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वित्त वर्ष 2008 चौथी तिमाही: आर्थिक तंगी का आलम

Last Updated- December 10, 2022 | 5:28 PM IST

आखिरकार मंदी ने दस्तक दे दी है। जानी मानी ब्रोकरेज सीएलएसए का अनुमान है कि मार्च 2008 में समाप्त हुई तिमाही में सेंसेक्स के शेयरों (डीएलएफ को छोड़कर) के मुनाफे में सिर्फ 16.3 फीसदी की बढ़त दर्ज की जाएगी।


ब्रोकरेज ने यह भी बताया कि पिछली आठ तिमाहियों में विकास की यह सबसे धीमी गति होगी। वर्तमान समय में शेयर बाजार के 75 शेयर ऐसे हैं जिनका प्रदर्शन अन्य शेयरों के मुकाबले काफी बेहतर है। ये 75 शेयर ब्रोकरेज के कार्यक्षेत्र में आने वाले शेयर हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन शेयरों के मुनाफे में 26.6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।


अगर तेल और गैस शेयरों को छोड़ कर बात करें तो पूरे परिदृश्य में नाटकीय तरीके से बदलाव देखने को मिलेगा। तब सीएलएसए के यूनीवर्स में 12 फीसदी की बढ़ोतरी ही दर्ज हो पाएगी। पिछली आठ तिमाहियों में एक बार फिर फार्मा, सीमेंट और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में काफी ढीलापन देखने को मिला है।सीएलएसए सैंपल में कमाई की गति में फिसलन आने का मुख्य कारण आय की वृद्धि मंद होना है जो केवल 18 प्रतिशत है।


कच्चे माल की कीमतों के आसमान छूने और अन्य चीजों की कीमतों के बढ़ने के कारण परिचालन मुनाफे में कमी आ सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि वृद्धि सिर्फ 15 फीसदी तक ही सिमट कर रह जाएगी। बहुत कम ऐसी कंपनियां हैं, जो कीमतों के बढ़ने के बावजूद उबर पाएंगी। मसलन, बड़ी कंपनियों को बढ़ती कीमतों की उतनी मार नहीं झेलनी पड़ेगी जितना कि छोटे और मझोली कंपनियों को झेलनी पड़ेगी।


इसके अलावा, ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी होने से नेट प्रॉफिट मार्जिन पर संकट उत्पन्न हो सकता है। विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव के लिए बनाए गए प्रावधानों के कारण यह माना जा रहा था कि कुछ कंपनियों के मुनाफे में कमी आएगी। जैसा कि मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में यह आगाह किया गया था कि निवेशकों को चाहिए कि वे बैलेंस शीट में होने वाले घाटे से परे उन चीजों पर निगरानी रखें जो जाहिर नहीं हुई हैं।


बहरहाल, इस वक्त  आय की वृद्धि दर अपनी पूर्व स्थिति पर ही बनह हुई है। आईबीईएस का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2008 से वित्तीय वर्ष 2010 तक सेंसेक्स के लिए वार्षिक चक्रवृध्दि दर 20 फीसदी बनी रह सकती है। बीएसई 500 के लिए वार्षिक चक्रवृध्दि विकास दर 22.7 फीसदी अनुमानित है।


जुबिलेंट:  महंगा सौदा


जुबिलेंट ऑर्गेनोसिस ने कनाडा स्थित ड्रैक्सिस हेल्थ को अपने खेमे में शामिल कर लिया है। डै्रक्सिस हेल्थ को खरीदने के लिए जुबिलेंट ऑर्गनोसिस को करीब 25.5 करोड़ डॉलर खर्च करने पड़े।यह एक महंगा सौदा जान पड़ता है। जुबिलेंट ऑर्गेनोसिस एक दवा कंपनी है। पिछले साल दिसंबर महीने में इस ड्रग कंपनी की परिचालन आमदनी करीब 21.4 लाख डॉलर थी।


हालांकि कंपनी की यह कमाई कैलेंडर वर्ष (जनवरी से दिसंबर) 2006 के मुकाबले कम ही है। कैलेंडर वर्ष 2006 में कंपनी की कमाई 149.5 लाख डॉलर थी।हालांकि जुबिलेंट ऑर्गनोसिस ने जितनी कीमत पर ड्रैक्सिस हेल्थ का अधिग्रहण किया है, वह इंटरप्राइज वैल्यू (ईवी) के अनुपात से 3.2 गुना अधिक है। उल्लेखनीय है कि बॉयोकॉन ने जर्मनी स्थित एक्सीक्रॉप के 70 फीसदी शेयर को 3 करोड़ यूरो में खरीदा था। यह इंटरप्राइज वैल्यू से सिर्फ 0.5 गुना अधिक था।


यह भी विदित है कि दो साल पहले रैनबैक्सी ने रोमानिया की एक कंपनी टेरापिया का अधिग्रहण किया था। रैनबैक्सी ने उस कंपनी के 96.7 फीसदी हिस्सेदारी के लिए करीब 32.4 करोड़ डॉलर की राशि चुकाई थी।लिहाजा, इस कंपनी की इंटरप्राइज वैल्यू करीब 4 गुना अधिक था।


बहरहाल, इस समझौते के लिए जुबिलेंट की नकदी और एफसीसीबी की 20 करोड़ डालर की राशि ही काफी है। ड्रैक्सिस का मानना है कि उसके पास हेक्ट्रोरोल और किडनी संबंधी बीमारियों के लिए दवाइयों का वॉल्यूम काफी कम है।


इसके साथ ही ड्रैक्सिस ने यह भी बताया कि उनके पास रेडिया फार्मा के क्षेत्र में भी इनपुट की जबर्दस्त कमी है। इसका असर कंपनी पर साफ देखने को मिलता है।गौरतलब है कि डिवीज लैब, जो कि एक बड़ी कांट्रेक्ट मैन्यूफैक्चरर है, वर्तमान मूल्य (1279 रुपये) पर 18 गुना अधिक पर कारोबार कर रही है।

First Published - April 8, 2008 | 11:33 PM IST

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