भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कहा है कि उसके पास अदाणी एंटरप्राइजेज (AEL) के 20,000 करोड़ रुपये के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (FPO) के लिए अभिदान (सब्सक्रिप्शन) करने वालों की जानकारी नहीं है।
बाजार नियामक ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत किए गए एक आवेदन के जवाब में यह बात कही, जिसमें निवेशक-वार और राशि-वार अभिदान का विवरण तथा एफपीओ रद्द करने की वजह पूछी गई थी।
जनवरी में अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद AEL के शेयरों में गिरावट के बीच पूर्ण अभिदान हासिल करने के बावजूद यह एफपीओ वापस ले लिया गया था।
31 जनवरी और 8 फरवरी को किसी प्रसेनजीत बोस द्वारा किए गए आरटीआई के दो अलग-अलग आवेदनों के लिए सेबी के जवाब पेश किए गए। बोस ने अपील प्राधिकरण के पास इस आधार पर अपील की थी कि मुख्य लोक सूचना अधिकारी (CPIO) ने मांगी गई जानकारी तक पहुंच से इनकार कर दिया था।
आरटीआई अधिनियम के तहत अपील प्राधिकरण ने कहा, उपरोक्त सवालों के जवाब में प्रतिवादी ने सूचित किया है कि मांगी गई जानकारी सेबी के पास उपलब्ध नहीं है।
अपील को खारिज करते हुए अपील प्राधिकरण ने कहा कि जहां मांगी गई जानकारी सार्वजनिक प्राधिकरण के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं होती है और जहां ऐसी जानकारी को किसी कानून या नियमों अथवा सार्वजनिक प्राधिकरण के विनियमों के तहत रखने की जरूरत नहीं होती है, वहां यह अधिनियम सार्वजनिक प्राधिकरण को ऐसी अनुपलब्ध जानकारी जुटाने या व्यवस्थित करने और फिर इसे आवेदक को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं करता है।
उसी व्यक्ति द्वारा अन्य आरटीआई आवेदन हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट द्वारा किए गए खुलासे के संबंध में सेबी द्वारा जांच को लेकर किया गया था। इसमें मांगी गई जानकारी में यह बात भी शामिल है कि क्या नियामक को अदाणी समूह के खिलाफ शेयर की कीमतों में हेराफेरी, राउंड-ट्रिपिंग, लेखा की धोखाधड़ी और धन शोधन के संबंध में कोई शिकायत मिली थी।
इसे भी इस आधार पर नकार दिया गया था कि वे स्पष्टीकरण या राय मांगने की प्रकृति वाले थे और उन्हें ‘सूचना’ के रूप में नहीं माना जा सकता था।