बीमा नियामक एवं विक ास प्राधिकरण, आईआरडीए ने जीवन बीमा परिषद को म्युचुअल फंड उत्पाद पर समूह सुरक्षा के ऑफर को स्थगित करने के फैसले को फिलहाल रोके रखने और उसकी समीक्षा करने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले परिषद ने म्युचुअल फंड उत्पाद पर समूह जीवन बीमा केऑफर पर रोक लगा दी थी जो कि 1 अक्तूबर 2008 से प्रभावी होने वाली थी।
परिषद के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रि या व्यक्त करते हुए एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड ऑफ इंडिया केअध्यक्ष ए पी कुरियन ने कहा कि बीमा परिषद का फैसला एकतरफा है, हालांकि आईआरडीए और भारतीय प्रतिभति एंव नियामक बोर्ड, सेबी दोनों मिलकर इस मुद्दे पर विचार करेंगे और साथ ही मुद्े का हल निकालेंगे। उन्होंने कहा कि म्युचुअल फंड हाउस समूह सुरक्षा ऑफर करना जारी रख सकते हैं।
म्युचुअल कंपनियों केसाथ इस ताजा विवाद केबाद जिन्होंने हॉकिंग नीतियों और अपनी योजनाओं के जरिए बीमा प्रीमीयम जुटाना चाहा था, इस महीने की शुरूआत में जीवन बीमाकर्ताओं ने बंडलिंग के इस प्रणाली को विभिन्न वित्तीय उत्पादों को ध्यान में रखते हुए समाप्त करने का फैसला किया था। फिलहाल रिलायंस म्युचुअल फंड और बिरला सनलाइफ म्युचुअल फंड बीमा पॉलिसियों के साथ सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की सुविधा मुहैया कराते हैं।
ये दोनो फंड हाउस 30 सितंबर के बाद अपने उत्पादों को बंद करने जा रहा था। उल्लेखनीय है कि लंबे समय से संपत्ति प्रबंधन कंपनियां ने जीवन बीमाकंपनिं द्वारा उनके टर्फ में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जिसमें कि प्री–डोमिनेंअ इक्विटी बॉयस है, के द्वारा हस्तक्षेप की शिकायत कर चुकी है। जीवन बीमा परिषद के आंकड़ो के अनुसार जीवन बीमा कपंनियों द्वारा किए जा रहे कारोबार का 80 प्रतिश्ता हिस्सा यूलिप्स से आता है और इस कारोबार केजरिए जीवन बीमा कंपनियां शेयर बाजार में निवेश करने वाली सबसे बड़ी घरेलू संस्थागत निवेशक बन गई हैं।
वित्त वर्ष 2007-08 में जीवन बीमा कंपनियों ने विदेशी संस्थागत निवेशकों के 53,400 करोड़ रुपये और म्युचुअल फंड के 16,300 करोड़ रुपये की तुलना में 55,000 करोड़ रुपये का निवश कि या है। फंड हाउस ने एएमएफआई के जरिए पिछले महीने सेबी से अपने निवेशकों को बीमा उत्पाद बेचने और उनसे प्रीमीयम इकट्ठा क रने की इजाजत मांगी थी। फिलहाल बाजार नियामक सेबी एएमसी को इस क्षेत्र में कारोबार करने की इजाजत नहीं देती है।