लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) में संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ती दिख रही है। एसएमई कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में संस्थागत निवेशकों की लगातार बढ़ रही हिस्सेदारी से साफ तौर पर इस रुझान का पता चलता है। आम तौर पर शेयर बाजार की इस श्रेणी में व्यक्तिगत निवेशकों का वर्चस्व दिखता रहा है मगर अब इसमें बड़े संस्थागत निवेशक भी काफी दांव लगा रहे हैं।
एसएमई आईपीओ के जरिये जुटाई जाने वाली रकम आम तौर पर 50 करोड़ रुपये के दायरे में होती है जिसे संस्थागत निवेशकों के लिए काफी छोटी रकम मानी जाती है। मगर हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि एसएमई आईपीओ में संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी दिसंबर 2024 में बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच गई। करीब तीन साल पहले तक यह आंकड़ा काफी कम एक अंक में होता था।
बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा प्राइमडेटाबेस डॉट कॉम के आंकड़ों के विश्लेषण से यह खुलासा हुआ है। इस बीच एसएमई आईपीओ में खुदरा यानी छोटे निवेशकों की हिस्सेदारी घटी है। साल 2022 की शुरुआत में एसएमई आईपीओ के जरिये जुटाई गई कुल रकम में छोटे निवेशकों की हिस्सेदारी करीब दो-तिहाई थी। मगर उसके बाद यह आंकड़ा घटकर 34.9 फीसदी रह गया है। खुदरा निवेशकों का आवेदन आम तौर पर 2 लाख रुपये के दायरे में होता है।
कानून एवं वित्तीय सलाहकार फर्म कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के संस्थापक पवन कुमार विजय के अनुसार, एसएमई आईपीओ में संस्थागत निवेशकों की भूमिका धीरे-धीरे बढ़ रही है। पारिवारिक परिसंपत्तियों की देखभाल करने वाले कार्यालयों की इसमें दिलचस्पी बढ़ रही है।
बुटीक इन्वेस्टमेंट बैंक रिपलवेव इक्विटी एडवाइजर्स के पार्टनर मेहुल सावला ने कहा, ‘निवेशकों की समझ बेहतर होने के साथ-साथ भारतीय बाजार के नकदी भंडार में भी काफी बदलाव हुआ है।’
वैकल्पिक निवेश फंड, पारिवारिक परिसंपत्तियों की देखभाल करने वाले कार्यालय और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा (पीएमएस) प्रदाता छोटी कंपनियों में लंबी अवधि के दांव लगा सकते हैं। मगर म्युचुअल फंड या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक ऐसा नहीं करते क्योंकि उनको न्यूनतम नकदी एवं बाजार पूंजीकरण शर्तों को पूरा करना होता है।
कुछ संस्थागत निवेशक कथित तौर पर एसएमई श्रेणी में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें कुछ घरेलू एवं विदेशी संस्थान शामिल हैं। बाजार नियामक सेबी ने कथित तौर पर कई अनियमितताओं के मद्देनजर एसएमई आईपीओ पर निगरानी बढ़ा दी है। उसने दिसंबर के आरंभ में ट्रैफिकसोल आईटीएस टेक्नोलॉजिज से निवेशकों की आईपीओ रकम लौटाने के लिए कहा था।
यह कार्रवाई उन आरोपों के मद्देनजर की गई गई थी जिनमें कहा गया था कि जुटाई गई रकम का 40 फीसदी हिस्सा जिस थर्ड पार्टी वेंडर को भुगतान किया गया, वह एक मुखौटा कंपनी थी। मगर कंपनी ने सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल से अंतरिम स्थगनादेश हासिल कर लिया।
बहरहाल, एसएमई आईपीओ की तादाद लगातार बढ़ रही है और कुछ कंपनियों में गड़बड़ी का भी पता चला है। इस बीच बाजार नियामक ने न्यूनतम निवेश की सीमा बढ़ाकर खुदरा निवेशकों की भागीदारी को सीमित करने की कोशिश की है। प्राइम डेटाबेस के अनुसार, साल 2023-24 में करीब 200 एसएमई आईपीओ के जरिये कुल मिलाकर 6,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए।
सावला ने कहा कि बाजार नियामक द्वारा मानदंडों को सख्त किए जाने से एसएमई आईपीओ की विश्वसनीयता में सुधार होगा।