सॉवरिन वेल्थ फंड में होने वाले निवेश को आकर्षित करने केलिए भारतीय रिजर्व बैंक और प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) इस संबंध मे नए डाटा रिपोर्टिंग प्रावधानों पर विचार कर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधियों और आरबीआई और सेबी के प्रतिनिधियों के बीच होने वाली उच्चस्तरीय मीटिंग में सॉवरिन फंडों के लिए नए प्रावधानों के निर्माण के लिए विचार विमर्श हो सकता है। इस नए रिपोर्टिंग प्रावधान में इस तरह के फंडों की बेसिक के साथ उनकी परिभाषा का भी उल्लेख किया जाएगा।
हालांकि बैठक की तिथि पर अभी निर्णय होना बाकी है। सॉवरिन वेल्थ फंड सामान्यत: विशेष प्रकार के निवेशकीय विकल्प होते हैं जिसमें राष्ट्रीय बचत को ऊच्च रिटर्न के लिए लगाया जाता है। वे देश जिनके भुगतान का संतुलन ज्यादा है वे अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को इस तरह के फंडों में परिवर्तित कर सकते हैं। सामान्यत: जिन देशों में इस तरह के फंड बनाए गए हैं वहां करंट एकाउंट की अधिकता है चाहे इसकी वजह विंडफाल हो या सतत करंट एकाउंट। इस तरह के देशों में वाणिज्यिक अधिकता भी होती है।
हालांकि टेमासेक और सिंगापुर गवर्नमेंट इनवेस्टमेंट कारपोरेशन ने भारत में निवेश किया है लेकिन उनके परिचालन के कोई भी आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। वैश्विक दृष्टि से इन फंडों को आकर्षित करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं और कई देशों ने इस तरह के फंडों के परिचालन के लिए प्रावधान भी बना दिए हैं। लेकिन भारत में इस तरह के फंडों के प्रबंधन के लिए कोई प्रावधान उपलब्ध नहीं है। भारत में विदेशी संस्थागत निवेशक सॉवरिन वेल्थ फंड का प्रबंधन कर सकते हैं।
हालांकि पहले भी आरबीआई इन फंडों के परिचालन पर अपना असंतोष व्यक्त कर चुका है लेकिन अब आरबीआई की इच्छा इसके लिए अलग से प्रावधान बनाने की है। यहां तक कि सुरक्षा एजेंसियों ने गल्फ देशों के इस तरह के फंडों पर सवालिया निशान उठाए हैं। इसके अतिरिक्त जब सॉवरिन वेल्थ फंड को मीटिंग का विषय बनाया गया तो इससे संबंधित कोई भी आंकड़ा नही मिला।