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एल ऐंड टी: मार्जिन घटा

Last Updated- December 08, 2022 | 12:07 AM IST

लार्सन ऐंड टुब्रो का शेयर सितंबर 2008 के परिणामों की घोषणाओं के बाद 11 प्रतिशत लुढ़क गया।


बाजार इंजीनियरिंग क्षेत्र की इस बडी क़ंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन में सितंबर 2007 की तिमाही के मुकाबले आए 40 आधार अंकों की गिरावट को लेकर बहुत चिंतित दिखा। हालांकि कंपनी के स्टेंड एलोन राजस्व में 40 प्रतिशत की बढोतरी अनुमानों के अनुसार ही रहा जबकि जून की मिताही में इसमें 67 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई थी।

हालांकि यह बढ़ोतरी शुध्द मुनाफेमें जिस तरह से बढोतरी हुई उसके अनुसार नहीं रहा। कपंनी का शुध्द मुनाफा सितंबर 2008 की दूसरी तिमाही में 32 प्रतिशत बढोतरी के साथ 460 करोड रुपये रहा जबकि जून की तिमाही में शुध्द मुनाफा 33 प्रतिशत था।

कपंनी प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि प्रमुख इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्रों जिसका कि कंपनी के राजस्व में 80 प्रतिशत योगदान होता है, वह पिछली तिमाही के मुकाबले 11.5 प्रतिशत की दर पर स्थिर रहा है। कपंनी ने यह भी कहा कि कुछ नए कारोबारों को शुरू करने में हुए शुरूआती खर्चों की वजह से कंपनी के मार्जिन में गिरावट दर्ज की गई है।

कंपनी ने कहा कि वो वित्त वर्ष 2008 में प्राप्त किए गए ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को बरकरार रखने को लेकर आश्वस्त है। कपंनी द्वारा बैंकों से कुछ अतिरिक्त उधार लिए जाने के कारण ब्याज दरों को लेकर खर्च में बढ़ोतरी हुई है। इन बातों के अलावा कपंनी का बुक ऑर्डर सितंबर तिमाही में पूंजी प्रवाह में 74 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण मजबूत रहा है।

इंजीनियरिंग क्षेत्र में ऑर्डर जबरदस्त रहा है जहां कि इसमें 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और कंपनी का मानना है कि इससे पिछली बार की तरह ही बढ़िया मुनाफा होने की उम्मीद है। एल ऐंड टी का स्टेंड एलोन राजस्व इस वर्ष के अंत तक 33,000-34,000 करोड़ रुपये के बीच रहने की संभावना है जबकि शुध्द मुनाफे के 26,50 से 2700 करोड़ के बीच रहने की संभावना है। इसका मतलब यह निकलता है कि वित्त वर्ष 2008 के मुकाबले वित्त वर्ष 2009 में आमदनी में 22-24 प्रतिशत की बढ़ोतरी होनी चाहिए।

जुबिलेंट: फॉरेक्स घाटा

विदेशी परिचालन में हुए 174 करोड़ के घाटे की वजह से जुबिलेंट ऑर्गेनोसिस को कर से पूर्व सितंबर 2008 की दूसरी तिमाही में 53 करोड रुपये का घाटा हुआ है। 

अगर विदेशी परिचालन में हुए घाटे की गणना नहीं की जाती तो कंपनी के टैक्स से पहले का लाभ साल-दर-साल के हिसाब से 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 121 करोड रुपये रहा होता।

फार्मा और लाइफ साइंस कंपनी का राजस्व 52 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 940 करोड़ रुपये रहा जिसका कि कारण कपंनी द्वारा ड्रेक्सिस हेल्थकेअर और हॉलिस्टर का अधिग्रहण रहा जिसने कि कपंनी के राजस्व में 178 करोड रुपये का योगदान दिया।

हालांकि खर्च में हो रही लगातार बढोतरी के कारण कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन 50 आधार अंकों की उछाल के साथ 18.8 प्रतिशत के आसपास रहा। कपंनी का कारोबार मुख्य रूप से कांट्रैक्ट रिसर्च एंड मैन्यूफैक्चरिंग सर्विसेस (सीआरएएमएस) केक्षेत्र में मुख्य रूप से कारोबार करती है जोकि इस तिमाही के दौरान 60 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढा है और इस रफ्तार के इसी तरह जारी रहने की संभावना है।

कीमतों केस्थिर रहने के कारण कपंनी के औद्योगिक उत्पाद और परफॉर्मेंस पॉलिमर सेंगमेंट का योगदान कंपनी के राजस्व में 38 प्रतिशत रहा है। हालांकि कीमतों के कम होने की संभावना के बीच कारोबार में कमी आ सकती है। कंपनी के लिएसबसे बड़ी चिंता की बात 3,300 करोड़ रु पये के विदेशी मुद्रा का कर्ज है जो कि विदेशों में अधिग्रहण के लिए लिए गए थे।

सितंबर 2008 की तिमाही में ब्याज खर्च साल-दर-साल के हिसाब से103 करोड रुपये की बढोतरी के साथ 22 करोड रुपये रहा और इस खर्च में आगे भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। कंपनी का डेट इक्विटी रेशियो 1.5 के स्तर पर कम नहीं है और इसका प्रबंधन किया जा सकता है।

गौरतलब है कि इसमें एफसीसीबी शामिल नहीं है। जुबिलेंट के राजस्व के वित्त वर्ष 2009 के अंत में 3,700 करोड़ रुपये रहने की संभावना है जोकि वित्त वर्ष 2008 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। हालांकि मुद्राओं के परिचालन में अनिश्चितता को देखते हुए शुध्द मुनाफे में कमी आ सकती है। जुलाई 2008 से जुबिलेंट ने सेंसेक्स को अंडरपरफॉर्म किया है और सेंसेक्स में आई 17 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले इसमें 41 प्रतिशत की गिरावट आई है।

First Published - October 16, 2008 | 10:10 PM IST

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