भारत ने आईपीओ के मामले में पूरी दुनिया में नंबर वन पोजीशन हासिल कर ली है। पैंटोमैथ ग्रुप के डेटा के मुताबिक, भारत ने अमेरिका से दोगुने और यूरोप से ढाई गुना ज्यादा आईपीओ लॉन्च किए। 2024 के पहले 11 महीनों में ही 76 कंपनियों ने 1.3 लाख करोड़ रुपये जुटाए। रिपोर्ट यह भी कहती है कि 2025 में 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के आईपीओ फंडिंग का नया रिकॉर्ड बन सकता है।
आईपीओ की संख्या में अमेरिका, यूरोप से आगे भारत
रिपोर्ट में कहा गया, “भारत ने पहली बार आईपीओ की संख्या में अमेरिका और यूरोप को पीछे छोड़ दिया। यहां अमेरिका से करीब दोगुने और यूरोप से ढाई गुना ज्यादा आईपीओ लॉन्च हुए।” दूसरी तरफ, अमेरिका ने 2021 के बाद पहली बार आईपीओ से जुटाई गई राशि में बढ़त बनाई और ग्लोबल इन्वेस्टर्स के लिए सबसे पॉपुलर मार्केट बना रहा।
चीन में सख्त नियमों की वजह से इस साल आईपीओ का प्रदर्शन पिछले 10 सालों में सबसे कमजोर रहा। ग्लोबल लेवल पर टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेलीकॉम (TMT), इंडस्ट्रियल और कंज्यूमर सेक्टर्स ने सबसे ज्यादा आईपीओ लॉन्च किए जो टोटल आईपीओ की संख्या और फंडिंग का लगभग 60% है।
आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 332 आईपीओ के साथ दुनिया में सबसे ज्यादा आईपीओ पेश किए। अमेरिका 205 आईपीओ के साथ दूसरे नंबर पर और चीन 130 आईपीओ के साथ तीसरे नंबर पर रहा। वेस्टर्न यूरोप और जापान काफी पीछे रहे, जिनमें क्रमशः 64 और 80 आईपीओ लॉन्च हुए।
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यह बताता है कि भारत में IPO मार्केट तेजी से बढ़ रहा है।
IPO वैल्यूएशन में अभी भी अमेरिका सबसे आगे
भले ही अमेरिका में IPO की संख्या कम रही है लेकिन कुल IPO वैल्यू के हिसाब से वे नंबर एक हैं। साल 2024 में अमेरिका में कुल आईपीओ की वैल्यू $35.6 बिलियन रही जो बताता है कि उनके यहां लॉन्च होने वाले आईपीओ का औसत साइज काफी बड़ा था। इसके मुकाबले भारत में आईपीओ का वैल्यूएशन $22.7 बिलियन रहा। वेस्टर्न यूरोप और चीन के IPO वैल्यू क्रमशः $17.7 बिलियन और $17.0 बिलियन हैं, जबकि जापान $2.3 बिलियन के साथ काफी पीछे है। यह अलग-अलग क्षेत्रों में IPO के पैमाने में अंतर को बताता है।
2014 से 2024 के बीच औसत IPO साइज में उतार-चढ़ाव देखा गया, लेकिन कुल मिलाकर इसमें बढ़ोतरी हुई है। खासतौर पर 2017, 2021 और 2024 में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली। यह दिखाता है कि कंपनियां पब्लिक ऑफरिंग के जरिए ज्यादा पैसा जुटा रही हैं। 2024 की बढ़ोतरी यह बताती है कि मार्केट की स्थिति और निवेशकों का भरोसा बड़े IPO के लिए सही है। साथ ही, यह भी साफ होता है कि भारतीय IPO सिस्टम अब बड़े फंडरेज को संभालने में सक्षम हो गया है।
2022 में IPO का औसत सब्सक्रिप्शन रेट 16x था, जो 2024 में बढ़कर 64x हो गया। यह दिखाता है कि निवेशकों की रुचि और उत्साह तेजी से बढ़ा है। इसका कारण मजबूत रिटर्न और आकर्षक वैल्यूएशन हैं। यह यह भी बताता है कि डिमांड ज्यादा है और शेयरों की संख्या कम, जिससे रिटेल निवेशकों को शेयर पाना मुश्किल हो सकता है।
सेक्टोरल हिस्सेदारी में इंडस्ट्रियल्स 30% के साथ सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। इसके बाद हेल्थ केयर का 18% हिस्सा है। कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी और फाइनेंशियल्स का योगदान क्रमशः 11% और 9% है। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी 6% हिस्सेदारी रखता है, जबकि रियल एस्टेट और एनर्जी का योगदान 4% है। छोटे क्षेत्रों में यूटिलिटीज (2%), मटीरियल्स (1%), और कम्युनिकेशन सर्विसेज (3%) शामिल हैं।
अब तक लिस्ट हुए 76 मुख्य-बोर्ड आईपीओ में से 53 कंपनियों के शेयर उनकी ऑफर कीमत से अधिक प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं। इनमें से 11 कंपनियां अपनी ऑफर कीमत से 100% से अधिक प्रीमियम पर ट्रेड कर रही हैं। 76 में से 4 आईपीओ 100% से अधिक प्रीमियम पर डेब्यू कर चुके हैं, जबकि 17 आईपीओ अपनी ऑफर कीमत से डिस्काउंट पर लिस्ट हुए हैं।
मल्टीनेशनल कंपनियों की बढ़ती रुचि
पैंटोमैथ कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर महावीर लूनावत ने कहा, “मल्टीनेशनल कंपनियां भारत में लिस्टिंग के फायदों को समझ चुकी हैं। कम पूंजी लागत, बड़ा बाजार और मजबूत नियम-कायदे जैसे कारण विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करते हैं। भारतीय एक्सचेंजों पर इन कंपनियों की बढ़ती भागीदारी भारतीय कैपिटल मार्केट को नई दिशा दे रही है।”
2025 का आउटलुक
2025 के लिए, 34 कंपनियों ने आईपीओ के लिए सेबी की मंजूरी हासिल कर ली है जिनसे कुल ₹41,462 करोड़ जुटाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, 55 कंपनियां अभी भी नियामकीय मंजूरी का इंतजार कर रही हैं जो लगभग ₹98,672 करोड़ जुटाने की योजना बना रही हैं। सेबी की मंजूरी मिलने के बाद कंपनी को आईपीओ लॉन्च करने के लिए एक साल का समय मिलता है।
2024 में रिकॉर्ड 143 डीआरएचपी (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) सेबी के पास दाखिल हुए जो 2023 में 84 और 2022 में 89 के मुकाबले काफी ज्यादा है। यह रिकॉर्ड वृद्धि बाजार के मजबूत प्रदर्शन को दिखाती है और यह संकेत देती है कि आईपीओ के जरिए फंड जुटाने की यह रफ्तार अगले साल भी बनी रहेगी।
पैंटोमैथ कैपिटल के महावीर लूनावत ने कहा, “बाजार की इस निरंतर मजबूती को देखते हुए, हमें उम्मीद है कि 2025 में आईपीओ के जरिए जुटाई गई पूंजी ₹2 ट्रिलियन का आंकड़ा पार कर जाएगी।”