जून की तिमाही में भारती एयरटेल ने 41.5 फीसदी का कंसोलिडेटेड ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन बरकरार रखा।
27,025 करोड़ की भारती ने नेटवर्क ऑपरेटिंग कॉस्ट में लगातार बढ़ रहे खर्चे को बिक्री, विज्ञापन और कर्मचारियों पर खर्चे को घटाकर संतुलित किया। इस वजह से कंपनी बेहतर ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन भी अर्जित कर सकी।
लोअर टैरिफ, रोमिंग शुल्क में कमी और लंबी दूरी की कॉल्स में लगने वाले शुल्क को कम करने से कंपनी की लाभ प्राप्त करने की क्षमता कम हो सकती है। कंपनी का औसत राजस्व प्रति उपयोगकर्ता 357 रुपए से घटकर 350 रुपए पर आ गया। कंपनी के प्रति मिनट राजस्व में भी पांच फीसदी की गिरावट देखी गई और यह मार्च तिमाही के 72 पैसे की जगह जून की तिमाही में 66 पैसे पर आ गया।
इस प्रकार इसमें आठ फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि देश की सबसे बड़ी वायरलेस कंपनी की बढ़त लगातार जारी है और कंपनी ने जून की तिमाही में 75 लाख नए ग्राहक जोड़े। जिससे कंपनी को अपने राजस्व को 8.5 फीसदी बढ़ाने में मद्द मिली और यह 8,483 करोड़ पर पहुंच गया। कंपनी का मिनट ऑफ यूजेस लगातार बढ़ रहा है और यह पिछली तिमाही के 507 मिनट से बढ़कर 537 प्रति मिनट पर पहुंच गया। कुल मिनट उपयोग में भी करीब 18 फीसदी का सुधार देखा गया। लेकिन मोबाइल डिविजन की लाभ प्राप्त करने की क्षमता दबाव में है।
कंपनी की परिचालन लागत भी पहले से कम रही और 30.7 फीसदी पर कंपनी की तुलना पिछली तिमाही से नहीं की जा सकती है क्योंकि कैरेज चार्जेज में बदलाव आए हैं। कंपनी के प्रबंधकों को विश्वास है कि मोबाइल टैरिफ के आगे भी गिरने की संभावना है। गैर-मोबाइल कारोबार से प्राप्त लाभ के भी गिरने की संभावना है क्योंकि इंटरप्राइस और टेलीमीडिया सर्विस का लाभ तेजी से गिर रहा है जबकि टेलीमीडिया से प्राप्त लाभ ज्यादा उतार-चढ़ाव वाला नहीं होता है।
भारती अपनी कवरेज बढ़ाने पर लगातार फोकस कर रही है और उपभोक्ता बाजार के 74 फीसदी हिस्से तक इसकी पहुंच है। हालांकि मोबाइल सर्विस के क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे नए खिलाड़ियों से टैरिफ में और कमी आ सकती है। मौजूदा बाजार मूल्य पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 16.6 गुना पर हो रहा है। यह महंगा नहीं है क्योंकि उद्योग के विश्लेषकों को भरोसा है कि टेलीकॉम उद्योग की लाभ प्राप्त करने की क्षमता आगे और बढेगी।
रिलायंस-औसत लाभ
रिलायंस इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन बाजार के आशाओं के अनुरुप नहीं रहा। रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ बन रहे राजनीतिक माहौल के बीच बाजार रिलायंस इंडस्ट्रीज से ज्यादा बेहतर परिणामों की उम्मीद भी नहीं कर रहा था। लेकिन परिणाम उतने भी अच्छे नहीं रहे जितना कि कुछ विश्लेषकों को अनुमान था। ग्रास रिफाइनिंग मार्जिन पिछली तिमाही की अपेक्षा इस तिमाही में 15.7 डॉलर प्रति बैरल रही।
इसमें इतनी कम बढ़त कंपनी के लिए परेशानी की वजह रही। कच्चे तेल की कीमतों में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी के बीच ग्रास रिफाइंनिग का इतना ही बढ़ना परेशान करने वाली बात जरुर है। हालांकि कंपनी को क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों की वजह से कही न कहीं राजस्व हासिल करने में भी मद्द मिली। लेकिन कंपनी को उतना फायदा भी नहीं मिला जितने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।
जबकि रिलायंस के पास विश्व की सबसे बेहतर काम्प्लेक्स रिफायनरी में से एक है जो कि सबसे बेहतर लाभ पर तेल की रिफायनिंग करती है। लेकिन इस रिफायनर का जीआरएम चेन्नई रिफायनरी के 15.9 डॉलर प्रति बैरल की अपेक्षा कम है। रिलायंस को भी रुपये में आने वाली गिरावट से काफी फायदा मिला है। इसप्रकार 81.3 लाख टन के ऊंचे वॉल्यूम के बावजूद कंपनी की इबिडटा मार्जिन 9.3 फीसदी के निचले स्तर पर रही है जो कि सालाना आधार पर दो फीसदी कम है। यह परेशान करने वाली बात है क्योंकि रिफाइनिंग रेवेन्यू 46 फीसदी ज्यादा रहा है।
कंपनी का पेट्रोकेमिकल सेगमेंट से प्राप्त राजस्व भी 3.5 फीसदी कम रहा। जिससे ऑपरेटिंग मार्जिन में भी दो फीसदी की कमी आई। हालांकि कंपनी का राजस्व सालाना आधार पर 41 फीसदी ज्यादा रहा। हालांकि विश्लेषकों को विश्वास है कि कंपनी के लाभ में इनवेंटरी अंक बाद में शामिल होंगे। कंपनी को कृष्णा गोदावरी बेसिन के गैस के उत्पादन के शुरु हो जाने का फायदे में विंडफाल टैक्स लगाने की बात से दीमक लग सकता है।