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एसआईपी पर किस तरह से लिया जाता है एंट्री और एक्जिट लोड?

Last Updated- December 08, 2022 | 2:44 AM IST

एंट्री और एक्जिट लोड का क्या मतलब होता है और यह किस रकम पर लिया जाता है।


अगर हम एक सौ रुपए का निवेश करें और 120 रुपए पर एक्जिट करें और एंट्री और एक्जिट लोड क्रमश: ढाई और दो फीसदी हो तो क्या होगा। कृपया मुझे बताएं कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी)में ये लोड किस तरह चार्ज किए जाते हैं?  – अरविंद कुमार गुप्ता

जब भी कोई व्यक्ति कोई फंड खरीदता है तो उसे एक शुल्क देना होता है जिसे एंट्री लोड कहते हैं। यह रकम निवेश की गई रकम से काट ली जाती है। मिसाल के तौर पर अगर एक सौ रुपए का निवेश किया गया है और उस पर ढाई फीसदी का एंट्री लोड है तो सौ रुपए से ढाई रुपए काट लिए जाएंगे और 97.5 रुपए फंड में निवेश कर दिए जाएंगे।

इसी तरह जब आप फंड से पैसा निकालते हैं तब भी एक शुल्क लिया जाता है जिसे एक्जिट लोड कहते हैं। इसी उदाहरण में अगर आपका 100 रुपए का निवेश 120 रुपए हो जाता है और 2 फीसदी का एक्जिट लोड है यानी 2.40 रुपए (120 रुपए का दो फीसदी) आपको मिलने वाली रकम से काट लिए जाएंगे और आपको कुल 117.6 रुपए का भुगतान होगा।

हालांकि हर स्कीम का एक्जिट लोड अलग अलग होता है लेकिन यह बाजार के रेगुलेटर (सेबी) की तय सीमा के अंदर ही होना चाहिए। आप सीधे एएमसी के पास निवेश करके अपना एंट्री लोड बचा सकते हैं, हालांकि कुछ फंड अपनी एसआईपी पर एंट्री लोड नहीं लेते हैं।

दोहरा लाभ

हमने फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लानों (एफएमपी) में एक साल से ज्यादा के लिए निवेश कर रखा है। इस साल इक्विटी म्युचुअल फंडों के रिडम्पशन से हमें शार्ट टर्म कैपिटल लॉस भी हुआ है।

मैं जानना चाहता हूं कि क्या यह शार्ट टर्म कैपिटल लॉस में एफएमपी की कमाई (इनकम)से सेट ऑफ किया जा सकता है। अगर हां तो क्या हमें शार्ट टर्म लॉस को सेट ऑफ (भरपाई) करने से पहले एफएमपी के इंडेक्सेशन का फायदा मिलेगा?   – नितिन अग्रवाल

आयकर के नियमों के मुताबिक शार्ट टर्म कैपिटल लॉस को शार्ट टर्म कैपिटल गेन और लांग टर्म कैपिटल गेन से सेट ऑफ किया जा सकता है। यानी आप अपने नुकसान की भरपाई के लिए इसका फायदा उठा सकते हैं।

इसके अलावा आप एफएमपी के लाभ पर इंडेक्सेशन का फायदा भी ले सकते हैं ताकि शार्ट टर्म लॉस को सेट ऑफ करने से पहले कर का भार कम हो सके।

सोने में निवेश

अगर हम संकट के समय में हेज करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में सोना रखना चाहते हैं तो गोल्ड ईटीएफ ज्यादा मददगार नहीं होगा। अगर कोई राष्ट्रीय आपदा आ गई हो और सरकार मुश्किल में हो, गोल्ड ईटीएफ (आखिरकार यह केवल कागज पर ही है) को भुनाने में मुश्किल हो सकती है।

दूसरी ओर अगर हमारे पास वास्तव में सोना हो (फिजिकल) तो हम संकट के दौर में उसे हमेशा उसे भुना सकते हैं। क्या आप बता सकते हैं कि हम सही सोच रहे हैं?   – संबरन मित्रा


भारी संकट और महंगाई के खिलाफ हेड करने के लिए सोना निवेश का अच्छा विकल्प हो सकता है। यह दो तरह से किया जा सकता है। आप सोने को फिजिकल रूप में रख सकते हैं या फिर गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं।

अगर आप अति सतर्क हैं और सुरक्षित रुख अपनाना चाहते हैं तो बेहतर है आप फिजिकल रूप में ही सोना रखें लेकिन इसमें आपको यह भी देखना होगा कि सोना कितना खरा है और उसे सुरक्षित रखना भी एक काम होगा।

इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी बडी राष्ट्रीय आपदा पर या फिर अर्थव्यवस्था के भारी संकट पर गोल्ड ईटीएफ को भुनाने में मुश्किल हो। लेकिन ऐसी हालत आने की संभावना भी बहुत कम है। लिहाजा, आप सोने के खरेपन और सुरक्षा की चिंता किये बिना गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं।

रिस्क और रिटर्न ग्रेड

मेरी समस्या टॉरस लिक्विड फंड से जुडी है, इस फंड में सभी सरकारी बैंकों के सीडी हैं, तब क्यों इसे विशेषज्ञ हाई रिस्क और कम रिटर्न वाली श्रेणी में रखते हैं। दूसरी ओर कैनरा रोबैको लिक्विड फंड का पोर्टफोलियो काफी रिस्की है, इसका निवेश एनबीएफसी के पेपर्स में है लेकिन फिर भी इसे कम रिस्क और हाई रिटर्न वाला प्रोफाइल माना जाता है। -महेश कुमार कौशिक

वैल्यू रिसर्च किसी फंड का रिस्क ग्रेड उसके नुकसान होने के रिस्क पर तय करती है और इस बात पर नहीं कि उस फंड के पोर्टफोलियो में किस तरह के इंस्ट्रूमेंट हैं।  किसी फंड का रिस्क कैलकुलेट करने के लिए साप्ताहिक फंड रिटर्न की तुलना डेट फंड के साप्ताहिक रिस्क मुक्त रिटर्न से की जाती है।

स्टेट बैंक के 45 से 180 दिन के टर्म डिपॉजिट रेट को रिस्क  फ्री रिटर्न कहा जाता है। किसी फंड का तुलनात्मक प्रदर्शन उसके रिस्क स्कोर से तय किया जाता है और कैनरा रोबैको लिक्विड फंड का रिस्क स्कोर टॉरस लिक्विड फंड से कम है जबकि उसका रिटर्न स्कोर ज्यादा है।

बाजार गिरने की चिंता

मैं तीस साल का उच्च आयवर्ग का नौकरी पेशा व्यक्ति हूं। पिछले तीन साल से मैं नियमित रूप से एसआईपी के जरिए म्युचुअल फंडों में निवेश कर रहा हूं। लंबी अवधि का निवेशक हूं और म्युचुअल फंड के जरिए रिटायरमेंट कार्पस और बच्ची (जो अभी दो साल की है) की पढ़ाई और शादी की व्यवस्था करना चाहता हूं।

चूंकि मैं लंबी अवधि का निवेशक हूं, क्या यह उचित होगा कि मैं बीच में बिकवाली किए बिना लगातार निवेश करता रहूं।  हाल की गिरावट में पिछले तीन साल का मेरा सारा मुनाफा खत्म हो गया और मैं 20 फीसदी के नुकसान में हूं। मेरी चिंता है कि मैं अगले 8-10 साल निवेश करूं और फिर से ऐसा ही चक्र आए तो मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। कैसे अच्छी  रणनीति बनाएं।    – विकल्प अग्रवाल

सरल सी रणनीति अपनाएं, टॉप के फंडों में निवेश करें, इक्विटी और डेट में उचित पोर्टफोलियो एलोकेशन करें (यह हर किसी की अपनी जरूरत और जोखिम के अनुसार होता है)। साल में एक बार पोर्टफोलियो की समीक्षा करें और उसे संतुलित करें और एसआईपी के जरिए नियमित निवेश करें।

आपकी उम्र और बच्चों की पढ़ाई-शादी और रिटायरमेंट के भारी खर्च को देखते हुए बेहतर यह होगा कि उन तीन-चार टॉप रेटेड डाइवर्सिफाइड फंड में आपका निवेश हो जिनका ट्रैक रिकार्ड अच्छा हो। इनमें लंबे समय के लिए आपका निवेश होना चाहिए।

First Published - November 9, 2008 | 9:27 PM IST

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