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स्टॉक होल्डिंग कार्पो. ब्रोकिंग और वेल्थ मैनेजमेंट के कारोबार में

Last Updated- December 07, 2022 | 2:43 AM IST

देश की सबसे बड़ी कस्टोडियन और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट स्टॉक होल्डिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) अपनी डाइवर्सिफिकेशन योजना के तहत जल्दी ही वेल्थ मैनेजमेंट और स्टॉक ब्रोकिंग केकारोबार में उतरने जा रही है।


कार्पोरेशन के चेयरमैन और एमडी आरसी राजदान के मुताबिक अगले तीन महीनों में वो ये दोनों ही काम शुरू कर देंगे। उनका कहना है कि वो सारा फोकस टियर-1 और टियर-2 के शहरों और रिटेल ग्राहकों पर कर रहे हैं।

उनके मुताबिक चाहे वेल्थ मैनेजमेंट हो या फिर स्टॉक ब्रोकिंग, इन दोनों ही काम में छोटे शहरों में भारी संभावनाएं हैं। इसके अलावा कार्पोरेशन की 200 शाखाओं का भी उन्हे फायदा मिलेगा। और अगर वो इन शाखाओं का इस्तेमाल कर अपना विस्तार नहीं कर पाते तो ये नेटवर्क बेकार चला जाएगा।

कार्पोरेशन एसएचसीआईएल सर्विसेस के सब ब्रोकर के रूप में काम करेगा जो कार्पोरेशन की ही एक सब्सिडियरी है और एनएसई और बीएसई दोनों की ही सदस्य भी है, और एसएचसीआईएल सर्विसेस 2006 से ही ब्रोकिंग के कारोबार में है।

हालांकि कार्पोरेशन की दूसरी सब्सिडियरी कंपनियां भी विस्तार योजना के तहत ही लाई गई थीं, लेकिन इनमें से एसएचसीआईएल हानोबे टेक्नोलॉजीस और एसएचसीआईएल वैल्यू इंफोसोल्यूशंस को बंद कर दिया गया है। इन कंपनियों के शेयरहोल्डिंग पैटर्न को लेकर विवाद की वजह से ही इन्हे बंद करना पड़ा।

केरल की एसएचसीआईएल हानोबे 22 फरवरी 2007 को पंजीकृत की गई थी। एसएचसीआईएल प्रोजेक्ट्स और दो व्यक्तियों प्रदीप कुमार करुणाकरण (केरल) और विश्वनाथन लक्षमणन (मुंबई) की 2000 के शेयर घोटाले में भूमिका को लेकर जांच भी हो चुकी है।

इन कंपनियों की बंदी पर कुछ भी कहने से इनकार करते हुए राजदान ने कहा कि वो अब पुराने मुद्दों को छोड़ आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होने कहा कि वेल्थ मैनेजमेंट के अलावा ई-स्टैम्पिंग प्रोजेक्ट भी उनका अहम फोकस एरिया होगा। उन्होने दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक में प्रोजेक्ट शुरू भी कर दिए हैं और छह और राज्यों में इसे शुरू किया जाना है।

कार्पोरेशन को स्टैम्प पेपर घोटाले के बाद 2005 में सरकार ने ई-स्टैम्पिंग प्रोजेक्ट की केंद्रीय रिकार्ड कीपिंग एजेंसी के रूप में अधिकृत किया था। हालांकि पूर्व सीएमडी एन जयरामन अय्यर की भूमिका संदेह के घेरे में आने और कार्पोरेशन की विश्वस्नीयता पर सवाल उठने की वजह से इस प्रोजेक्ट में देरी हुई। इसके बाद आईसीआईसीआई बैंक के जीएम आरके बंसल ने थोडे समय के लिए कार्पोरेशन की बागडोर संभाली और बाद में राजदान ने काम संभाला।

First Published - May 30, 2008 | 9:59 PM IST

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