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पी-नोट्स पर एफआईआई को राहत

Last Updated- December 07, 2022 | 3:01 AM IST

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया(सेबी) ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पी-नोट्स के संबंध में गत शुक्रवार को कुछ बदलावों की घोषणा की है।


नए बदलावों से अक्टूबर से इस मसले पर जारी गहमागहमी पर विराम लगेगा। मालूम हो कि एफआईआई उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी कर भारतीय बाजारों में निवेश करने का अवसर मुहैया करवाता है,जिनके पास भारतीय बाजारों में खुद से निवेश करने के अधिकारी नही होते हैं।

सेबी ने इससे पहले इस बाबत पिछले साल अक्टूबर में एक सर्कुलर जारी किया था। उस वक्त सेबी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा था कि एक ब्रोड-बेस्ड क्राइटेरिया के  जरिए नियमों में बदलाव लाए जाएंगे। इसके  तहत हर फर्म के पास कम-से-कम 20 निवेशकों की हिस्सेदारी हो और किसी भी निवेशक के पास 10 फीसदी के बजाए 49 फीसदी से ज्यादा शेयर नही हो सकते।

जबकि इस बार अधिसूचना जारी करते हुए इस बात को स्पष्ट कर दिया गया है कि सब-अकाउंट निवेशक 49 फीसदी शेयर रख सकते हैं। इसके जरिए इस काम को अंजाम देना मुमकिन हो पाएगा कि कोई तीन निवेशक मिलकर सब-अकाउंट खुलवा सकते हैं, जिसमें दो प्रत्येक निवेशकों के 49 फीसदी जबकि शेष बचे एक निवेशक 2 फीसदी हिस्सेदारी हो सकती है।

अब तक जबकि सब-अकाउंट  खुलवाने के लिए कम से कम 20 निवेशकों की दरकार होती थी,जबकि किन्हीं निवेशकों के पास 10 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी नही हो सकती। मध्य-अक्टूबर से अब तक 100 से ज्यादा फर्मों ने बतौर एफआईआई अपना पंजीकरण करवाया है,जो कुल स्तर पर 1,250 है।

जबकि हेज फंडों के संबंध में कोई विश्वसनीय डाटा उपलब्ध नही होने के बावजूद लोगों को मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में इस वक्त कम से कम ऐसे फंडों की तादाद कम से कम 100 तो जरूर होंगे,जो बाजार में पी-नोट्स के जरिए निवेश कर रहे हैं।

इत्तफाकन,नई अधिसूचना में छोटे निवेशकों के सब-अकाउंटों को दर्जा देने की बात छूट गई है कि विदेशी उद्यमी को विदेश में लिस्टेड तो होना ही चाहिए साथ ही, कम से कम 2 अरब डॉलर की परिसंपत्ति होनी चाहिए। इसके अलावा,तीन सालों के दौरान 5 करोड़ डॉलर का मुनाफा भी आवेदन-पत्र में लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।जबकि वे लोग जिनके पास भारतीय नागरिकता नही हैं,उनके पास कुल 5 करोड़ डॉलर का नेट वर्थ होना चाहिए।

इस प्रकार,नए बदलावों से सेबी के पास पड़े उन विचाराधीन हेज फंडों के रास्ता साफ हो जाएगा जिससे अप्रवासी भारतीय बतौर फंड मैनेजर की भूमिका अदा कर सकता है। इससे विदेशी निवेशकों और उद्यमियों का रास्ता भी साफ हो जाएगा।

First Published - June 2, 2008 | 11:16 PM IST

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