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एलआईसी के खराब प्रदर्शन से प्रभावित हुआ बीमा उद्योग

Last Updated- December 06, 2022 | 9:40 PM IST

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के खराब प्रदर्शन से जीवन बीमा उद्योग की बिक्री में मंदी आई है।


वास्तव में पिछले 10 वर्षों में यह प्रदर्शन सबसे बुरा रहा है।वर्ष 2005-2008 के दौरान नई जीवन बीमा पॉलिसियों की बिक्री से प्राप्त होने वाले प्रीमियम में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और यह 92,988.71 करोड़ रुपये हो गई लेकिन एलआईसी के पहले प्रीमियम से प्राप्त होने वाली आय में केवल छह प्रतिशत की वृध्दि हुई।


उल्लेखनीय है कि विछले वित्त वर्ष में जीवन बीमा उद्योग की पहली प्रीमियम आय में 110 प्रतिशत की वृध्दि हुई थी।एलआईसी का विपणन विभाग जो खराब प्रदर्शन की वजह का पता लगाने के लिए अभी भी आंकड़ों को खंगाल रहा है,  का कहना है कि इस मंद बढ़त का कारण  वर्ष 2006-2007 का ‘118 प्रतिशत का असामान्य विकास’ है।


सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी के पहले प्रीमियम से होने वाली आय मार्च 2008 के अंत में बढ़ कर 59,182.2 करोड़ रुपये हो गई जबकि वर्ष 2006-07 में यह 55,934.69 करोड़ रुपये थी।भारतीय जीवन बीमा निगम के अध्यक्ष टी एस विजयन ने कहा, ’30-40 प्रतिशत के  विकास को कायम रखा जा सकता था लेकिन उच्च आधार को देखते हुए पिछले वर्ष (2006-07) के विकास को बरकरार रखना काफी कठिन था।’


इसके विपरीत निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों के पहले प्रीमियम से होने वाली आय में मंदी के लक्षण कम ही दिखे। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2008 के अंत में संयुक्त रुप से इनकी प्रीमियम आय में 73.6 प्रतिशत की वृध्दि हुई और यह 33,806.5 करोड़ रुपये रही। वर्ष 2006-07 में पहले प्रीमियम से होने वाली आय में 90 प्रतिशत की बढ़त हुई थी।


नये व्यवसाय में आई मंदी से एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी भी कम हुई है। मार्च 2007 के अंत में जीवन बीमा बाजार में एलआईसी की हिस्सेदारी लगभग 74 प्रतिशत थी जो अब घट कर दो-तिहाई से भी कम (63.64 प्रतिशत) रह गई है।


निजी क्षेत्र की 17 जीवन बीमा कंपनियों ने मार्च 2008 के अंत तक अपनी बाजार हिस्सेदारी 36 प्रतिशत बढ़ाई है जबकि पिछले वर्ष यह बढ़त 25 प्रतिशत की थी।चौथी तिमाही आम तौर पर जीवन बीमा कंपनियों के लिए व्यवसाय की दृष्टि से चरम पर होती है लेकिन पिछले वित्त वर्ष की कहानी इससे अलग रही जिसकी वजह शेयर बाजार की अस्थिरता थी।


औद्योगिक विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार की अस्थिरता के कारण कई लोगों ने यूनिट लिंक्ड योजनाओं की खरीदारी नहीं की।एक बीमा कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन के कारण एकल प्रीमियम पॉलिसियों की तुलना में नियमित प्रीमियम वाली पॉलिसियों की बिक्री में वृध्दि हुई है।’ उन्होंने बताया कि एलआईसी अपना एकल प्रीमियम बाजार खो चुका है।


जनवरी-मार्च 2008 के दौरान इस उद्योग में 49 प्रतिशत की बढ़त हुई। पहले प्रीमियम से होने वाली आय 39,411.9 करोड़ रुपये रही जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 26,527.7 करोड़ रुपये थी। निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने पिछली तिमाही में 67 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की और इनकी प्रीमियम आय 14,825.37 करोड़ रुपये रही।


हालांकि चौथी तिमाही में एलआईसी के पहले प्रीमियम से होने वाली आय में 40 प्रतिशत की वृध्दि हुई और यह 24,586.61 करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 17,680.89 करोड़ रुपये थी।

First Published - May 5, 2008 | 10:07 PM IST

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