सर्वोच्च न्यायालय ने उन याचिकाओं पर सुनवाई 31 जुलाई तक के लिए टाल दी है, जिनमें ई-गेमिंग फर्मों पर 28 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को चुनौती दी गई थी। ये याचिकाएं शीर्ष अदालत के आधिकारिक फैसले के लिए नौ उच्च न्यायालयों से स्थानांतरित की गई थीं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आगामी निर्देशों के लिए मामले को 31 जुलाई को सुना जाएगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि मामले में पक्षकारों द्वारा लिखित दस्तावेज तय तारीख से पहले अदालत के समक्ष रखे जाने चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने ई-गेमिंग फेडरेशन और अन्य की 28 प्रतिशत जीएसटी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 8 जनवरी को केंद्र को नोटिस जारी किया था।
जीएसटी परिषद ने पिछले साल जुलाई में हुई अपनी एक बैठक में सिफारिश की थी कि ऑनलाइन गेमिंग के साथ साथ कैसिनो और घुड़दौड़ पर समान दर से कर लगाया जाना चाहिए। उसने ‘गेम्स ऑफ स्किल’ और ‘गेम्स ऑफ चांस’ के बीच किसी अंतर को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था।
रियल-मनी गेमिंग कंपनियों ने 30 याचिकाएं दायर कीं। इनमें दांव की फेस वैल्यू पर 28 प्रतिशत की दर से 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मांग को चुनौती दी गई है। इनमें से 27 याचिकाओं को विभिन्न उच्च न्यायालयों से सर्वोच्च न्यायालय के पास स्थानांतरित किया गया है। मूल याचिका प्ले गेम्स 24×7 और बाजी गेम्स में डिजिटल हेड ने दायर की थीं जबकि एक याचिका में जीएसटी विभाग ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।
पिछले साल सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनी गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजी के खिलाफ 21,000 करोड़ रुपये की कथित कर चोरी के लिए जारी जीएसटी नोटिस को खारिज कर दिया था।
वित्त मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान 1.12 लाख करोड़ रुपये की कथित जीएसटी चोरी के लिए ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। अक्टूबर 2023 तक केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने 1.51 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता लगाया था।