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क्या HDFC बैंक के शेयरों में निवेश करने का यह सही समय है? जानें विश्लेषकों की राय

HDFC Bank Share Price: सोमवार के कारोबार में  HDFC बैंक का शेयर 1.1% गिरकर 1,513.8 रुपये पर आ गया, जबकि बाजार में मामूली बढ़त देखी गई।

Last Updated- April 22, 2024 | 4:17 PM IST
HDFC Bank

HDFC बैंक के जनवरी-मार्च तिमाही (Q1) के नतीजे उम्मीदों के अनुरूप रहे, लेकिन इसमें आने वाले समय के लिए किसी खास ग्रोथ लक्ष्य का जिक्र नहीं किया गया। इस वजह से निवेशकों में चिंता पैदा हो गई है।

विश्लेषकों का कहना है कि बैंक के लिए कई ग्रोथ संकेतकों में सुधार करना आसान नहीं होगा और इसकी बैलेंस शीट को मजबूत बनाने में भी काफी वक्त लग सकता है। सोमवार के कारोबार में  HDFC बैंक का शेयर 1.1% गिरकर 1,513.8 रुपये पर आ गया, जबकि बाजार में मामूली बढ़त देखी गई।

अगली कुछ तिमाहियों में बैंक का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव वाला रह सकता है

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों का मानना है कि HDFC बैंक भले ही ऋण वृद्धि को कम करने और शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) सुधारने पर ध्यान दे रहा है, लेकिन यह रणनीति निकट भविष्य में थोड़ी अस्थिरता ला सकती है। मैनेजमेंट ने संकेत दिया है कि अगले कुछ तिमाहियों में बैंक का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव वाला रह सकता है।

साथ ही, भविष्य के प्रदर्शन को लेकर कोई ठोस लक्ष्य या मार्गदर्शन नहीं दिया गया है। मौजूदा तिमाही की मजबूत वृद्धि को बनाए रखना मुश्किल होगा क्योंकि इससे भविष्य में उम्मीदें बहुत बढ़ सकती हैं। खासकर डिपॉजिट और NIM में सुधार दिखने में कुछ समय लग सकता है।

HDFC बैंक के हालिया तिमाही नतीजे सालाना आधार पर तो अच्छे रहे, लेकिन तिमाही आधार पर थोड़ी निराशा जरूर जताते हैं। 20 अप्रैल को जारी आंकड़ों के मुताबिक बैंक का शुद्ध लाभ साल-दर-साल 37% बढ़कर 16,512 करोड़ रुपये हो गया, लेकिन तिमाही-दर-तिमाही तुलना में सिर्फ 1% की बढ़त हुई।

इसी तरह, शुद्ध ब्याज आय में भी सालाना 24% की बढ़ोतरी हुई जो 29,080 करोड़ रुपये रही, लेकिन तिमाही आधार पर यह सिर्फ 2% ही बढ़ी।  पिछले साल की समान तिमाही के आंकड़ों को मिलाकर देखें, तो सालाना आधार पर ये दोनों आंकड़े स्थिर ही रहे। हालांकि, अच्छी बात यह है कि डिपॉजिट में अच्छी वृद्धि देखी गई। कुल डिपॉजिट राशि 7.5% बढ़कर 23.8 ट्रिलियन रुपये हो गई, जिसमें खुदरा डिपॉजिट में 6.9% और थोक डिपॉजिट में 10.9% की तिमाही-दर-तिमाही वृद्धि हुई।

भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार भले ही धीमी हो, बैंकों का कारोबार बढ़ ही रहा है। कुल मिलाकर ऋण में 1.6% की बढ़ोतरी हुई है, जो अब ₹24.8 ट्रिलियन हो गया है। हालांकि, यह बढ़ोतरी असमान है। आम लोगों को दिए जाने वाले खुदरा ऋण में अच्छी तेजी (3.5%) देखी गई है, वहीं दूसरी तरफ कंपनियों को दिए जाने वाले कॉर्पोरेट ऋण में गिरावट (2.2%) आई है।

एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के लोगों ने कहा, “इसके अलावा, तिमाही में बैंकों के कुछ अनुपातों में भी सुधार हुआ है, जैसे ऋण-जमा अनुपात (एलडीआर), तरलता कवरेज अनुपात (एलसीआर) और शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM)। लेकिन, ध्यान देना ज़रूरी है कि इनमें से कुछ सुधार मौसम और तिमाही के अंत के लेनदेन से जुड़े हुए हो सकते हैं। इसलिए, बैंकों के लिए यह ज़रूरी है कि वे आने वाले समय में भी मजबूत प्रदर्शन बनाए रखें।”

निवेश की रणनीति

बैंकों के शेयरों में अभी निवेश करने को लेकर थोड़ा रुकने की सलाह दी गई है। ज़्यादातर ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि बैंक के प्रदर्शन का आंकलन करने के लिए हमें साल की दूसरी छमाही (H2FY25) का इंतजार करना चाहिए। वे ये देखना चाहते हैं कि क्या आने वाले समय में बैंकों के मुख्य प्रदर्शन में कोई सुधार होता है या नहीं।

उदाहरण के लिए, कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज़ ने कुछ बैंकों के शेयरों पर खरीदारी की सलाह जारी रखी है, लेकिन उन्होंने टार्गेट प्राइस को ₹1,750 पर स्थिर रखा है। उनकी राय में मौजूदा स्टॉक मूल्य कंपनी की बहीखाते के मूल्य से 2.3 गुना और वित्त वर्ष 2026 के अनुमानित मुनाफे के आधार पर उचित है। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि कंपनी को 16% का रिटर्न और अगले 5 सालों में सालाना 15% की आय वृद्धि हो सकती है।

अभी निवेश करने का सही समय नहीं

HDFC बैंक भले ही लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, लेकिन कुछ ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि अभी इसमें निवेश करने का सही समय नहीं है। उनका कहना है कि फिलहाल जोखिम उठाने के मुकाबले मिलने वाला फायदा उतना आकर्षक नहीं है। हालांकि आईसीआईसीआई बैंक के मुकाबले HDFC बैंक के शेयर सस्ते हैं, लेकिन अभी भी निवेश करना जल्दबाजी हो सकती है।

एलारा सिक्योरिटीज का कहना है कि निकट भविष्य में HDFC बैंक के शेयरों में तेजी की उम्मीद नहीं है। उनका सुझाव है कि निवेशकों को तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक बैंक अपने प्रदर्शन में सुधार न दिखाए।

HDFC बैंक के प्रदर्शन पर नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज थोड़ा मिलाजुला रुख रखती है। पिछले दो तिमाहियों के कमजोर प्रदर्शन के बाद चालू तिमाही का प्रदर्शन राहत देने वाला रहा है। हालांकि, उन्होंने आने वाले दो वित्त वर्षों (FY25 और FY26) के लिए प्रति शेयर आय (ईपीएस) के अनुमान में थोड़ी कटौती कर दी है। इसके बावजूद उन्होंने लक्ष्य मूल्य को थोड़ा बढ़ाकर 1760 रुपये कर दिया है।

उनका मानना है कि लंबे समय में बैंक की संभावनाएं मजबूत हैं। लेकिन फिलहाल तिमाही आय में स्थिरता और 100% से ऊपर के उंचे ऋण-जमा अनुपात (LDR) को देखते हुए अल्पावधि में शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।

First Published - April 22, 2024 | 4:17 PM IST

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