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फंड हाउसों ने निकाला निवेशकों को लुभाने का नया फंडा

Last Updated- December 07, 2022 | 2:05 PM IST

इक्विटी बाजार का रुझान माकूल न होने के चलते कई नए फंड ऑफर बहुत कम रकम ही जुटा सके हैं। इसे देखते हुए अब म्युचुअल फंडों ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दूसरे तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं।


हाल में आए एनएफओ, मसलन मॉर्गन स्टेनली, एचएसबीसी और मिरे एसेट्स की बात करें जिनके एनएफओ जनवरी में बाजार गिरने के बाद आए और ये फंड कुल 250 करोड़ रुपये जुटा सके । लिहाजा फंड हाउस अब अपनी स्कीमों के साथ निवेशकों को ऐसी सुरक्षा भी देना चाहते हैं जिससे कि बाजार की गिरावट का उनके निवेश पर ज्यादा असर न पड़े।

बिरला सनलाइफ की बात करें तो इसका इक्विटी लिंक्ड ,फिक्सड मेच्योरिटी प्लान  इक्विटी फंड और फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान के बीच का रिटर्न दे रहा है। यह फंड डेट सिक्योरिटीज में पैसा लगाएगा जिसका कूपन निफ्टी से जुडा होगा यानी जब निफ्टी चढ़ेगा तो इसका फायदा मिलेगा और गिरा तो इससे सुरक्षा भी दे सकेगा। जेपी मॉर्गन के अल्फा फंड की बात करें तो यह लांग-शॉर्ट रणनीति अपनाएगा।

अगर यह ऊपर जाने की स्थिति में होता है तो फंड मैनेजर शेयर या फिर इसके डेरिवेटिव्स की खरीदारी करेंगे और अगर यह नीचे जाने की स्थिति में होगा तो फिर इसे दूसरे शेयरों या फिर डेरिवेटिव्स सौदों के साथ संतुलित किया जाएगा। फंड हाउस फंडों को सदाबहार फंड यानी ऑल सीजन्ड फंडों के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं। इस बारे में जेपी मॉगर्न के सीईओ कृष्णमूर्ति विजयन कहते हैं कि पिछले साल लोगों को अगर इक्विटी के अलावा कुछ और प्रस्तुत किया गया होता तो फिर लोगों के द्वारा इसे हाथोहाथ नहीं लिया गया होता।

मगर इस साल बाजार की स्थिति बेहतर न होने के कारण बात कुछ और है और लोग नए तरीके चाह रहे हैं।  इस साल भी हालांकि एएमसी ने बाजार में एनएफओ लांच किए हैं पर उन एनएफओ ने उनकी आशाओं पर पानी ही फेरा है क्योंकि जिस तरह के पैसे जुटने की उम्मीद थी वैसा कुछ हुआ नहीं। जबकि एनएफओ वह अवधि होती है जब फंड हाउस ज्यादा से ज्यादा पैसा जुटा सकते हैं। विजयन की ही बात करें। उन्हें 400 करोड़ रुपये के एक मोडेस्ट यानी संतोषप्रद रकम जुटने की उम्मीद है जबकि अगर इससे कुछ ज्यादा रकम जुट पाती है तो वह निश्चित तौर पर स्वागतयोग्य होगा।

हालांकि इसके उलट कुछ लॉफ्टी टारगेट यानी शानदार लक्ष्य भी बाजार के बेहतर होने वाली स्थिति में तय किए गए थे। वास्तव में पिछले दो सालों के भीतर म्युचुअल फंड उद्योग में  जबरदस्त रूप से पैसे जुटाए जा सके हैं। मसलन एसबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की सीरीज एक की बात करें तो इसने कुल 2,536 करोड़ रुपये जुटाए हैं जबकि फ्रैं कलिन इंडिया हाई ग्रोथ फंड कुल 1,515 करोड़ रुपये जुटा सकने में सफल साबित हो सका है।

सबसे हालिया उदाहरण रिलायंस नैचुरल रिसॉर्सेज फंड का है जिसने कुल 5,660 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इसी का  नतीजा है कि डिस्ट्रीब्यूटर यह महसूस करते हैं कि एक बड़े बाजार को टारगेट करने के बजाए निवेशकों पर ही लक्ष्य साधा जाए। इस बारे में बिरला सनलाइफ डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के हेड ऑफ रिसर्च जोसेफ थामस कहते हैं कि फंड बाजार के सेंटीमेंट्स ही प्रभावित हुए हैं और जो फंड निवेशकों को साफ सुरक्षा दे सकने में सफल साबित होंगे वो रास्ता निकाल सकेंगे।

First Published - July 31, 2008 | 9:37 PM IST

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