निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक के प्रवर्तक इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स लिमिटेड और इंडसइंड लिमिटेड ने बैंक के प्रबंधन को सूचित किया है कि वे द्वितीयक बाजार से बैंक की अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदेंगे। बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी को लिखे पत्र में प्रवर्तकों ने कहा है, हम खुले बाजार से अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीदेंगे, जो प्रवर्तकों के लिए इक्विटी की नियामकीय सीमा के दायरे में होगा।
अभी प्रवर्तकों के पास इंडसइंड बैंक की चुकता शेयर पूंजी का 14.68 फीसदी हिस्सा है। आरबीआई के नियम के मुताबिक, प्रवर्तक अभी बैंक की 0.32 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी खरीद सकते हैं। आरबीआई के नियमों के मुताबिक, बैंक को परिचालन शुरू करने के पहले तीन साल में प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाकर 40 फीसदी पर लाना जरूरी है। उसके बाद बैंक को 10 साल में प्रवर्तक हिस्सेदारी घटाकर 20 फीसदी करना होता है जबकि 15 साल बाद 15 फीसदी। इंडसइंड बैंक के मामले में आरबीआई के नियम के तहत प्रवर्तक हिस्सेदारी की सीमा 15 फीसदी है।
हालांकि हाल में बैंक के प्रवर्तकों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 26 फीसदी करने की इच्छा जताई थी और इस बारे में आरबीआई की मंजूरी मांगी थी। लेकिन आरबीआई ने अभी तक इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है। चौथी तिमाही के नतीजे के दौरान बैंक के प्रबंधन ने कहा था कि उन्हें इस प्रस्ताव पर आरबीआई से कोई सूचना नहीं मिली है। यह तब देखने को मिला जब कोटक महिंद्रा बैंक के प्रवर्तकों को आरबीआई ने बैंक में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी। बैंक का शेयर कुछ समय से दबाव में है। बैंक का शेयर पिछले एक साल में 71 फीसदी टूटा है। इस घोषणा के बाद बैंक का शेयर करीब 7 फीसदी चढ़ा और अंत में 451.65 रुपये पर बंद हुआ।चौथी तिमाही में बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात 15.04 फीसदी रहा, जो एक साल पहले 14.16 फीसदी रहा था। टियर-1 पूंजी पर्याप्तता अनुपात 31 मार्च 2020 को 14.57 फीसदी था, जो पिछले साल 13.70 फीसदी रहा था।
बैंक का कर पूर्व लाभ सालाना आधार पर 22 फीसदी घटा जबकि तिमाही आधार पर उसमें 77 फीसदी की गिरावट आई और लाभ 395.9 करोड़ रुपये रहा।