facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

भारतीय स्टील शेयरों की कीमतें कमजोर, विशेषज्ञों की राय…गिरावट पर खरीदारी सही!

विश्लेषकों का कहना है कि कि कीमतों में कमजोरी का कारण चीन और वियतनाम द्वारा भारतीय बाजार में अपने इस्पात उत्पादों की डंपिंग करना था

Last Updated- August 20, 2024 | 9:54 PM IST
Steel

भारतीय इस्पात कंपनियों के शेयरों पर दबाव बना हुआ है, जिसके लिए कुछ हद तक सस्ते आयात को जिम्मेदार माना जा रहा है। एक महीने में इस क्षेत्र के शेयरों में एनएसई पर 9 प्रतिशत तक की गिरावट आई जिसे निवेशकों के लिए खरीदारी के मौके के तौर पर देखा जा रहा है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में विश्लेषक अमित दीक्षित ने कहा, ‘इस्पात या किसी अन्य जिंस में, अगर कीमतें या स्प्रेड अपने निचले स्तर के करीब हैं, तो उन शेयरों में निवेश करने का यह एक उपयुक्त समय हो सकता है। भारत में, इस्पात की खपत समेत घरेलू बुनियादी आधार मजबूत है, इसलिए कोई भी इन शेयरों में नया निवेश कर सकता है।’

दीक्षित ने कहा कि घरेलू इस्पात स्प्रेड 24,330 रुपये प्रति टन (मार्च 2024 के बाद से सबसे कम) और हॉट रॉल्ड कॉइल (एचआरसी) की कीमत 51,370 रुपये प्रति टन (दिसंबर 2020 के बाद से सबसे कम) है।

एसीई इक्विटी के आंकड़े के अनुसार, निफ्टी मेटल इंडेक्स पिछले महीने में 1.01 प्रतिशत तक गिरा, जबकि निफ्टी-50 में 0.17 प्रतिशत तक की तेजी आई।

स्टील ट्यूब्स बनाने वाली एपीएल अपोलो ट्यूब्स का शेयर एक महीने में 8.89 प्रतिशत, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) 7.4 प्रतिशत, एनएमडीसी 3.89 प्रतिशत, जिंदल स्टेनलेस 2.97 प्रतिशत और टाटा स्टील 2.41 प्रतिशत तक गिरा।

विश्लेषकों ने कहा कि कीमतों में कमजोरी का कारण चीन और वियतनाम द्वारा भारतीय बाजार में अपने इस्पात उत्पादों की डंपिंग करना था।

वित्त वर्ष 2025 के पहले चार महीने में शुद्ध इस्पात आयात सालाना आधार पर 57 प्रतिशत बढ़कर 2.7 मेगा टन हो गया, जबकि निर्यात सालाना आधार पर 46 प्रतिशत तक घटकर 1.7 मेगा टन रह गया।

चीनी आयात सालाना आधार पर 193 प्रतिशत बढ़कर 0.85 मेगा टन हो गया, जिसके साथ ही भारत के कुल इस्पात आयात में इस देश की भागीदारी पिछले चार साल में 16 प्रतिशत के औसत से बढ़कर 32 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, दूसरी तरफ वियतनाम से इस्पात आयात सालाना आधार पर 60 प्रतिशत तक घटा है।

ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने अनुमान जताया है कि जहां इस्पात कीमतें अल्पावधि में कमजोर बनी रह सकती हैं, वहीं वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में इनमें सुधार की संभावना है।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकारों को 1 अप्रैल, 2005 से खनिजों पर अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार है। विश्लेषकों का मानना है कि इस फैसले का बहुत कम प्रभाव पड़ेगा और लागत का बोझ इस्पात उपभोक्ताओं पर डाला जाएगा।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील, जिंदल स्टेनलेस और टाटा स्टील के लिए ‘खरीदें’ रेटिंग दी है। वहीं एनएमडीसी के लिए ‘जोड़ें’ तथा सेल के लिए ‘बिकवाली’ की रेटिंग दी है।

First Published - August 20, 2024 | 9:54 PM IST

संबंधित पोस्ट