बीएसई कैपिटल गुड्स इंडेक्स ने इस साल जुलाई की शुरूआत से बाजार को आउटपरफॉर्म किया है और सेंसेक्स में आई 13 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले इसमें 10 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उल्लेखनीय है कि कंपनियों के पास जो भी योजनाएं थी उसे कंपनियां कार्यान्वित करने में सक्षम रही हैं और इस लिहाज से सितंबर को समाप्त हुई दूसरी तिमाही में उनके राजस्व के साल-दर-साल के हिसाब से 23-26 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी।
हालांकि कच्चे पदार्थों की कीमतों के अभी भी अधिक रहने के कारण कंपनियों के परिचालन लाभ दबाव में रहेगा। इसके अलावा रुपये में आई इस तिमाही में 7 प्रतिशत की गिरावट आई है, उसको देखते हुए ऐसी कंपिनयां जो आयात करती हैं उनके लिए माहौल और खराब हो सकता है।
भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड या भेल के लागत में बढ़ोतरी होने की संभावना है क्योंकि इसको अपने कर्मचारियों को अधिक वेतन देने की आवश्यकता पड़ेगी जिससे कि इसके ऑपरेटिंग मार्जिन में 30-100 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कपंनी के पास सितंबर तिमाही के दौरान 10,000 करोड रुपये के ऑर्डर आए हैं जोकि जून की तिमाही में कपंनी के पास 95,000 करोड रुपये के कुल आर्डर में जबरदस्त बढ़ोतरी करेंगे। क्रॉम्पटन एंड ग्रीव्स का राजस्व जून 2008 की तिमाही में 34 प्रतिशत ऊपर था।
कपंनी के जून की तिमाही में राजस्व में बढ़ोतरी का कारण इसके अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में साल-दर-साल के हिसाब से 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी का होना रहा था। घरेलू कारोबार के जोर पकड़ने से कपंनी के राजस्व में साल-दर-साल के हिसाब से 22-23 प्रतिशत की बढोतरी होने की संभावना है।
हालांकि पिछले दो महीनों में इस्पात और तांबे की कीमतों में कमी आई है लेकिन इसके बावजूद साल-दर-साल के हिसाब से कीमत अधिक है जिससे कि ऑपेरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन के सपाट रह सकता है।