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मल्टी या फ्लेक्सी कैप पर दांव लगा सकते हैं दीर्घावधि निवेशक

Last Updated- February 13, 2023 | 11:51 PM IST
Tata Communications profit growth

मांग सामान्य होने और निर्माण गतिविधियां बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था अल्पावधि में मजबूत वृद्धि दर्ज करने के लिए तैयार है। निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड के सीआईओ (इक्विटी इन्वेस्टमेंट्स) शैलेश राज भान ने अभिषेक कुमार के साथ एक साक्षात्कार में बताया कि हालांकि, कमजोर वैश्विक वृद्धि की वजह से आय पर दबाव बना रह सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

क्या बजट से आपकी रणनीति में कोई बदलाव आया है?

बजट काफी हद तक संतुलित है, क्योंकि इसमें राजकोषीय समेकन के साथ समझौता किए बगैर मजबूत पूंजीगत खर्च के जरिये वृद्धि की तेज रफ्तार बरकरार रखे जाने पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर, बजट में निवेश चक्र में सुधार और सब्सिडी को तर्कसंगत बनाकर वित्तीय बोझ में कमी लाने पर जोर दिया गया है। हमारा पोर्टफोलियो बैंकिंग, निर्माण और जीवनशैली संबंधित बदलावों से जुड़ी घरेलू विकास संभावनाओं पर केंद्रित है। इन सभी को बजटीय प्रस्तावों से ताकत मिली है।

पांच वर्ष की निवेश अवधि के संदर्भ में आप निवेशकों को कौन से इक्विटी फंड खरीदने का सुझाव देना चाहेंगे?

अपने जोखिम के आधार पर दीर्घावधि निवेशक मल्टी कैप या फ्लेक्सी कैप जैसे विविधीकृत निवेश विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। ये फंड विभिन्न बाजार पूंजीकरण रेंज में निवेश करते हैं और बाजार दिग्गजों तथा उभरती कंपनियों के समावेश की पेशकश करते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बुनियादी आधारों, वृद्धि-केंद्रित नीतिगत उपायों और अनुकूल जनसांख्यिकी से मदद मिली है। इससे व्यापक भागीदारी के साथ मध्यावधि के दौरान मजबूत वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। इस संभावित सुधार से विभिन्न क्षेत्रों और बाजारों में संभावित अवसर पैदा हो सकते हैं।

अगले दो साल में आपको बाजार से कैसा प्रतिफल हासिल होने की उम्मीद है?

मांग सामान्य होने और निर्माण गतिविधियों में सुधार आने से भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में रहने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों के नीतिगत सुधार, पूंजीगत खर्च में निवेश, मजबूत कॉरपोरेट बैलेंस शीट से निर्माण, निर्यात, और पूंजीगत खर्च को बढ़ावा मिल सकता है।

इससे वृद्धि का मजबूत चक्र तैयार होगा। लेकिन अभी भी अल्पावधि वैश्विक अनिश्चितताएं जल्द दूर होने की संभावना नहीं दिख रही है। इसलिए, अल्पावधि में प्रतिफल की उम्मीदें नरम रखना ही समझदारी होगी। आय वृद्धि कुछ समय तक चुनौतीपूर्ण बनी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक वृद्धि कमजोर हो रही हैऔर स्थानीय आर्थिक हालात कोविड-बाद मजबूत सुधार के बाद ही फिर से सामान्य हो सकते हैं।

तीसरी तिमाही से कंपनियों और क्षेत्रों की स्थिति के बारे में क्या संकेत मिल रहा है?

तीसरी तिमाही के नतीजे हालांकि मिश्रित हैं, लेकिन पूर्ववर्ती तिमाही के मुकाबले बेहतर दिख रहे हैं। वैश्विक एवं ग्रामीण केंद्रित कुछ खास सेगमेंटों ने मांग से संबंधित दबाव दर्ज किया है, जबकि घरेलू वृद्धि आधारित सेगमेंटों का प्रदर्शन काफी हद तक अनुमानों के अनुरूप रहा है।

सकारात्मक बदलाव यह है कि कच्चे माल की बढ़ती लागत की वजह से मार्जिन पर बढ़ा दबाव अब घटता दिख रहा है। भविष्य में हमें कच्चे माल से संबंधित मुद्रास्फीति में नरमी आने का अनुमान है, क्योंकि कीमतें काफी हद तक स्थिर हुई हैं।

2022 में दमदार तेजी के बाद पीएसयू बैंकों पर दबाव पड़ा है। क्या इन शेयरों में तेजी का दौर समाप्त हो गया है?

हाल के समय में कीमतों में भारी गिरावट के बाद पीएसयू बैंकों में अच्छी रिकवरी दर्ज की गई। पीएसयू बैंकिंग क्षेत्र में मजबूत बैलेंस शीट वाले बैंक मध्यावधि के दौरान ऋण वृद्धि में अपेक्षित सुधार दर्ज करने में सफल रहेंगे।

इस साल विदेशी कोषों को आकर्षित करने के लिए भारत अन्य बाजारों के मुकाबले कैसी स्थिति में है?

भारतीय बाजारों में विभिन्न क्षेत्रों और श्रेणियों में आकर्षक मध्यावधि अवसर प्रदान करने की संभावना है। साथ ही प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत का मूल्यांकन उचित दिख रहा है।

First Published - February 13, 2023 | 11:28 PM IST

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