गेल के लिए इस तिमाही केपरिणाम खुशियां लेकर आए। मार्च 2008 की तिमाही में गेल के शुध्द लाभ में छ: फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई और यह बढ़कर 720 लाख पर पहुंच गया।
गेल के ये परिणाम बाजार को हैरान करने वाले रहे क्योंकि कंपनी के इतने अच्छे वॉल्यूम की बिक्री और एलपीजी के इतने अच्छे कारोबार की आशा नहीं की गयी थी। हालांकि प्राकतिक गैस केलिए कंपनी की वापसी अच्छी खासी रही और कंपनी के वापसी में 17 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।
एलपीजी और अन्य हाइड्रोकार्बन की ऊंची कीमतों की वजह से भी कंपनी को अच्छे आकड़ों को पाने में मद्द मिली। इसके अतिरिक्त विश्लेषकों का मानना था कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने और घरेलू बाजार में तेल की कीमतें न बढ़ने का असर गेल के परिणामों पर पड़ेगा क्योंकि गेल गैस खरीद कर तेल की मार्केटिंग करने वाली कंपनियों को वितरण करती है।
गेल को इस साल 23 फीसदी सब्सिडी मिली जो वित्तीय वर्ष 2008 में दी गयी सब्सिडी से कम है। वित्तीय वर्ष 2008 में पिछले साल की तुलना में 12 फीसदी कम सब्सिडी का प्रावधान है। हालांकि बाद केदिनों में इन आकड़ों में सुधार हो सकता है। परिणामस्वरुप गेल का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन मार्च 2008 की तिमाही में आठ फीसदी सुधरकर 23.5 फीसदी पर आ गया।
इस तिमाही के दौरान कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 93 फीसदी के आकर्षक आकडे क़ेसाथ बढ़ा जबकि कंपनी की कुल बिक्री में 27 फीसदी बढ़ी। वित्तीय वर्ष 2008 की पहली तीन तिमाहियों में गेल का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। यहां तक की कंपनी की कुल बिक्री -1.8 फीसदी और -22 फीसदी रही थी। यहां तक कि कंपनी को अपना एक प्लांट भी कुछ समय के लिए बंद करना पड़ा।
गेल की रिलायंस इंड्रस्टीज केसाथ उसके तेल के क्षेत्रों से तेल केपरिवहन केलिए समझौते से गेल को अपने नेटवर्क को ठीक प्रकार से यूटीलाइज करने में मद्द मिलेगी। इससे कंपनी अपने दाहेज प्लांट से ज्यादा वॉल्यूम का भी परिवहन कर सकेगी।
हालांकि कंपनी को उपलब्ध कराई जाने वाली सब्सिडी के बारे में जानकारी न होने के कारण कंपनी का स्टॉक बुधवार को 3.3 फीसदी गिरा। मौजदा बाजार मूल्य 395 रुपये पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 12.2 गुना केस्तर पर हो रहा है।
टाइटन-चमक बरकरार
टाइटन का ज्वैलरी सेगमेंट से अर्जित राजस्व मार्च 2008 की तिमाही में 56 फीसदी बढ़ा हालांकि इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह सोने की कीमतों में 30 फीसदी से अधिक की बढ़त रही।
कंपनी के तनिष्क वैल्यू ब्रांड तनिष्क के वॉल्यूम की बिक्री 22 से 25 फीसदी की गति से बढ़ी जो कि ब्रांड की अच्छी स्थिति को दिखाता है। कंपनी ने उच्च लाभ देने वाली ज्वैलरी के अलावा डिजायनर ज्वैलरी की भी अच्छी खासी संख्या में बिक्री की। हालांकि कंपनी का ब्याज और करों के भुगतान के बाद मार्जिन घटा और इसमें दो फीसदी तक की गिरावट आई। इस गिरावट केबाद कंपनी की आय 5.1 फीसदी के स्तर पर आ गई।
गौरतलब है कि इस सेगमेंट की कंपनी की राजस्व में दो-तिहाई से भी अधिक की हिस्सेदारी है। कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन भी 1.4 फीसदी कम होकर 10.2 फीसदी पर रहा। छोटे शहरों में बिकने वाले कंपनी के ज्वैलरी ब्रांड द गोल्ड प्लस की बिक्री में गिरावट आई क्योंकि इसकी मांग पर भी सोने की बढ़ती कीमतों का असर पड़ा।
कंपनी के घड़ी के कारोबार में इस तिमाही में 21 फीसदी की जोरदार बढ़त हुई। इसके अतिरिक्त कंपनी के मध्यम श्रेणी में लांच किए गये उत्पादों को भी उपभोक्ताओं का अच्छा समर्थन मिला। कंपनी के इस सेगमेंट से प्राप्त राजस्व में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई लेकिन इसकी कुछ बहुत वजह डीलरों की कीमतें बढ़ने की आशंका के चलते बिक्री पर जोर देना भी रहा क्योंकि टाइटन ने अप्रैल से दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी थी।
3,041 करोड़ केस्वामित्व वाली टाइटन ने विपरीत कारोबारी माहौल में भी अच्छा प्रदर्शन किया है यद्यपि सोनें की कीमतों में जारी उतार-चढ़ाव से कंपनी की बढ़त पर असर पड़ सकता है। लंबी अवधि की दृष्टि से देखा जाए तो कंपनी की ब्रांड के रुप में स्थापित स्थिति,उत्पादों की विस्त्रत रेंज और बड़ी संख्या में स्टोर होने की वजह से कंपनी की भविष्य में भी अच्छी बढ़त बनी रहनी चाहिए।
दूसरे नए क्षेत्रों में कंपनी केप्रवेश से भी कंपनी को अपना लाभ बढ़ाने में मद्द मिलेगी। कंपनी का वित्त्तीय वर्ष 2009 में राजस्व के 400 करोड़ केकरीब और कुल लाभ 190 करोड़ के लगभग रहने के आसार हैं।
मौजूदा बाजार मूल्य 1296 रुपये पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 29 गुना के स्तर पर तथा वित्तीय वर्ष 2010 में अनुमानित आय से 21.5 गुना के स्तर पर हो रहा है। कंपनी का स्टॉक अभी महंगा है। हालांकि भारत में बढ़ती युवाओं की संख्या और बढ़ती अतिरिक्त आय को देखते हुए कंपनी का भविष्य अच्छा दिखता है।