इस हफ्ते के पहले दो दिनों के भीतर वाइस इंवेस्ट फाइनेंशिएल एडवाइजर्स के सीईओ हेमंत रस्तोगी को 15 से 20 फोन कॉल आईं हैं।
सारे फोन कॉल निवेशकों के हैं और वह जानना चाहते हैं कि क्या बाजार का बुरा दौर खत्म हो चुका है? और हमारे पास इस सवाल का कोई जबाव नहीं है। रस्तोगी ऐसे केवल एक व्यक्ति नही हैं जिन्हें इस तरह के मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
एंजेल ब्रोकिंग के हितांग्शू देबनाथ पिछले कई महीनों से अपने ग्राहकों से इस बारे में बातचीत करते रहे हैं। उन्होने माना कि पिछली जनवरी से लगातार बाजार से बुरी खबरें मिलने से निवेशकों की हालत खराब कर रखी है। मेरिल लिंच के अधिग्रहण जैसी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं ने भी इसे और बढ़ाया है।
इस घटना के बाद से वित्तीय योजनकर्ताओं के पास उनके ग्राहकों के लगातार फोन कॉल आ रहे हैं। वजह जाहिर सी है कि मेरिल लिंच की बिक्री के बाद डीएसपी मेरिल लिंच फंड का क्या होगा? इस जनवरी से बेयर स्टन्र्स, लीमन ब्रदर्स, मेरिल लिंच एवं सिटी बैंक ये सभी चर्चा में तो रहे हैं पर किसी बेहतर वजह या नतीजों से संबंधित नही बल्कि बुरी खबरों के कारण ही।
इनकी बुरी हालतों का ही तकाजा है कि दुनियाभर के वित्तीय बाजार बुरी स्थिति में पहुंच चुके हैं। म्युचुअल फंडों से मिलने वाले रिटर्नों का जहां तक सवाल है तो इसमें भी खासी गिरावट दर्ज हुई है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक इक्विटी फंडों से मिलने वाले रिटर्नों में पिछले महज एक साल के अंदर 16 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है जबकि इक्विटी टेक्नोलॉजी एवं ऑटो भी बेहतर प्रदर्शन कर पाने में नाकाम ही साबित रहे। इनसे मिलने वाले रिटर्नों में क्रमश: 27 फीसदी एवं 23 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
ऐसी स्थितियों में भविष्य के बारे में पूर्वानुमान कर पाना तो मुश्किल है पर निवेश विशेषज्ञों के मुताबिक यह बिल्कुल बुरी स्थिति या फिर बेहद खराब दौर नही है। देबनाथ के मुताबिक नए निवेशक थोड़ा थोड़ा पैसा निवेश करने वाली रणनीति अपना सकते हैं। ठीक इसी प्रकार काम एक घरेलू महिला सुभा शुक्ला कर रही हैं।
शुक्ला छह महीने पहले बाजार छोड़ दिया था पर पिछले एक महीनों से उन्होने निवेश करना प्रारंभ कर दिया है। जबकि जिन लोगों ने म्युचुअल फंडों में एकमुश्त रकम जमा कर रखी है उनके लिए यह बेहतर समय इस लिहाज से है कि वह अपनी लागत को कम करने के मद्देनजर और ज्यादा पैसा लगा सकते हैं।
अगर कोई निवेश में कदम रखना चाहते हैं तो उनके लिए बेहतर है कि वो सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप) में पैसा निवेश करें। इइक्विटी डाइवर्सिफाइड फंडों ने पिछले पांच सालों में 29.87 फीसदी प्रति साल का रिटर्न दिया है। अच्छे फंडों की बात करें तो उन्होने 35 फीसदी प्रति वर्ष की दर से रिटर्न दिया है।
अगर आप अपनी परिसंपत्ति वितरण को लेकर चिंतित हैं तो आप अपनी इक्विटी के एक्सपोजर में पांच से 10 फीसदी की कमी कर सकते हैं और डेट की ओर से रूख कर सकते हैं। जैसा बाजार गुरू वॉरेन बफेट की प्रसिद्ध उक्ति है कि जब दूसरे लालच कर रहे हों तो भयभीत हों और जब दूसरे भयभीत हों तब आप लालच करें। लिहाजा यह बिल्कुल मुफीद वक्त है जब दूसरे भी इसका अनुकरण करें।