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भारत-मूल्यांकन बेमतलब

Last Updated- December 07, 2022 | 11:42 AM IST

बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का कारोबार इस समय 12,676 अंकों पर हो रहा है। जो कि वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 13 गुना के स्तर पर है।


हालांकि यह पिछले 18 सालों के15.6 गुना के औसत से भी कम है। यह स्तर उभरते हुए बाजारों से दोगुना होने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार का कारोबार इस समय केवल पांच से छ: गुना प्रीमियम पर हो रहा है। जिसका मतलब यह निकलता है कि आय का स्तर नीचे नहीं गिर रहा है।

मौजूदा आय का स्तर बताता है कि वित्त्तीय वर्ष 2008 में हासिल की गई 16 से 17 फीसदी की ग्रोथ इस वित्त्तीय वर्ष में हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि मौजूदा समय में व्यापक बाजार की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। बढ़ती महंगाई, ऊंची ब्याज दरों और मानसून की खराब हालात से अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। इसका सीधा प्रभाव कारपोरेट अर्निंग पर पड़ सकता है और जिसका मतलब है कि भारतीय बाजार का कारोबार 13 गुना के स्तर से ऊपर भी हो सकता है। इस स्तर पर बाजार में 37 फीसदी का करेक्शन  हुआ है और इसके आगे भी सस्ता होनें की संभावना नहीं है।

यदि वैल्यूएशन सस्ता नहीं है तो वह निश्चित रुप से उत्तरदायी स्तर से ऊपर होगा। जबकि छ: महीने पहले स्टॉक का कारोबार 30 से 40 गुना ऊपर केस्तर पर हो रहा था। हालांकि इन मौजूदा हालात में शेयरों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। क्योंकि निवेशकों को शेयरों की वास्तविक कीमत का अंदाजा नहीं है। इस माहौल में यह आश्चर्यजनक नही है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों हर हफ्ते 50 करोड़ डॉलर निकाल रहे हैं और जल्दी ही घरेलू फंड भी निवेश करना बंद कर देंगे। जबकि शेयर बाजार में एक चरण छ: माह तक रहता है।

हालांकि शेयर बाजार में आगे चढ़ाव आने की संभावना है और बाजार पुन: अपनी रफ्तार पकड़ सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बाजार में अभी मंदी छाई रहेगी और मंदी खत्म होनें में अभी वक्त लगेगा। बाजार के इस मंदी के रुझान की कुछ ठोस वजहें भी है। वैश्विक वित्त्तीय संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और इसमें लगातार गिरावट जारी है। दसवर्षीय बेंचमार्क यील्ड इस समय 9.5 फीसदी केस्तर पर है जो 2002 में छ: फीसदी के स्तर पर था।

अगर महंगाई में इसी प्रकार की वृध्दि जारी रही तो इसके दस फीसदी के स्तर को भी पार कर जाने की संभावना है। इसलिए निवेशक इससमय मार्केट-टू-मार्केट लॉसेज के संबंध में अनिश्चय की स्थिति में हैं कि बैंकों का प्रदर्शन कैसा रहेगा और ऑटोमोबाइल कंपनियों का मार्जिन कैसा रहेगा। इसका प्रभाव कंपनियों के परिणामों पर भी पड़ रहा है।

हालांकि एक्सिस बैंक के परिणाम रुख को मात देने वाले रहे लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि इस मंदी के तूफान का प्रभाव बैंक के आगे के परिणामों पर देखने को मिलेगा। एक सामान्य धारणा है कि जून की तिमाही के आंकड़े तो बेहतर रहेंगे लेकिन आगे की तिमाहियों में परिणामों पर गहरा परिणाम पड़ सकता है।

बैंकों के शेयरों में गिरावट

बैंकों के स्टॉक में आई गिरावट निवेशकों को निराश करने वाली है। बीएसई बैंकेक्स आठ फीसदी गिरकर 5,508 अंकों के स्तर पर आ गया जो पिछले 22 महीनों का न्यूनतम स्तर है। इन वजहों से फिच ने भी भारत करेंसी के रुख पहले के स्टेबल स्तर से निगेटिव स्तर पर कर दिया है।

अन्य एशियाई बाजारों के बैंक स्टॉक में भी गिरावट देखी गई जिसकी वजह अमेरिकी की अर्थव्यवस्था में आया वित्तीय संकट रहा। जापानी बैंकों में से तीन सबसे बड़े बैंकों के सूचकांक में छ: से आठ फीसदी की गिरावट आई। ताइवान का वित्त्तीय सूचकांक भी छ: फीसदी गिरकर अक्टूबर 2005 के बाद न्यूनतम स्तर पर आ गया। भारतीय शेयरबाजार में भी बैंकों को अपने काफी सूचकांकों को खोना पड़ा। 

एचडीएफसी बैंक के सूचकांक में 11 फीसदी की गिरावट जबकि आईसीआईसीआई बैंक के सूचकांक में नौ फीसदी की गिरावट देखी गई। बैंकिंग स्टॉक में जनवरी से अबतक 50 से 60 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। जबकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा और कड़े प्रावधानों की संभावना है तो बैंकों को और नुकसान देखना पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कैस रिजर्व रेशियो और रेपो रेट में वृध्दि का फैसला लेने के बाद बैंकों को अपनी जमा दरों और ब्याज दरों में वृध्दि के लिए मजबूर होना पड़ा था।

आरबीआई के इस कदम का असर बैंकों के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन पर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त ऊंची ब्याज दरों का प्रभाव ग्राहकों और बैंकों की सेहत दोनों को प्रभावित करेगा। उद्योगों पर गहरी दृष्टि रहने वाले विश्लेषकों का मानना है कि बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ भी प्रभावित हो सकती है। जो अभी 24 फीसदी केस्तर पर है।

बैंकों को छोटे एवं मझोले उद्योगों की ओर से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस सेक्टर से बैड लोन की संख्या बढ़ रही है। आईसीआईसीआई बैंक के परिणामों से भी इस सेक्टर से कुछ परेशानियां दिखी। एक्सिस बैंक ने भी अपने परिणामों में व्यक्त किया कि एसएमई सेक्टर से बैड लोन की संख्या बढ़ रही है। बैंकिंग स्टॉक के लिए अभी माहौल के चुनौतीपूर्ण रहने की संभावना है।

First Published - July 16, 2008 | 10:36 PM IST

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