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भारतीय बाजार में कायम है एफआईआई का भरोसा

Last Updated- December 08, 2022 | 3:05 AM IST

वैश्विक वित्तीय उठा पटक और विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बीच दीर्घावधि के विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में फिर से अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।


विदेशी संस्थागत निवेशकों के सम्मेलन में आए एक विदेशी फंड प्रबंधक ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की अग्रणी वैश्विक कंपनियों की बड़ी संख्या साफ तौर पर इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि वे भारत को नजरंदाज नहीं कर सकते।

मंदी की धारणाओं के बावजूद फंड प्रबंधकों की उपस्थिति साल 2007 के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत अधिक थी। इस बार के सम्मेलन में दीर्घावधि के निवेशक या प्राइवेट इक्विटी कंपनियों जैसे फिडेलिटी, ऑप्पेनहीमर्स, ब्लैक स्टोन, कैपिटल इंटरनेशनल, सोरोस फंड आदि के अतिरिक्त पेंशन और एण्डोमेंट फंडों की संख्या अधिक थी।

 एक अग्रणी ब्रोकिंग कंपनी के प्रमुख ने बताया कि हेज फंडों, जो संभवत: संकट से जूझ रहे हैं, ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। पिछले 10 दिनों में सीएलएसए, जेपी मॉर्गन, यूबीएस और एनाम सिक्योरिटीज ने भारत में निवेशकों का वार्षिक सम्मेलन बुलाया था।

इस बैठक में भाग ले रहे प्रबंधकों का नजरिया था कि वैश्विक बाजार में एक बार स्थिरता आने के बाद भारत बेहतर अवसर की पेशकश करता है। यूबीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अपने देश में निकासी के दबाव या किसी परिसंपत्ति वर्ग में निवेश करने से परहेज करना विदेशी संस्थागत निवेशकों की बाध्यता अधिक थी।’

पिछले सप्ताह दिल्ली में हुए सीएलएसए कन्फ्रेंश में 120 निवेशकों ने हिस्सा लिया जबकि पिछले वर्ष 90 निवेशकों ने हिस्सा लिया था। सीएलएसए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गंभीर निवेशकों की इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति देख कर हर कोई आश्चर्यचकित थे।

ये निवेशक नकदी के धनी हैं और वे भारतीय बाजार तथा उन कंपनियों का आकलन कर रहे हैं जो वित्तीय उठा पटक के दौर में कम प्रभावित हुए हैं। एनाम फाइनैंशियल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वर्तमान बाजार परिस्थिति में कोई भी निवेशक बड़ी रकम निवेश नहीं करना चाहता है। लेकिन वे चुनिंदा खरीदारी कर रहे हैं।’

First Published - November 13, 2008 | 9:45 PM IST

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