म्युचुअल फंडों ने जुलाई माह में 1,412 करोड़ रुपए की खरीददारी की। प्राइवेट बैंक, तेल एक्सप्लोरेशन कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर उनकी पसंद की सूची में सबसे ऊपर रहे।
वैल्यू रिसर्च के डाटा के अनुसार म्युचुअल फंड रिसर्च फर्मों ने एचडीएफसी बैंक (339 करोड़ रुपए), केयर्न इंडिया(221.5 करोड़ रुपए) और ओएनजीसी (212 करोड़ रुपए) में सबसे अधिक निवेश किया। इसके अतिरिक्त ऐक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, लार्सन एंड टूब्रो, रिलायंस इंफ्रा और एबीबी के स्टॉक भी म्युचुअल फंडों के लिए पसंदीदा शेयर रहे।
फर्स्ट ग्लोबल फर्म के शंकर शर्मा ने कहा कि एचडीएफसी और एल एंड टी के शेयरों में निवेश करना तर्कसंगत ही है, क्योंकि इन शेयरों को बाजार में सबसे अधिक मार झेलनी पड़ी थी। रेलिगेयर इक्विटी के प्रेसिडेंट अमिताभ चक्रवर्ती ने बताया कि पिछले माह के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई थी।
हालांकि माह के अंत तक यह 126 डॉलर प्रति बैरल था। इसके बाद निवेशकों को एक बाजार में एक रैली आने की उम्मीद बंधी थी। इसका फायदा ओएनजीसी और केयर्न इंडिया जैसी तेल कंपनियों को हुआ। पिछले दस दिनों में तो तेल की कीमतें गिरकर 113 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। अमेरिका के सरकारी आंकड़ों के अनुसार कच्चे तेल की खपत में पिछले साल की तुलना में 8000 बैरल प्रतिदिन खपत कम हुई है।
यह पिछले 26 सालों में सबसे बड़ी गिरावट है। ब्याज दरों के लिहाज से संवदेनशील बैंकिग क्षेत्र के शेयर तेल की कीमतों में आई कमी के कारण ही मांग में हैं। इस कमी का सीधा अर्थ यह है कि आगे मुद्रास्फीति की दर में गिरावट आएगी।
प्राइवेट बैंकों के मांग में होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि उन पर सरकारी बैंकों की तरह केंद्र सरकार की किसानों को दी गई 60,000 करोड़ रुपए की माफी का कोई असर नहीं पड़ा। मिरे एसेट ग्लोबल इंवेस्टमेंट इंडिया के इक्विटी प्रमुख गोपाल अग्रवाल ने बताया कि अगर ब्याज दरों में कमी आई तो बैंक, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑटो जैसे क्षेत्रों के शेयरों की मांग बढ़ेगी।