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आईटीसी: एफएमसीजी से लगी है आस

Last Updated- December 08, 2022 | 4:44 AM IST

वर्ष 2008-09 में आईटीसी का शुध्द मुनाफा की ग्रोथ एकल अंक (8.9 फीसदी) में ही रहने की उम्मीद है।


अगले साल इसके बेहतर कारोबार करने की  उम्मीद है। 2007-08 में कंपनी का शुध्द मुनाफा 3,120 करोड़ रुपये रहा था। सितंबर तिमाही में कंपनी ने चार फीसदी विकास दर हासिल की  थी। इससे पहले जून में भी यह दर इसी स्तर पर रही।

कंपनी के राजस्व में तो लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन बढ़ती लागत उसके लिए  परेशानी का सबब है। 2007-08 के 13,946 करोड़ रुपये के राजस्व के स्तर में कंपनी को 16-17 फीसदी इजाफे की उम्मीद है।

यह पिछले  साल की तुलना में बेहतर प्रदर्शन होगा। हालांकि बाजार को कंपनी के नए एफएमसीजी कारोबार के लोवर बेस में अच्छा कारोबार करने की  उम्मीद है। कंपनी के कुल कारोबार में 60 फीसदी का योगदान देने वाली सिगरेट अभी भी अच्छा कारोबार कर रही है।

 सार्वजनिक स्थलों पर  स्मोकिंग पर लगे बैन का असर अभी इस दिखाई देना शेष है। सितंबर की तिमाही में कंपनी का वॉल्यूम सिर्फ तीन फीसदी रहा जो काफी क मजोर है। इसका कारण कंपनी द्वारा हाल के माहों में की गई कीमतों में वृध्दि को माना जा रहा है।

इस उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि  फिल्टर और नॉन फिल्टर सिगरटों की कीमतों में व्याप्त बड़े अंतर से स्मोकर फिल्टर सिगरेट से मुह मोड़ सकते हैं। कंपनी का एफएमसीजी क्षेत्र भी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर रहा है। पिछली दो तिमाहियों में कंपनी की बिक्री 30 फीसदी रही जो  निराश करने वाली है।

इसे देखकर लगता है कि कंपनी ने साबुन और शैंपू के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से मिलने वाली चुनौतियों का ठीक से  आकलन नहीं किया। इतना ही नहीं कंपनी के ब्रांडेड पैकेज फुड्स की बिक्री भी 24 फीसदी की दर से बढ़ रही है। धीमी पड़ती जा रही  अर्थव्यवस्था का असर आईटीसी के होटलों पर भी दिखाई दे रहा है।

जहां कीमतों में गिरावट होने के बाद भी ग्राहकों की संख्या कम होती  जा रही है। इस क्षेत्र ने बिक्री में 10 फीसदी की वृध्दि दर हासिल की। इसके मार्जिन पर बना दबाव कोई उत्साहवर्धक  नहीं है। सितंबर तिमाही में कंपनी का एकीकृत ऑपरेटिंग मार्जिन 2.4 फीसदी गिरा।

थर्मेक्स:धीमी होती चाल

थर्मेक्स प्रबंधन यह जान रहा है कि तरलता की तंगी के चलते बड़े प्रोजेक्टों पर काम धीमा पड़ गया है।

इसी के चलते इस पुणे की कंपनी के  पास 4,253 करोड़ रुपये का अच्छा खासा ऑर्डर बुक होने के बाद भी, स्टील जैसे कुछ क्षेत्रों में आई कमजोरी के चलते ये कंपनियां पूंजी  व्यय को कम करने की राह पर चल सकती है। अगर ऐसा होता है तो इसका थर्मेक्स पर बुरा असर पड़ेगा।

क्योंकि कंपनी उसकी टॉपलाइन  में होने वाली वृध्दि लगातार धीमी पड़ती जा रही है। 2007-08 में कंपनी का राजस्व 3,204 करोड़ रुपये था जो पिछले साल के मुकाबले 49  फीसदी अधिक था।

इसके मायने यह भी हैं कि अगर राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा विनिमय में होने वाले घाटे के बढ़ने से कंपनी की बॉटमलाइन  2007-08 की तुलना में वृध्दि कम होगी जब कंपनी का कर के बाद मुनाफा 2007-08 में जब कर के बाद मुनाफा 46 फीसदी बढ़कर 281 क रोड़ रुपये हो गया था।

हालांकि कंपनी का ऑपरेटिंग लेवल (विदेशी विनिमय का शुध्द घाटा)पर प्रदर्शन अच्छा ही रहा। क्योंकि थर्मेक्स  अपनी लागत घटा रहा है। कंपनी के नतीजे बताते हैं कि सितंबर 2008 तक छह माहों में ऑपरेटिंग मार्जिन 3.7 फीसदी बढ़कर 16 फीसदी हो  गया है।

हालांकि  साल दर साल के आधार पर कंपनी के राजस्व में इजाफा महज 6 फीसदी ही हुआ। हालांकि यह कोई अनापेक्षित आंकड़ा  नहीं है क्योंकि कंपनी के पास बीते साल ज्यादा आर्डर नहीं थे। इस साल की पहली तिमाही में कंपनी के कुल राजस्व में 74 फीसदी का  योगदान देने वाले इंजीनियरिंग क्षेत्र में बिक्री की दर सात फीसदी गिरी थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इसके 2007-08 की तरह 53 फीसदी  के स्तर को छूने की कोई संभावना नहीं है। इन्वायरमेंट क्षेत्र जिसने 57 फीसदी की अच्छी खासी वृध्दि दर हासिल की थी अब सुस्त हो गया  है।

यही कारण है कि भले ही आज थर्मेक्स के पास पर्याप्त संख्या में आर्डर हैं, इसके ग्राहक कठिन ऑपरेटिंग वातावरण के चलते अपने  प्रोजेक्टों में विलंब कर सकते हैं, इनमें कंपनी की उधार की लागत तेजी से बढ़ी है।

थर्मेक्स मटेरियल और कर्मचारी दोनों की लागत कम करने  की राह पर चल रहा है। सौभाग्य से उसके पास कुछ इनपुट का स्टॉक उस समय का है जब इनकी कीमत बेहद कम थी। इससे उसे इस  साल बेहतर ऑपरेटिंग मार्जिन देने में मदद मिलेगी।

First Published - November 21, 2008 | 10:16 PM IST

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