसी तथा एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कई अन्य कंपनियों के बारे में जानकारी का अभाव है।

First Published - March 4, 2025 | 10:26 PM IST

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