अहमदाबाद की दवा कंपनी डिशमैन फार्मा के प्रबंधन को जारी वर्ष में राजस्व के बढ़कर 1050 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है।
यह वर्ष 2007-08 के 803 करोड़ रुपये के स्तर से 30 फीसदी अधिक है। कंपनी का यह लक्ष्य यह देखते हुए मुश्किल नहीं लगता कि उसने पहली छमाही में राजस्व में 38 फीसदी का इजाफा किया था। हालांकि इसमें रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले कम होने की घटना का भी योगदान रहा है।
डिशमैन की विशेषज्ञता ठेके पर अनुसंधान और विनिर्माण की सेवाएं मुहैया कराने (सीआरएमएस) में है। आने वाले कुछ सालों तक कंपनी आउटसोर्सिंग के जरिए अच्छी स्थिति में रहेगी। उसने हाल ही में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन और फाइजर से मिले ठेकों को पूरा किया है।
साथ ही उसे अस्त्रा जेनेका से 14 एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट्स (एपीआईएस) के आर्डर मिले हैं। हालांकि कंपनी को विदेशी मुद्रा विनिमय में रहा नुकसान प्रमुख चिंता की वजह है। उसे सितंबर 2008 तक छह माहों में 47.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
हालांकि यह नुकसार राष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। अगर इस नुकसान की गणना की जाए तो सितंबर की तिमाही में कंपनी का कर के बाद मुनाफा सिर्फ 2.7 करोड़ रुपये पर ही सिमट गया।कंपनी के प्रॉडक्ट मिक्स में क्वैट्स जैसे कम मार्जिन वाले प्रॉडक्ट रहे हैं
इसके चलते सितंबर तिमाही में उसका ऑपरेटिंग मार्जिन साल दर साल के आधार पर दो फीसदी गिरकर 19.8 फीसदी हो गया है। हालांकि वर्ष के अंतिम चरण में मार्जिन में सुधार हो सकता है क्योंकि कंपनी का ध्यान अब वैल्यू एडेड प्रॉडक्टों की ओर है।
इस समय डिशमैन की असली चिंता किसी और दिशा से है।
दरअसल कपंनी अब जैव प्रौद्योगिकी यानी बायोटेक्नोलॉजी के कारोबार से जुड़ी छोटी कंपनियों को लेकर डिशमैन चिंतित है। नकदी के स्रोत कम हो जाने और कर्ज भी नहीं मिलने की वजह से फिलहाल ये कंपनियां मुश्किलों में घिरी दिखाई दे रही हैं।
डिशमैन की सहयोगी कंपनी स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी कार्बोजेन है। कार्बोजेन इन्हीं बायोटेक कंपनियों से ठेके हासिल करती है। चालू वित्त वर्ष की जून-सितंबर तिमाही के दौरान कार्बोजेन के राजस्व में महज 14 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इसके कुल राजस्व में इस तरह की छोटी कंपनियां 25 फीसदी का योगदान देती हैं। हालांकि माना जा रहा है कि यह समस्या कुछ समय के लिए ही है।
एक बार कार्बोजेन के बावला गुजरात स्थित प्लांट में चौंथे चरण का कार्य शुरु कर देता है तो उसकी स्थिति में सुधर जाएगी। यह प्लांट ओन्कोलॉजी के उत्पाद तैयार करेगा और उसे इसके लिए बड़ी कंपनियों से ऑर्डर मिलने लंगेगे।