Hindenburg-Adani Case: अदाणी समूह ने अमेरिकी शॉर्ट-सेलर के ताजा आरोपों को भ्रामक करार दिया है। रविवार को शेयर बाजारों को भेजे गए बयान में अदाणी समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के नए दावे दुर्भावनापूर्ण, शरारत भरे और जोड़तोड़ वाले हैं। प्रवक्ता ने हिंडनबर्ग पर निजी लाभ के लिए पूर्व-निर्धारित निष्कर्ष निकालने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी का उपयोग करने का आरोप लगाया। उसके अनुसार यह तथ्यों और कानून का घोर उल्लंघन है।
प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अदाणी समूह के खिलाफ इन आरोपों को पूरी तरह से नकारते हैं जो खारिज दावों से गढ़े गए हैं और जिनकी पूरी तरह से जांच की गई है और वे निराधार साबित हुए है। इन्हें सर्वोच्च न्यायालय जनवरी 2024 में पहले ही खारिज कर चुका है।’ बयान में कहा गया है कि कंपनी का वैश्विक होल्डिंग ढांचा पूरी तरह पारदर्शी है और सभी जरूरी जानकारियों का विभिन्न सार्वजनिक दस्तावेजों में नियमित रूप से खुलासा किया जाता है।
इसके अलावा अनिल आहूजा 2007 से 2008 तक अदाणी पावर में 3आई निवेश फंड के नामित निदेशक थे और बाद में 2017 तक अदाणी एंटरप्राइजेज (एईएल) के निदेशक रहे। बयान में कहा गया है, ‘अदाणी समूह का संबंधित व्यक्तियों या मामलों के साथ कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है। हम पारदर्शिता बनाए रखने और सभी कानूनी और नियामकीय जरूरतों का ढृढ़ता से पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
शनिवार को जारी की गई हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, आहूजा मॉरिशस स्थित आईपीई प्लस फंड के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया कि आईपीई फंड की संरचना ग्लोबल ऑपर्च्युनिटीज फंड से दो स्तर नीचे की गई है।
एक्सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार इस अवधि के दौरान आहूजा ने तीन कार्यकाल तक एईएल के निदेशक के तौर पर जिम्मेदारी संभाली और इस तरह से वह कुल 9 वर्ष (जून 2017) के अंत) तक इस कंपनी से जुड़े रहे। इससे पहले वह अदाणी पावर के निदेशक थे।