स्टील की बढ़ती कीमतें और साथ ही बेहतर उत्पाद होने के कारण सेल 40,265 करोड़ रूपये की उगाही कर सकती है।
मार्च 2008 के तिमाही में इसके 22 फीसदी ऊंचे रहने के आसार हैं। हालांकि दूसरे पीएसयूएस की तरह सेल भी अपने कर्मचारियों पर ज्यादा खर्च कर रही है। कम्पनी अपनी कुल विक्री का 8.6 फीसदी कर्मचारियों पर अतिरिक्त व्यय कर रही है, जिससे स्टीलनिर्माताओं की ओपरेटिंग मार्जिन खासा प्रभावित हुई है।
उदाहरण के तौर पर एनटीपीसी ने वित्तीय वर्ष 2008 के पहले नौ महीने के लिये अपने कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में 84 फीसदी तक बढ़ोतरी की है। लिहाजा सेल की ओपरेटिंग मार्जिन में 4.3 फीसदी की कमी देखी गयी। हालांकि कम्पनी वित्तीय वर्ष 2008 के पहले तीन तिमाही के 30 फीसदी रेवेन्यू ग्रोथ से खुश है। साथ ही इसके चलते शुक्रवार को स्टॉक में 7 फीसदी की तेजी रही। सेल के साथ जुड़ा सबसे सकारात्मक पहलू है कि यह लौहअयस्क के मामले में आत्मनिर्भर है।
फिलहाल, सेल की कुल उत्पादन क्षमता 140 लाख टन है, जिसे वित्तीय वर्ष 2012 तक बढ़ाकर 240 लाख टन तक पहुचाने की कम्पनी की योजना है। इसके लिये कम्पनी ब्राउन फील्ड रूट का अधिग्रहण करने के साथ प्लान्ट के नवीनीकरण पर जोर दे रही है। इनगॉट कास्ट रूट और ओपन हेल्थ के चलते देश की सबसे बड़ी स्टील कम्पनी के लागत में कमी आयेगी।
हालांकि आने वाले दिनों में विश्वस्तर पर स्टील की कीमतें रहने की संभावना है, फिर भी सरकार कीमतों में स्थिर बरकरार रखने के लिये प्रतिबध्द है। दूसरी ओर स्टीलनिर्माता उत्पादन लागत जैसे कोकिंग कोल की कीमत बढ़ने से दबाव की स्थिति में हैं। सेल को उम्मीद है कि कम्पनी की कुल रेवेन्यू वित्तीय वर्ष 2009 के अंत तक तकरीबन 44,000 करोड़ रुपये हो जायेगी।
साथ ही वित्तीय वर्ष 2009 के अंत तक कुल प्रॉफिट के 10,200 करोड़ रुपये पहुचने का भी अनुमान है। फिलहाल 186 रुपये पर सेल का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय का 9.5 गुना है, और इसके बाजार के साथ ही प्रर्दशन करने की उम्मीद है।
दूसरी ओर इसकी प्रमुख प्रतिद्वंदी टाटा स्टील का कारोबार कोरस के साथ टशन के बावजूद 891 रुपये पर वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय का 6.5 गुना है। इसके भी बाजार में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
रेमंड-रुक नहीं रहा घाटा
टेक्सटाइल क्षेत्र की मशहूर कम्पनी रेमण्ड के घाटे में कमी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। टेक्सटाइल क्षेत्र की यह कम्पनी डेनिम के साथ संयुक्त उपक्रम की कम्पनी है।
मार्च 2008 में समाप्त हुये तिमाही में कम्पनी को 41 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था। इसके पहले भी कम्पनी को दिसम्बर 2007 में समाप्त हुये तिमाही में तकरीबन 36 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था।
इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि कॉटन की कीमतों में उछाल के चलते वित्तीय वर्ष 2009 में भी डेनिम की स्थिति में सुघार के आसार नहीं हैं। कॉटन की कीमतों में वित्तीय वर्ष 2008 के दौरान 18 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गयी, साथ ही चालू वित्तीय वर्ष के दौरान भी इसकी कीमतों में 5 से 6 फीसदी तक बढ़ोतरी संभव है।
घरेलू बाजार के साथ अमेरिकी और यूरोपीय बाजार से मांग की तुलना में कम आवक के चलते कॉटन की कीमतों में उछाल देखी जी रही है। वित्तीय वर्ष 2008 के दौरान रेमण्ड की कुल विक्री 2,393 करोड़ रुपये रही। हालांकि कम्पनी की टेक्सटाइल वेल्यू चेन में 17 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। लेकिन कम्पनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 38 फीसदी की गिराबट देखी गयी।
साथ ही कम्पनी के नेट प्रॉफिट में भी 85 फीसदी तक गिराबट का रुख रहा। कम्पनी का यह डिविजन मार्च 2008 के तिमाही मेंस्मार्ट सेल्स में 27 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते अच्छा प्रर्दशन किया था। हालांकि ऊन की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के चलते कम्पनी की अर्निंग मार्जिन 28 फीसदी तक गिर गयी। इस साल भी ऊन की कीमतों में तेजी के चलते दबाव बने रहने की आशंका है।
विज्ञापन खर्च बढ़ने से अधिक उत्पादन लागत के चलते इस वित्तीय वर्ष मार्जिन 800 बेसिस प्वाइंट गिरकर 25 फीसदी तक जा पहुंचा। रेमण्ड की सबसीडियरीज रेमण्ड अपैरल और कॉलरप्लस अच्छी कमायी कर रही है। साथ ही ये मार्च 2007 की तिमाही की तुलना मेंज्यादा रेवेन्यू अर्जित किये।
हालांकि एक दर्जन से ज्यादा स्टोर्स बंद कर दिये गये। इससे कॉलरप्लस का ऑपरेटिंग प्रॉफिट बुरी तरह प्रभावित हुआ। साथ ही कम्पनी छोटे शहरों की ओर रुख कर रही है। अब कम्पनी स्टोर्स खोलने की जगह फ्रेंचाइजी ऑप्शन पर ज्यादा गौर कर रही है। ज्यादा खपत और मांग बढ़ने से कम्पनी का वित्तीय वर्ष 2009 के दौरान कुल रेवेन्यू 2700 करोड़ रुपये तक जा सकता है।
साथ ही वित्तीय वर्ष 2009 के दौरान कुल प्रॉफिट 60 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।इस साल की शुरूआत से ही स्टॉक उम्मीद से काफी नीचे रहा है,लेकिन इसके वर्तमान के 248 रुपये की कीमत वित्तीय वर्ष 2009 की कुल अनुमानित आय से करीब 26 गुना खर्चीला है।