पिछले दो तिमाहियों की भारी बिकवाली के बाद अब विदेशी फंड दोबारा भारतीय शेयर बाजार की ओर लौट रहे हैं। लेकिन टाटा एसेट मैनेजमेंट की नई रिपोर्ट के मुताबिक इस बार भारत को उम्मीद के मुताबिक बड़ी वापसी नहीं मिल सकती, क्योंकि भारत का मुनाफा (earnings) अब बाकी उभरते बाजारों (Emerging Markets) के मुकाबले कम हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2025 में भारत को विदेशी निवेशकों (FII) की तरफ से मिलने वाला फंड कम हो सकता है, क्योंकि अब उनकी प्राथमिकता क्रम में पहले चीन, फिर यूरोप और उसके बाद भारत आता है। यानी भारत अब उनके टॉप चॉइस में नहीं रहा। इसका एक बड़ा कारण यह है कि भारतीय कंपनियों की कमाई का अंतर अब बाकी एशियाई देशों की तुलना में बहुत ज़्यादा नहीं है, जबकि भारत का वैल्यूएशन अभी भी प्रीमियम पर बना हुआ है।
भारत की चौथी तिमाही की कमाई अनुमान से बेहतर रही, लेकिन आगे के लिए कंपनियों के अनुमान कमजोर दिख रहे हैं। JM फाइनेंशियल के अनुसार मार्च 2025 में 50 में से 36 Nifty कंपनियों की FY26 की अनुमानित कमाई (EPS) में कटौती हुई, जबकि सिर्फ 8 कंपनियों में ही सुधार देखा गया। FY25 में मुनाफे में गिरावट और चीन में स्टिमुलस जैसे कारणों से भारत की तुलना में बाकी उभरते बाजारों का प्रदर्शन बेहतर होता दिख रहा है।
इस साल Nifty का EPS (कमाई प्रति शेयर) सिर्फ 4.7% बढ़ा है, जो 2017 के बाद सबसे धीमा है (कोविड काल को छोड़कर)। इससे यह साफ है कि बाजार में कमाई का असर अब वैल्यूएशन पर भी दिखने लगा है। दिसंबर 2024 और मार्च 2025 की तिमाहियों में भारत से विदेशी निवेशक करीब ₹1 लाख करोड़ और $1.16 ट्रिलियन निकाल चुके थे। जून 2025 की तिमाही में अब थोड़े सुधार के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन जून महीने में अब तक भी ₹2,126 करोड़ की बिकवाली हो चुकी है। हालांकि, व्यापार तनाव कम होने और वैश्विक माहौल कुछ स्थिर होने के बाद एफआईआई का रुझान थोड़ा सकारात्मक हुआ है। फिर भी, टाटा AMC के मुताबिक, चीन और यूरोप अब भी उनकी पहली पसंद बने हुए हैं।
विदेशी निवेशकों के विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशक (DIIs) लगातार बाजार में पैसा लगा रहे हैं। साल 2025 में अब तक उन्होंने ₹3.29 लाख करोड़ का निवेश किया है, जो बाजार को स्थिरता दे रहा है।
पिछले तीन हफ्तों से बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। गुरुवार को आई गिरावट ने तीन दिनों की बढ़त को खत्म कर दिया। हालांकि, HSBC और कुछ विदेशी ब्रोकरेज का मानना है कि भारत को लेकर अब भी उम्मीद बाकी है। एशिया और उभरते बाजारों से जुड़ी फंड्स अब भारत पर अपनी ‘अंडरवेट’ पोजिशन को कम कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग के विश्लेषकों के मुताबिक Nifty50 अगले 12 महीनों में करीब 9.8% की बढ़त दिखा सकता है। हालांकि यह रिटर्न बाकी एशियाई बाजारों की तुलना में सबसे कम है। उदाहरण के लिए चीन का CSI 300, हांगकांग का हैंगसेंग और जापान का निक्केई 15% या उससे ज्यादा बढ़ सकते हैं।