विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में करीब 8,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। यह निवेश ऐसे समय में हुआ जब महीने की शुरुआत में भारी बिकवाली देखी गई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार में स्थिरता और निवेशकों का बढ़ता भरोसा इस बदलाव की बड़ी वजह है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां और अमेरिका की व्यापार नीतियां इस निवेश की निरंतरता को प्रभावित कर सकती हैं।
पिछले हफ्ते, 15 से 17 अप्रैल तक केवल तीन दिन ही शेयर बाजार में कारोबार हुआ। सोमवार को अंबेडकर जयंती और शुक्रवार को गुड फ्राइडे के कारण बाजार बंद रहा। डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, इस दौरान FPI ने 8,472 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। 15 अप्रैल को 2,352 करोड़ रुपये की निकासी हुई, लेकिन अगले दो दिनों में 10,824 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव ने बताया कि हाल के महीनों में भारतीय बाजार में आई गिरावट ने शेयरों को आकर्षक बना दिया। भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार की उथल-पुथल से अपेक्षाकृत सुरक्षित रही है। इसके अलावा, निवेशकों का भरोसा बढ़ने से विदेशी पूंजी का प्रवाह फिर से शुरू हुआ। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्विक आर्थिक हालात और अमेरिकी व्यापार नीतियों की स्थिरता इस प्रवाह को बनाए रखने में अहम होगी।
जियोजित इनवेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने बताया कि डॉलर इंडेक्स में 100 के स्तर तक गिरावट और इसकी कमजोरी की उम्मीद ने FPI को अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर आकर्षित किया। साथ ही, अमेरिका और चीन में इस साल कमजोर आर्थिक वृद्धि की आशंका है, जबकि भारत में वित्त वर्ष 2026 में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है। यह भारत की आर्थिक ताकत को दिखाता है, जो बाजार के बेहतर प्रदर्शन का कारण बन सकता है।
अप्रैल में अब तक FPI ने 23,103 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। 2025 की शुरुआत से कुल 1.4 लाख करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है। जनवरी में 78,027 करोड़, फरवरी में 34,574 करोड़ और मार्च में 3,973 करोड़ रुपये की निकासी हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि FPI अब वित्त, टेलीकॉम, विमानन, सीमेंट, चुनिंदा ऑटो और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दे रहे हैं।
विजयकुमार ने कहा कि भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और बाजार की संभावनाएं निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। अगर वैश्विक परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो यह निवेश और बढ़ सकता है।