देश की तीसरी सबसे बड़ी सीमेन्ट निर्माता कंपनी अंबुजा सीमेन्ट्स ने होलसिम का स्टॉक ऑप्शन प्रस्ताव नामंजूर कर दिया है।
अंबुजा सीमेन्ट्स का कहना है कि कंपनी की मौजूदा स्टॉक ऑप्शन स्कीम होससिम के प्रस्ताव से बेहतर है। कुछ समय पहले एसीसी ने होलसिम का ऐसा ही ऑफर मंजूर किया था।
स्विट्जरलैंड की बडी सीमेन्ट कंपनी होलसिम की अंबुजा सीमेन्ट्स और एसीसी में करीब 50 फीसदी हिस्सेदारी है और इस कंपनी का भारतीय सीमेन्ट बाजार पर बीस फीसदी कब्जा है, इसकी कुल क्षमता 420 लाख टन की है जिसे यह बढ़ाकर 550 लाख टन करना चाहती है।
अंबुजा सीमेन्ट्स के एमडी एएल कपूर के मुताबिक जैसा ऑफर एसीसी को दिया गया था ठीक वैसा ही ऑफर हमारे पास है लेकिन हमने अपने खुद के स्टॉक ऑप्शन (इम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन) को होलसिम के ऑफर से बेहतर समझा है और हम अपनी स्कीम के साथ ही बने रहेंगे। होलसिम का ऑफर दुनियाभर में उसकी उन सभी एसोसिएट कंपनियों के लिए है जहां भी उसका कामकाज चल रहा है।
इससे पहले एसीसी ने 2005 में अपने शेयरधारकों की आपत्ति पर अपने कर्मचारियों को दी जाने वाली स्टॉक ऑप्शन स्कीम को रद्द कर दिया था, और उसके बाद चूंकि कंपनी के पास और कोई स्कीम नहीं थी। लिहाजा, उसने होलसिम के ऑफर को मंजूर कर लिया था।
उस स्कीम के तहत एसीसी के एलिजिबल अधिकारियों को सालाना प्रदर्शन के आधार पर मिलने वाले बोनस को एक तय कीमत पर होलसिम के शेयरों में तब्दील किया जाना था और यह कीमत तब के बाजार भाव से कम थी। हालांकि होलसिम के शेयर एक लॉकइन अवधि के साथ थे।
कपूर कहते हैं, होलसिम के ऑफर में कुछ नया नहीं है क्योकि यह उसकी सभी कंपनियों के लिए है। ये हमें तय करना था कि हम इसे स्वीकार करें या नहीं। हमने इस पर विचार किया और पाया कि हमारा अपना स्टॉक ऑप्शन इस ऑफर से बेहतर है। हम उसी स्कीम को अपनाएंगे जो ज्यादा आकर्षक होगी और फिलहाल हमारी स्कीम ज्यादा आकर्षक दिख रही है।
उन्होंने कहा कि अंबुजा को इसलिए भी स्कीम नहीं पसंद आ रही थी क्योंकि वह कुछ चुनींदा बड़े अधिकारियों (अंबुजा) के लिए ही थी लेकिन हमारी अपनी स्कीम हमारे सभी कर्मचारियों के लिए होगी। होलसिम का ऑफर मंजूर करने पर जाहिर है उन कर्मचारियों को निराशा होगी।
5800 करोड़ रुपए की कंपनी अंबुजा सीमेन्ट्स अगले दो सालों में अपनी क्षमता बढ़ाकर 270 लाख टन करना चाहती है, कंपनी की मौजूदा क्षमता 190 लाख टन की है। कंपनी की नजर दक्षिण भारत के बाजार पर है और वह इस बाजार पर अपनी पकड़ बढ़ाना चाहती है। कंपनी के पास गुजरात से दक्षिण भारत सीमेंट भेजने के लिए पहले से ही दो पोर्ट टर्मिनल हैं और कंपनी ने अपने बेड़े में एक और जहाज बढ़ाने के लिए ऑर्डर दे दिया है।