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अमेरिका में थम रहा दर वृद्धि का सिलसिला, FPI का पसंदीदा बन सकता है भारत

Last Updated- May 04, 2023 | 11:57 PM IST
FPIs' selling continues; withdraw Rs 7,300 cr from equities in a weekFPI की बिकवाली जारी; फरवरी के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार से 7,342 करोड़ रुपये निकाले

मई में चार कारोबारी सत्रों में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय इ​क्विटी में 10,850 करोड़ रुपये लगाए। वहीं मार्च और अप्रैल में शुद्ध प्रवाह 7,936 करोड़ रुपये और 11,631 करोड़ रुपये रहा।

विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा रुझान बना रह सकता है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने ब्याज दर वृद्धि चक्र पर जल्द विराम लगा सकता है, जिससे भारत समेत उभरते बाजारों में विदेशी फंड प्रवाह मजबूत होगा।

Ambit Asset Management के फंड मैनेजर (Coffee Can ) मनीष जैन ने कहा, ‘बुधवार की 25 आधार अंक की दर वृद्धि के साथ अमे​रिका में वास्तविक ब्याज दर अब सकारात्मक हो गई है। जहां लंबे समय तक दर वृद्धि नहीं होने से वै​श्विक इ​क्विटी को मजबूती मिलेगी, वहीं भारत को उचित मूल्यांकन के बीच इसका ज्यादा लाभ मिलने की संभावना है।’

विश्लेषकों का मानना है कि भारत के अलावा, इंडोने​शिया, थाईलैंड और चीन में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह आक​र्षित होगा।

HSBC के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘चीन में लगातार और मजबूत आ​र्थिक सुधार का लाभ पर्यटन, खपत, निवेश और आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव के संदर्भ में हांगकांग के साथ साथ उसके क्षेत्रीय प्रतिस्प​र्धियों (थाईलैंड और इंडोने​शिया समेत) को भी मिलने की संभावना है।’

भारत: चमकता बाजार

वै​श्विक आ​र्थिक वृद्धि में संभावित मंदी के विपरीत, वित्त वर्ष 2023/24 में भारत के 6.5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, घरेलू मुद्रास्फीति और ब्याज दरों में तेजी, तथा चालू खाते के घाटे में गिरावट ने भारत को अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर हालत में बनाए रखा है।

इसके अलावा, अमेरिका द्वारा मौद्रिक नीतिगत सख्ती डॉलर की बढ़त को सीमित बनाए रखेगी, जिससे डॉलर संदर्भ में FPI को ज्यादा प्रतिफल मिलेगा। अमेरिकी डॉलर सूचकांक इस साल अब तक (YTD) 2.4 प्रतिशत गिरा, जबकि समान अव​धि के दौरान रुपये में 1 प्रतिशत तेजी आई है।

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नुवामा कैपिटल मार्केट्स के अध्यक्ष एवं प्रमुख ​शिव सहगल का मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वै​श्विक वित्तीय बाजारों पर आगामी महीनों में अमेरिकी फेड की आक्रामक सख्ती का प्रभाव दिखेगा।

ब्लूमबर्ग के एक ताजा सर्वे में 2023 में ए​शिया प्रशांत देशों में मंदी की चपेट में भारत के आने की आशंका नगण्य रहने का अनुमान जताया गया। वहीं इंडोने​शिया में मंदी आने की आशंका 2 प्रतिशत, चीन के लिए 12.5 प्रतिशत जताई गई है।

वहीं विकसित देशों के लिए मंदी का खतरा 75 प्रतिशत, न्यूजीलैंड के लिए 10 प्रतिशत, अमेरिका में 65 प्रतिशत और जर्मनी तथा इटली के लिए 60-60 प्रतिशत बना हुआ है।

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आगामी राह

ICICI Securities के मुख्य अ​धिकारी एवं फंड प्रबंधक (PMS) अमित गुप्ता का मानना है कि निफ्टी-50 मध्याव​धि में 21,000 के स्तर की दिशा में बढ़ता दिख रहा है, जो मौजूदा स्तरों से करीब 17 प्रतिशत की तेजी है। उन्होंने कहा, ‘भले ही वै​श्विक समस्याएं बाजारों को अल्पाव​धि में सीमित दायरे में बनाए रखेंगी, लेकिन भारत के लिहाज से हालात काफी मजबूत हैं क्योंकि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में FPI प्रवाह सुधरा और निजी पूंजीगत खर्च में तेजी आई है।’

उन्हें पूंजीगत वस्तु, विद्युत, चीनी, बैंक, उद्योग, बि​ल्डिंग मैटैरियल और फ्लूराइन केमिकल जैसे क्षेत्रों को FPI प्रवाह से लाभ मिलने का अनुमान है।

First Published - May 4, 2023 | 11:57 PM IST

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