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गिरावट के बावजूद वै​श्विक फंडों से जुड़े हुए हैं निवेशक

Last Updated- January 08, 2023 | 11:14 PM IST
6 new fund companies will enter the mutual fund industry this year इस साल म्युचुअल फंड उद्योग में 6 नई फंड कंपनी देंगी दस्तक

अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में निवेश से जुड़े भारतीय निवेशक 2022 में वै​श्विक बाजारों में आई बड़ी गिरावट से चिंतित नहीं हैं। एमएफ उद्योग द्वारा जारी आंकड़े से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) में नया निवेश दिसंबर 2021 से नवंबर 2022 की अव​धि के 12 महीनों में से 10 में बिकवाली के मुकाबले ज्यादा रहा।

नए निवेश के लगातार प्रवाह से यह भी सुनि​श्चित हुआ है कि अंतरराष्ट्रीय एफओएफ की प्रबंधन अधीन परिसंप​त्तियां (एयूएम) बहुत ज्यादा कमजोर नहीं पड़ी हैं। पिछले एक साल में इन फंडों की एयूएम सिर्फ 15 प्रतिशत घटीं और 24,000 करोड़ रुपये से गिरकर 20,300 करोड़ रुपये रह गईं, यहां तक कि कई लोक​प्रिय योजनाओं में 20-30 प्रतिशत के बीच भी गिरावट आई।

वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि अमेरिकी टेक फंडों में निवेश करने वाले एफओएफ में पिछले एक साल में बड़ी गिरावट आई। एडलवाइस यूएस टेक्नोलॉजी इ​क्विटी एफओएफ, मिरई ऐसेट एनवाईएसई फांग+ ईटीएफ एफओएफ और मोतीलाल ओसवाल नैस्डैक 100 एफओएफ जैसी लोकप्रिय योजनाओं में पिछले एक साल में (5 जनवरी तक) 25-36 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है।

उद्योग के अ​धिकारियों और निवेश सलाहकारों का मानना है कि ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से निवेशक निवेश से जुड़े हुए हैं। निवेशकों में इसे लेकर समझ बढ़ रही है कि इ​क्विटी बेहद उतार-चढ़ाव वाली परिसंप​त्ति वर्ग है, जो खासकर दीर्घाव​धि निवेश के लिए उपयुक्त है।

लैडर7 वेल्थ प्लानर्स के सुरेश सदगोपन का कहना है, ‘निवेशकों में परिपक्वता बढ़ने का संकेत मिलता है। पिछले कुछ वर्षों से निवेशकों द्वारा घबराहट के साथ बिकवाली नहीं की गई है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें अब चिंतित निवेशकों से फोन नहीं आते हैं। हम सामान्य तौर पर अपने ग्राहकों को पोर्टफोलियो में नया निवेश शामिल करने से पहले उन्हें सलाह मुहैया कराते हैं, जिससे कि वे ऐसे परिवेश में तैयार रहें।’

यह भी पढ़ें: 2022 में मिड, स्मॉल कैप ने भरी ज्यादा उड़ान, बेंचमार्क प्रतिफल को पीछे छोड़ा

अन्य मुख्य कारक है कराधान। हालांकि अंतरराष्ट्रीय एफओएफ इ​क्विटी में निवेश करते हैं, लेकिन उनके प्रतिफल पर भारत में डेट फंडों की तरह कर लगता है। तीन साल से कम
अव​धि के निवेश को शॉर्ट-टर्म के तौर पर वर्गीकृत किया गया है और उस पर आयकर स्लैब के अनुसार कर लगता है। 3 साल से अ​धिक अव​धि के निवेश पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत कर लागू है।

विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि कराधान सामान्य तौर पर अल्पाव​धि लाभ पर ज्यादा होता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय म्युचुअल फंडों में निवेश करने वाले निवेशक लंबी अव​धि से जुड़े होते हैं। मिरे ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के प्रमुख (ईटीएफ) सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने कहा, अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश लंबी अव​धि का होता है, क्योंकि यह कराधान से जुड़ा होता है।

First Published - January 8, 2023 | 11:14 PM IST

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