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इक्विटी बाजार में बदलाव: गुणवत्ता और बढ़ोतरी वाले शेयरों में बढ़ रहा निवेश, वैल्यू थीम पीछे छूटी

इस बदलाव की वजह गुणवत्ता और ग्रोथ वाली कंपनी के भावों को लेकर सहजता होने के साथ-साथ ब्याज दरों के चक्र की दिशा उलटने की संभावना भी है।

Last Updated- September 13, 2024 | 9:58 PM IST
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इक्विटी बाजार में निवेश की प्राथमिकता में अहम बदलाव हो रहा है। वृद्धि और गुणवत्ता की थीम फिर जोर पकड़ रही है और वैल्यू थीम पीछे छूट रही है। इस बदलाव की वजह गुणवत्ता और ग्रोथ वाली कंपनी के भावों को लेकर सहजता होने के साथ-साथ ब्याज दरों के चक्र की दिशा उलटने की संभावना भी है।

पीजीआईएम इंडिया म्युचुअल फंड के विश्लेषण से पता चलता है कि एनएसई 500 सूचकांक में गुणवत्ता और ग्रोथ शेयरों ने 1 जून से 13 फीसदी का रिटर्न दिया है। दूसरी तरफ गैर-गुणवत्ता व गैर-ग्रोथ शेयरों ने महज 4 फीसदी का रिटर्न दिया है। परिसंपत्ति प्रबंधक ग्रोथ की श्रेणी में उस कंपनी को रखते हैं जिसकी पांच वर्ष की औसत सालाना बिक्री में बढ़ोतरी उसकी ऐतिहासिक बिक्री वृद्धि से ज्यादा रही हो। गुणवत्ता वाली कंपनियां वे हैं जिनका इक्विटी पर रिटर्न उनके पांच साल के ऐतिहासिक इक्विटी रिटर्न से ज्यादा हो।

अप्रैल 2023 से मई 2024 के बीच जो शेयर गुणवत्ता और ग्रोथ शेयरों के पैमाने पर नहीं आते, उन्होंने 86 फीसदी का माध्य (मीडियन) रिटर्न दिया है। दूसरी तरफ गुणवत्ता और ग्रोथ वाली कंपनियों की मीडियन ग्रोथ 50 फीसदी रही है। देश के सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई म्युचुअल फंड ने भी रुझान में इस बदलाव को रेखांकित किया है। फंड हाउस ने गुणवत्ता वाले शेयरों को पारिभाषित करते हुए कहा है कि इनमें वे कंपनियां शामिल होती हैं जिनका रिटर्न ऑन इक्विटी ज्यादा हो, कम कर्ज हो और आय में ज्यादा निरंतरता हो।

मनी मैनेजरों का कहना है कि ब्याज दर के चक्र का ग्रोथ और वैल्यू कंपनियों के प्रदर्शन पर असर होता है। पीजीआईएम के मुख्य निवेश अधिकारी विनय पहाड़िया ने कहा कि उच्च वृद्धि की संभावना वाली कंपनियों पर ब्याज दरों का असर अपेक्षाकृत ज्यादा होता है, जिसका मतलब यह हुआ कि उनके लिए अवधि ज्यादा होती है। ऐसे में गिरते ब्याज दर परिदृश्य में उच्च वृद्धि और उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों पर कम वृद्धि व कम गुणवत्ता वाली कंप​नियों के मुकाबले ज्यादा सकारात्मक असर दिख सकता है।

मोटे तौर पर वैल्यू शेयर वे होते हैं जिनका पीई अनुपात कम होता है क्योंकि उनमें वृद्धि की संभावना कम होती है। ज्यादातर सार्वजनिक उपक्रमों के शेयर इसी श्रेणी में आते हैं। अल्फा ऑल्टरनेटिव्स में पार्टनर विनीत सचदेवा ने कहा कि पिछले तीन साल में वैल्यू ने गुणवत्ता को काफी ज्यादा पीछे छोड़ा है। ऐसा होना भारतीय बाजारों के लिए दुर्लभ बात है। हालांकि बढ़े हुए भावों, अपेक्षाकम कमजोर प्रदर्शन और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण गुणत्ता वाले शेयरों ने साल 2024 में जोरदार वापसी की है। हमें उम्मीद है कि यह रुख अल्पावधि से मध्यम अवधि में जारी रहेगा।

हाल के समय में कई फंडों ने अपने फंडों को विभिन्न निवेश तौर-तरीकों में विशाखित करने की कोशिश की है । इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अगर उनकी पसंदीदा निवेश रणनीति कमजोर प्रदर्शन शुरू करती है तो उनके सभी फंडों को इससे न जूझना पड़े। उदाहरण के लिए ऐक्सिस और एचडीएफसी क्रमश: ग्रोथ व वैल्यू फंड हाउस के तौर पर जाने जाते थे लेकिन अब उन्होंने कुछ हद तक विशाखित किया है।

First Published - September 13, 2024 | 9:58 PM IST

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