facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

बाजार सेंटीमेंट बिगड़ने से आधे रह गए IPO के मसौदे, केवल 66 कंपनियों ने दाखिल किया ड्राफ्ट पेपर

DRHP जमा करना किसी कंपनी द्वारा अपना IPO लाने की मंशा बताता है

Last Updated- March 16, 2023 | 7:06 PM IST
IGI IPO

पूंजी बाजार नियामक – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास IPO के दस्तावेज जमा कराने की संख्या इस वित्त वर्ष (2022-23) में घटकर आधे से भी कम रह गई है क्योंकि द्वितीयक बाजार में कमी आने के बाद नए शेयरों की बिक्री का दृष्टिकोण बिगड़ गया है। वित्त वर्ष 23 में अब तक 66 कंपनियों ने अपना मसौदा (DRHP) दाखिल किया, जबकि पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में यह संख्या 144 थी।

उद्योग के भागीदारों ने कहा कि मूल्यांकन में गिरावट के बीच वित्त वर्ष 22 के बाद आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) बाजार की हालत खराब हो गई है तथा बैंकिंग क्षेत्र के झटके के बावजूद अमेरिकी फेडरल रिजर्व के संबंध में संदेहपूर्ण परिदृश्य में दर बढ़ोतरी के आसार हैं।

DRHP शुरुआती प्रॉस्पेक्टस होता है, जिसे IPO से पहले जमा कराया जाता है। इसमें महत्वपूर्ण विवरण शामिल रहता है, जैसे पेश किए जाने वाले शेयरों की संख्या, वित्तीय परिणाम और जोखिम कारक आदि। DRHP जमा करना किसी कंपनी द्वारा अपना IPO लाने का इरादा बताता है। लेकिन अपना DRHP पेश करने वाली सभी कंपनियां बाजार में नहीं जा सकती हैं।

प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी, वैश्विक मंदी की आशंका और जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी जैसे कारकों ने इस साल निवेशकों आशंकित कर रखा है। हाल के दिनों में अदाणी समूह पर अमेरिका की शॉर्ट-सेलिंग हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और अमेरिका में तीन प्रमुख ऋणदाताओं की विफलता ने बाजार में तनावपूर्ण ​स्थिति पैदा कर दी है, जिससे दृष्टिकोण और बिगड़ गया।

इसके विपरीत वित्त वर्ष 22 में बाजारों में मुख्य रूप से बढ़त का रुझान था, जो सौदे करने के लिए बेहतर आधार प्रदान कर रहा था। वित्त वर्ष 23 में अब तक सेंसेक्स तीन फीसदी गिर चुका है। वित्त वर्ष 22 सूचकांक करीब 19 प्रतिशत चढ़ा था। हालांकि इस वित्त वर्ष के दौरान बाजार में गिरावट तेज नहीं रही है, लेकिन तेज गिरावट के बार-बार झटके लगे हैं। द्वितीयक बाजार में इस तरह की अस्थिरता प्राथमिक बाजार पर भारी पड़ती है।

यह भी पढ़ें : ED ने मुंबई व चेन्नई में Franklin Templeton से जुड़े स्थानों पर छापे मारे

इस वित्त वर्ष के 12 महीने में से चार में कोई IPO नहीं आया। वित्त वर्ष 23 में अब तक IPO 68,580 करोड़ रुपये जुटाने में ही कामयाब रहे, जो पिछले वित्त वर्ष में जुटाए गए 2.64 लाख करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत कम है।

प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा कि किसी कंपनी को अपना IPO लाने में तीन से चार साल लग जाते हैं। हमने 12 महीनों में ज्यादा गतिविधि नहीं देखी है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की आक्रामक बिकवाली भी निवेशकों को परेशान कर रही है। FPI ने वित्त वर्ष 23 में अब तक 30,693 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। वित्त वर्ष 22 में वे 1.42 लाख करोड़ के शुद्ध विक्रेता थे। हालांकि इस बिक्री का एक बड़ा हिस्सा वर्ष के उत्तरार्ध में किया गया था।

First Published - March 16, 2023 | 7:06 PM IST

संबंधित पोस्ट