हीरो समूह के मुंजाल ने पिछले वर्ष के मध्य में जीवन बीमा कंपनी शुरु करने के लिए म्यूनिख रे की इंश्योरेंस इकाई अर्गो इंश्योरंस समूह से बातचीत शुरु की थी।
अपने प्रमुख व्यवसाय के संयुक्त उद्यम में किए गए भारी निवेश के कारण जीवन बीमा कंपनी की शुरुआत की योजना को उन्होंने ठंडे बस्ते में डाल दिया है।एक विश्लेषक कहते हैं, ‘हीरो समूह ने हाल ही में वाणिज्यिक वाहनों के निर्माण के लिए डैमलर के साथ संयुक्त उद्यम किया है।
आगामी पांच वर्षों में इसमें 4,400 करोड़ रुपये निवेश करने की जरुरत होगी जिसमें से 1400 करोड़ रुपये का सीधा निवेश किया जाएगा। इसके अलावा हीरो समूह पहले होंडा समूह के साथ दोपहिया वाहन के लिए संयुक्त उद्यम कर चुका है। ऊंची ब्याज दर के कारण कंपनी के दोपहिया वाहनों की बिक्री कम हो गई है इसलिए यह समूह अन्य व्यवसायों में विशाखण कर रही है।’
एक सूत्र ने बताया, ‘हीरो समूह ने अपनी विस्तार योजनाओं के लिए बड़ी पूंजी आवंटित की है। दूसरी बात यह है कि दोपहिया वाहनों की तरफ से उनके व्यवसाय पर दबाव बन रहा है। इसलिए क्या वे अपने जीवन बीमा कारोबार के लिए उतनी बड़ी जुटा पाने में सक्षम होंगे?’हीरो समह के कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशन और अधिकारियों को इस संदर्भ में किए गए ई-मेल से कोई पुख्ता जवाब नहीं आया।
जीवन बीमा व्यवसाय एक उच्च पूंजी वाला व्यवसाय है जिसमें लगातार पूंजी लगाते रहने की आवश्यकता होती है। परिचालन के 10-12 वर्षों तक लाभ की उम्मीद नहीं होती है। निजीकरण के बाद आये 15 जीवन बीमा कंपनियों में से केवल एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने लाभ कमाने में सफल रहा है।
निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल अभी तक 3,772 करोड़ रुपये, बिड़ला सन लाइफ 1,224 करोड़ रुपये और बजाज आलियांज 900 करोड़ रुपये की पूंजी लगा चुका है जबकि रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस आगामी तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी लगाने वाला है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) जीवन बीमा के आरंभिक आवेदनों की छानबीन के दौरान यह देखना चाहता है कि कंपनी बीमा व्यवसाय के प्रति कितनी गंभीर है और उसके लिए आवश्यक पूंजी ला सकती है या नहीं। जब तक संभावित जीवन बीमा कंपनी आईआरडीए को यह साबित नहीं कर पाती कि वह आवश्यक पूंजी लगा सकती है तब तक उसे प्रारंभिक लाइसेंस नहीं मिल पाता है।